सीएम के ड्रीम प्रोजेक्ट में वन विभाग कर रहा लापरवाही,प्रतिबन्ध के बावजूद लाल ईंट से बन रहा गोठान,रामवटीका का बाउंड्री वाल भी लाल ईटा से बन रहा

पखांजूर से बिप्लब कुण्डू-

पखांजूर–
छत्तीसगढ़ सीएम भूपेश बघेल के ड्रीम प्रोजेक्ट नरवा, गरवा,घुरवा,बाड़ी के तहत गांवो में गोठान का निर्माण करवाया जा रहा है।ताकि स्थानीय ग्रामीण गोठान के माध्यम से गोबर बेचकर आत्मनिर्भर बन सके।जिसके लिए गोठानो का निर्माण युद्धस्तर पर चल रहा है।
वन विभाग पश्चिम परलकोट अधिकारीओ द्वारा तिरलगढ़ में गोठान निर्माण का कार्य चल रहा है। परंतु वन विभाग के अधिकारियों के द्वारा सुप्रीम कोर्ट के आदेश की धज्जियां उड़ा रहे हैं, और खुलेआम धड़ल्ले से लाल इंट का प्रयोग किया जा रहा है ।जबकि वर्ष 2012-13 में सुप्रीम कोर्ट ने पर्यावरण संरक्षण हेतु लाल ईंट के प्रयोग पर प्रतिबंध लगाया है बावजूद इस और ना तो वन विभाग के अधिकारी ध्यान दे रहे हैं और ना ही जिम्मेदार विभाग के बड़े अफसर।अंदरूनी इलाका होने के चलते विभाग के बड़े अफसर ना तो किसी निर्माण कार्य का मॉनिटरिंग कर रहे हैं और ना ही शासन द्वारा जारी कोई दिशा निर्देश का पालन करवा रहे हैं।जिसका भरपूर फायदा उठाते हुए क्षेत्र में लगातार नियम विरुद्ध कार्य करवा कर शासन और कोर्ट के आदेशों को ठेंगा दिखाया जा रहा है।तिरलगढ़ में जो गोठान निर्माण का काम किया जा रहा है ,इसमें प्रतिबंधित लाल ईंट का उपयोग किया जा रहा है जो कि देखने से ही स्तरहीन मालूम पड़ता है। क्योंकि तमाम ईंट टुकड़े हो चुके हैं। प्रतिबंध के बावजूद भी लाल ईंट से गोठान का निर्माण कार्य जारी है।
गौरतलब है कि पर्यावरण की सुरक्षा का जिम्मा वन विभाग को ही है। परंतु पर्यावरण का संरक्षण करने के बजाय वन विभाग ही पर्यावरण के दोहन होने वाली कृत्य को बढ़ावा दे रहा है।क्योंकि लाल ईंट भट्टी में ईंटों को पकाने के लिए भट्टे में लकड़ियों को जलाकर भट्टी का जलाया जाता है। और साथ ही इसके अलावा इससे भट्टी से उठने वाले वायु से भी आसपास का वातावरण प्रदूषण होता है।तमाम चीजों से वाकिफ होने के बावजूद पर्यावरण के संरक्षण करने के बजाय पर्यावरण के दोहन को बढ़ावा दे रहा है।ऐसे में जब वन विभाग स्वयं पर्यावरण संरक्षण हेतु लिए गए दिशा निर्देश और आदेश का पालन नहीं कर रहा है,तो आम जनता पर अमल इसका क्या असर पड़ेगा।

बाउंड्रीवाल में भी लाल ईंट का प्रयोग–गौरतलब है कि बांदे से छोटेबेठिया मार्ग पर बन रहे रामवाटिका के पास बाउंड्रीवाल का निर्माण जारी है।वहां भी लाल ईट से निर्माण कार्य कराया जा रहा है।जबकि फ्लाई-एश ब्रिक्स से निर्माण कार्य किया जाना है।
बताना लाजमी होगा कि विभाग ने निर्माण स्थल पर निर्माण सम्बंधित कोई सूचना पटल भी नही लगाया है।जबकि निर्माण स्थल पर सूचना बोर्ड लगाना अनिवार्य होता है, जिसमे मद,लागत राशि,और निर्माण सम्बंधित तमाम चीजे अंकित होती है।लेकिन विभाग न कोई बोर्ड तक नही लगाया है।साथ ही रिजेक्ट हो चुके स्तरहीन गिट्टी से निर्माण कार्य चल रहा है।इसके अलावा नींव का नामो निशान नही है।नींव के नाम पर जमीन में एक ईट भी नही है।जमीनी स्तर पर ही निर्माण को सम्पन्न कराया जा रहा है।जो कि भ्रष्टाचार को जन्म देता है।

टेंडर विरुद्ध कार्य करने की खुली पोल–चिमनी ईंट का टेंडर होने का जिक्र वन विभाग के एसडीओ कर रहे है।तो वहीं टेंडर लेने वाले व्यक्ति अमित का कहना है कि राजनांदगांव से चिमनी ईंट मंगवाया गया है।साथ ही बिल होने का दावा भी कर रहे है।
जबकि निर्माण स्थल पर जिस ईंट से काम किया जा रहा है।वह ईंट न तो राजनांदगांव से आया है और न ही चिमनी ईंट है।बल्कि लोकल पी व्ही 87 से ईंट भट्टी से मंगवाया गया लाल ईंट है।जिससे निर्माण कार्य जारी है।अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि लोकल पी व्ही 87 के ईंट भट्टी से ईंट लाकर निर्माण कार्य करवाना और राजनांदगांव का चिमनी ईंट का बिल होने का दावा कई प्रकार के भ्रस्टाचार को जन्म देता है।पूरे मामले की जांच की जाए तो पूरे मामले की सच्चाई का पता चल जाएगा।

बड़े अधिकारी नही करते मॉनिटरिंग—
सबसे अहम बात है कि इलाके में वन विभाग के बड़े अफसर किसी कार्य का मॉनिटरिंग ही नही करता।अगर मॉनिटरिंग करते तो निश्चित ही नियम विरुद्ध चल रहे काम पर आपत्ति जताते।परन्तु सभी नियमो और सुप्रीम कोर्ट के आदेश को दरकिनार कर चल रहे निर्माण कार्य से यह कहना लाजमी होगा कि वन विभाग के बड़े ओहदे पर बैठे आला अफसर भी इस नियम विरुद्ध कार्य से अनजान नही है।

सुरेश कुमार पिपरे/एसडीओ पश्चिम परलकोट–निर्माण कार्य वन विभाग करवा रही है।जिसमे मटेरियल का टेंडर अमित तिवारी को मिला है। टेंडर में चिमनी ईट का प्रयोग करने का टेंडर हुआ है।

अमित तिवारी-निर्माण कार्य के लिए टेंडर मुझे मिला है।जिसमे मैं राजनांदगांव से चिमनी ईंट मंगवाकर काम करवाया जा रहा है।जिसका बिल भी मेरे पास है।

शासिगा नंदन,डीएफओ पश्चिम डिवीजन भानुप्रतापपुर–टेंडर विरुद्ध कार्य करवाया गलत है।मामले की जांच करवाता हु।यदि टेंडर विरुद्ध काम किया जा रहा है तो निश्चित ही दोषियो पर कार्रवाही की जाएगी।

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