

एक अपाहिज गर्भवती गाय अपने सुरक्षित प्रसव की मांग के साथ कलेक्टर के दरबार पहुंची, हालांकि मीटिंग में व्यस्त कलेक्टर के पास उस गाय से मिलने की भी फुर्सत नहीं थी । वैसे यह गौ माता अकेले नहीं आई थी। उन्हें लेकर आई थी गोपालक गोल बाजार निवासी वंदना गुप्ता , जिसने मीडिया को बताया कि उसके पास यह विकलांग गौ माता कई बरस से है जिसकी कमर टूट चुकी है और वह गर्भवती है। इस कारण से उसका सामान्य प्रसव संभव नहीं है।

गाय के पेट में उसका बच्चा फंसा हुआ है। कमजोरी की वजह से गाय नॉर्मल डिलीवरी नहीं कर पा रही है, इसलिए आज सुबह वंदना इस गर्भवती गाय को लेकर पशु चिकित्सालय गई थी, लेकिन वहां मौजूद ढोर डॉक्टर राम ओत्तलवार ने गाय के ऑपरेशन करने से साफ मना कर दिया और कहा कि उनके पास ना तो स्टाफ है और ना ही ऐसी कोई सुविधा । इसके बाद डॉक्टर ने वंदना को बीमार गाय को किसी निजी वेटरनरी डॉक्टर के पास ले जाने की सलाह दी।

सरकार हर महीने पशु चिकित्सालय पर लाखों रुपए खर्च कर रही है और उसके पास इतनी भी सुविधा नहीं है कि वे एक बीमार गाय का इलाज कर सके । यानी सरकारी जिला पशु चिकित्सालय पूरी तरह से सफेद हाथी साबित हो रहा है। यह बताने वंदना गुप्ता कलेक्टर के पास पहुंची थी लेकिन उनकी पहली प्राथमिकता गाय का इलाज करना था इसलिए वह गाय को लेकर निजी चिकित्सक के पास चली गई लेकिन इससे पहले उन्होंने एक बड़े मुद्दे की ओर आम लोगों का ध्यान जरूर खिंचा कि बिलासपुर का जिला पशु चिकित्सालय आखिर कर क्या रहा है ?
निजी चिकित्सालय में इस गाय के इलाज पर 6000 से 7000 रुपए का खर्च आया। जिला पशु चिकित्सालय के मौजूद होने के बावजूद गो पालको को यह बोझ उठाना पड़ा है। ऐसे में डॉक्टर राम ओत्तालवार की हठ धर्मिता और असंवेदनशीलता सामने आई है।
आपको बता दे कि आरोपो से घिरे डॉक्टर राम ओत्तालवार को हटाने की मांग पहले भी स्थानीय गौसेवकों ने कई बार की है। यहां तक कि शासन ने उनका ट्रांसफर बस्तर भी कर दिया लेकिन उच्च अधिकारियों से मिली भगत की वजह से वे बार-बार अपने पद पर लौट आए। गोसेवकों का कहना है कि सैकड़ो शिकायतों के बावजूद उनके खिलाफ कोई कार्यवाही न करना और उन्हें एक ही स्थान पर पदस्थ रखना कई सवाल खड़े कर रहा है ।

जब जिला पशु चिकित्सालय में चिकित्सा की सुविधा ही नहीं है तो फिर बेवजह क्यों इस अस्पताल का संचालन कर राम ओत्तालवार जैसे चिकित्सक को वेतन दिया जा रहा है। गौ सेवको ने डॉक्टर ओत्तालवार को तत्काल प्रभाव से हटाने के साथ जिला पशु चिकित्सालय में ऑपरेशन की व्यवस्था करने, हॉस्पिटल को 24 घंटे खुला रखने और डायल 1962 में सुधार करने की मांग की है। ऐसा न होने पर राजधानी में धरना प्रदर्शन करने और पुतला दहन करने की चेतावनी दी गई है।
इधर एक दूसरी खबर यह है कि गर्भवती गाय का निजी डॉक्टर पीयूष दुबे द्वारा ऑपरेशन किया गया लेकिन ऑपरेशन करने में देर हो जाने की तरह गर्भ में ही बछड़े की मौत हो गई, लेकिन गौ माता को बचा लिया गया है जिसे गोपालक अपने घर ले गई है। इस पूरे घटना की स्थानीय गौसेवकों ने कड़े शब्दों में निंदा की है।
