प्रदेश अध्यक्ष के बाद भाजपा ने बदला नेता प्रतिपक्ष भी, ओबीसी वर्ग के नारायण चंदेल को नेता प्रतिपक्ष बनाकर भाजपा ने की ओबीसी वोट बैंक को साधने की कोशिश

आलोक मित्तल

छत्तीसगढ़ भाजपा ने प्रदेश अध्यक्ष बदलने के बाद नेता प्रतिपक्ष भी बदल दिया है । उम्मीद के अनुरूप नारायण चंदेल नेता प्रतिपक्ष बनाए गए हैं। पिछड़ा वर्ग से अरुण साव को प्रदेश अध्यक्ष बनाए जाने के बाद ओबीसी वर्ग से ही चंदेल को नेता प्रतिपक्ष बनाकर भाजपा ने साफ संदेश दिया है कि इस बार वह प्रदेश में ओबीसी कार्ड चलने वाली है। कई राज्यों की तरह भारतीय जनता पार्टी छत्तीसगढ़ में भी आमूलचूल परिवर्तन करने की रणनीति पर काम कर रही है। पिछले विधानसभा चुनाव में दिग्गजों की हार के बाद से ही नए चेहरों को अवसर देने की मांग उठ रही थी। प्रदेश प्रभारी डी पुरंदेश्वरी ने पहले ही इसके संकेत दिए थे, हालांकि फिलहाल जिम्मेदारी पुराने चेहरों को ही मिली है, लेकिन माना जा रहा है कि विधानसभा उम्मीदवारी के लिए नए चेहरों को भाजपा आजमायेगी।


रायपुर में विधायक दल की बैठक के बाद प्रदेश प्रभारी डी पुरंदेश्वरी ने नेता प्रतिपक्ष के नाम का ऐलान किया। इस दौरान प्रदेश के सह प्रभारी नितिन नवीन और संगठन के महामंत्री अजय जामवाल मौजूद थे । बताया जा रहा है कि आगामी विधानसभा चुनाव को देखते हुए भारतीय जनता पार्टी एक नई टीम खड़ी कर रही है, जिसके लिए धीरे-धीरे पार्टी के पुराने और प्रमुख चेहरों को बदला जा रहा है। पार्टी पहले ही संकेत दे चुकी है कि अगला विधानसभा चुनाव डॉ रमन सिंह के नेतृत्व में नहीं लड़ा जाएगा। यह चुनाव कमल निशान और मोदी के चेहरे पर लड़ने की बात कही जा रही है ।

बताया जा रहा है कि नेता प्रतिपक्ष के लिए नारायण चंदेल के अलावा अजय चंद्राकर, बृजमोहन अग्रवाल और शिवरतन शर्मा के नाम पर चर्चा हुई, लेकिन अंतिम मुहर चंदेल के नाम पर लगी। इसके साथ अरुण साव और नारायण चंदेल की आगामी मुख्यमंत्री बनने की संभावना भी बढ़ गई है। अगर भारतीय जनता पार्टी प्रदेश में बहुमत लाने में कामयाब होती है तो हो सकता है कि चंदेल या फिर अरुण साव को कमान मिले। जांजगीर चांपा के विधायक नारायण चंदेल इससे पहले छत्तीसगढ़ विधानसभा के उपाध्यक्ष रह चुके हैं । प्रदेश में बड़ी संख्या में मौजूद ओबीसी वोट बैंक को साधने के लिए भारतीय जनता पार्टी ने नारायण चंदेल पर दांव खेला है। दावा किया जा रहा है कि इसका लाभ पार्टी को मिल सकता है, क्योंकि प्रदेश में ओबीसी वोट कई विधानसभाओं में निर्णायक है।

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