कलेक्टर की अध्यक्षता में जिला स्वास्थ्य समिति की बैठक आयोजित, कहा हाट बाजार क्लिीनिकों से और ज्यादा लोगों को दिलायें फायदा


बिलासपुर, कलेक्टर सौरभकुमार ने मुख्यमंत्री हाट बाजार क्लिीनिक योजना के अंतर्गत प्रति शिविर लाभान्वित मरीजों की संख्या बढ़ाने के निर्देश दिये हैं। फिलहाल प्रति बाजार शिविर में जिले में केवल 51 मरीजों को लाभ मिल रहा है। योजना के अंतर्गत पिछले छह माह में 2798 शिविरों के जरिए 1 लाख 43 हजार मरीजों का इलाज एवं दवा वितरण किया गया है। कलेक्टर आज जिला स्तरीय स्वास्थ्य समिति के शासी परिषद की मंथन सभाकक्ष में आयोजित बैठक में इस आशय के निर्देश दिये। उन्हांेने जननी सुरक्षा योजना के अंतर्गत प्रोत्साहन राशि के वितरण में विलंब किये जाने पर नाराजगी जाहिर करते हुए इसे एक सप्ताह में हितग्राही महिलाओं को वितरित करने के निर्देश दिए हैं। संस्थागत प्रसव कराने वाली लगभग 7 हजार महिलाओं में से 3200 महिलाओं को यह राशि अभी तक जारी नहीं की गई है। बैठक में सीएमएचओ डॉ श्रीवास्तव, डीपीएम सुश्री पायली मजूमदार सहित स्वास्थ्य विभाग एवं निर्माण एजेन्सियों के अधिकारी उपस्थित थे।


      कलेक्टर ने बैठक में स्वास्थ्य विभाग के लिए अस्पताल भवन, दवाई, रिक्तियां आदि सुविधाओं की विस्तृत समीक्षा की। उन्होंने विभिन्न पदों पर की जा रही भर्ती प्रक्रियाओं को तेजी से पूर्ण करने को कहा है। उन्होंने कहा कि स्वास्थ्य सेक्टर राज्य सरकार की प्राथमिकता का मामला है। जरूरत पड़ने पर डीएमएफ एवं सीएसआर मद से भी विशेषज्ञों की पूर्ति की जायेगी ताकि लोगों को स्थानीय स्तर पर ही बेहतर स्वास्थ्य सुविधाएं मिल सकें। कलेक्टर ने अधोसंरचना विकास के अंतर्गत बड़ी संख्या में स्वीकृत स्वास्थ्य केन्द्र भवन एवं अन्य संरचनाओं के निर्माण की धीमी प्रगति पर नाराजगी जाहिर की गई। विशेषकर सीजीएमएससी एजेन्सी का काम काफी मंथर गति से चल रहा है। कलेक्टर ने कहा कि जिले को मलेरिया मुक्त करने के लिए सारे प्रयास किये जायें। फिलहाल कोटा इलाके के कुछ ग्रामांे में मलेरिया के मामले आते रहते हैं। उन्होंने कहा कि जब बस्तर जैसे दुर्गम इलाके मलेरिया मुक्त हो सकते हैं, तो बिलासपुर जिले में कोई दिक्कत नहीं होने चाहिए। उन्होंने गर्भवती महिलाओं के शतप्रतिशत पंजीयन के साथ ही सभी का हीमोग्लोबिन जांच कराने को कहा है। उन्होंने जिला अस्पताल में संचालित जिले का एकमात्र पोषण पुनर्वास केन्द्र की क्षमता 10 से बढ़ाकर 30 करने के निर्देश दिए। यह सुविधा तो सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र स्तर पर होने चाहिए ताकि कुपोषित बच्चों और उनकी माताओं को बेहतर देखभाल एवं प्रशिक्षण दिया जा सके।

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