
आलोक मित्तल

सदियों से चली आ रही परंपरा के अनुसार रक्षाबंधन पर बहन भाइयों की कलाई पर रक्षा सूत्र बांधती है तो, तो वहीं भाई आजीवन उनकी रक्षा करने का वचन देते हैं। लेकिन बिलासपुर में पिछले 10 साल से एक अनोखे अंदाज से रक्षाबंधन का पर्व मनाया जा रहा है, जहां बहने रक्षा सूत्र बांधकर भाइयों रक्षा करने का संकल्प लेती है।
आज महिलाएं सभी क्षेत्रों में स्वयं को साबित कर चुकी है। ऐसे दौर में सक्षम महिलाएं अपनी और अपनो की रक्षा करने में समर्थ है। ऐसी ही समर्थ महिलाएं अपने भाइयों की रक्षा करने का संकल्प ले भर नहीं रही है, बल्कि उनकी रक्षा भी कर रही है।
हम बात कर रहे हैं बिलासपुर शहर से लगे कानन पेंडारी मिनी ज़ू की। सभी जानते हैं कि ग्लोबल वार्मिंग की वजह से दुनिया में संकट की स्थिति है। पर्यावरण बचाने की दिशा में प्रयास हो रहे हैं और पर्यावरण बचाने का सबसे प्रचलित उपाय है पेड़ लगाना और उनकी रक्षा करना। कानन पेंडारी में भी बड़ी संख्या में पेड़ लगे हुए हैं। हर रक्षाबंधन पर कानन पेंडारी की महिला कर्मचारी इन पेड़ों को राखी बांधकर उनकी रक्षा का संकल्प लेती है। पिछले 10 वर्षों से यह परंपरा चली आ रही है। पर्यावरण बचाओ का संदेश देने के इस महत्वपूर्ण प्रयास के तहत बहने थाल में कुमकुम, अक्षत , नारियल, आरती और रक्षा सूत्र सजाकर पहुंचती है। पेड़ रूपी भाइयों की आरती उतारी जाती है उन्हें तिलक किया जाता है और फिर उन्हें विशेष रूप से तैयार राखी बांधी जाती है। इस इको फ्रेंडली राखी से सबक लेते हुए देशभर में इको फ्रेंडली राखी मनाने का भी संदेश महिलाएं दे रही है । पेड़ों को राखी बांधने के साथ यहां महिलाएं उनकी रक्षा का संकल्प भी लेती है। इसी प्रयास की वजह से यहां पिछले 10 सालों में कई नई पेड़ विकसित हो चुके हैं ।

आज ग्लोबल वार्मिंग दुनिया के लिए चिंता का विषय है ।दुनिया की आबादी में भारत की 20% के करीब हिस्सेदारी है ।अगर भारत में मनाए जाने वाले पर्वो के साथ इस तरह की परंपराएं जुड़ती है तो फिर यहां जल, जंगल और पर्यावरण बचाने के प्रयास को बल मिलेगा। यहां पेड़ों को रक्षा सूत्र बांधने वाली बहने पेड़ों को अपने परिवार का सदस्य मानती है, इसलिए मन प्राण से उनकी रक्षा भी करती है। अगर ऐसा ही प्रयास देश भर में आरम्भ हो जाए तो फिर पेड़ों की संख्या में रिकॉर्ड बढ़ोतरी हो सकती है ।
सनातनी परंपराओं की यही तो विशेषता है, जहां ईश्वर सर्वव्यापी है । ईश्वर पत्थर में है ,नदी में है, प्रकृति में है, जीवों में है, मनुष्य में है और पेड़ो में भी है, इसलिए ईश्वर के सभी स्वरूपों की पूजा की जाती है। यही अलौकिकता रक्षाबंधन पर भी नजर आती है, जहां बिलासपुर में केवल कानन पेंडारी ही नहीं बल्कि और भी कई स्थानों पर पर्यावरण के हितेषी पेड़ों को रक्षा सूत्र बांधकर उनकी रक्षा का संकल्प लेते हैं । यह अनोखी परंपरा इस रक्षाबंधन पर भी नजर आ रही है।

