

मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने पूर्व मंत्री और लोकप्रिय नेता स्वर्गीय श्री महेंद्र कर्मा की 5 अगस्त को जयंती पर उन्हेें नमन किया है। श्री बघेल ने उन्हें याद करते हुए कहा है कि श्री महेन्द्र कर्मा को बस्तर टाइगर कहा जाता था, क्योंकि आदिवासियांे के हक की हर लड़ाई में वे दमदारी से अपनी बात रखते थे। स्वर्गीय श्री कर्मा ने जीवन के अंतिम क्षण तक आदिवासियों की बेहतरी के लिए संघर्ष किया। वे सिर्फ एक राजनेता नहीं थे, बल्कि एक बेहद संवेदनशील, जागरूक और भावुक इंसान भी थे। उनके जैसा निःस्वार्थ व्यक्ति और पारदर्शी मित्र मुझे मिला यह मेरा सौभाग्य था। झीरम घाटी नक्सल हमले में उनकी शहादत छत्तीसगढ़ भुला नहीं पाएगा।
श्री बघेल ने कहा कि कर्मा जी ने छत्तीसगढ़ विधानसभा में विपक्ष के नेता और मंत्री के रूप महत्वपूर्ण जिम्मेदारियां संभाली और छत्तीसगढ़ के विकास में अपना अमूल्य योगदान दिया। श्री महेन्द्र कर्मा की स्मृतियों को चिरस्थाई बनाने के लिए राज्य सरकार ने बस्तर विश्वविद्यालय का नामकरण उनके नाम पर किया और उनके नाम पर प्रदेश के तेंदूपत्ता संग्राहक परिवारों के लिए सामाजिक सुरक्षा योजना प्रारंभ की गई है। श्री बघेल ने कहा कि कर्मा जी के विचार और जीवन मूल्य हमें हमेशा प्रेरित करते रहेंगे।
वहीं मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने अपने निवास कार्यालय में शहीद स्वर्गीय श्री महेंद्र कर्मा की जयंती की पूर्व संध्या पर उनके जीवन पर आधारित किताब ‘बस्तर टाइगर‘ का विमोचन किया। लेखक द्वय श्री कुणाल शुक्ला व प्रीति उपाध्याय द्वारा लिखी गई इस किताब में बस्तर टाइगर के नाम से लोकप्रिय शहीद महेंद्र कर्मा के जीवन के अनछुए पहलुओं को साझा किया गया है। लेखकों ने मुख्यमंत्री को बताया कि इस किताब के माध्यम से शहीद श्री महेंद्र कर्मा के आदिवासियों के विकास के प्रति उनकी सोच और लोकतांत्रिक मूल्यों के प्रति उनकी गहरी आस्था को पाठकों के समक्ष रखा गया है। शहीद श्री महेन्द्र कर्मा, गांधी-नेहरू के विचारों से प्रेरित रहे। वह आजीवन बस्तर में शांति के लिए प्रयास किया। किताब में शहीद श्री महेन्द्र कर्मा के सलवा जुड़ूम को लेकर विचार पहली बार पाठकों के सामने प्रस्तुत किए गए हैं। मुख्यमंत्री ने लेखक द्वय को किताब के प्रकाशन पर हार्दिक बधाई और शुभकामनाएं दी। इस अवसर पर श्री अभिषेक शुक्ला, श्रीमती ऋचा अग्रवाल, श्री अनिकेत तिवारी सहित अन्य लोग उपस्थित थे।
