

आलोक मित्तल

भादो की पहली तारीख को यानी रक्षाबंधन के ठीक अगले दिन मनाए जाने वाले छत्तीसगढ़ के लोक पर्व भोजली को लेकर बिलासपुर में इस वर्ष उत्साह नजर आ रहा है। कोरोना काल के बाद मनाए जाने वाले इस छत्तीसगढ़ी फ्रेंडशिप डे को लेकर शहर में कई स्थानों पर आयोजन हो रहे हैं। सावन महीने की सप्तमी को छोटी-छोटी टोकरियों में गेहूं या धान के दाने बोये गए थे। इन्हीं जवारा की टोकरियों को सर पर लेकर महिलाएं भोजली गीत गाती हुई घाट पर पहुंची। भोजली दाई के सम्मान में सेवा गीत सामूहिक स्वर में गूंजता रहा। अरपा नदी तट पर भोजली के विसर्जन के बाद भोजली के पौधे एक दूसरे के कान में खोच कर मितान बदे गए। बिलासपुर के पचरी घाट मैं दोपहर बाद से ही भोजली लेकर महिलाएं पहुंचने लगी थी।


तोरवा क्षेत्र में भी हर वर्ष की तरह भोजली उत्सव का आयोजन किया गया। भोजली महोत्सव समिति द्वारा आयोजित कार्यक्रम में भोजली प्रतियोगिता को भी शामिल किया गया, जहां भाग लेने वाले प्रतिभागियों को नगद पुरस्कार और साड़ी आदि उपहार में प्रदान किए गए। कार्यक्रम में छत्तीसगढ़ पर्यटन मंडल के अध्यक्ष अटल श्रीवास्तव, महापौर रामशरण यादव, जिला सहकारी बैंक के अध्यक्ष प्रमोद नायक, शरद यादव पार्षद मोती गंगवानी, साईं भास्कर , जेठू साहू आदि शामिल हुए। महोत्सव समिति के अध्यक्ष शंकर यादव ने बताया कि विगत कई वर्षों से बिलासपुर में यह आयोजन किया जा रहा है, जिस के तहत छत्तीसगढ़ी लोक संस्कृति की परंपरा को कायम रखने का प्रयास किया जा रहा है। हर वर्ष इस महोत्सव में भाग लेने वाले लोगों की संख्या बढ़ती ही जा रही है। उन्होंने तोरवा क्षेत्र में छठ घाट की तरह एक भोजली घाट बनाने पर भी जोर दिया।
