

श्री पीताम्बरा पीठ सुभाष चौक सरकंडा बिलासपुर छत्तीसगढ़ स्थित त्रिदेव मंदिर में गुप्त नवरात्र के आठवे दिन एवं पीताम्बरा यज्ञ के नवे दिन माँ श्री ब्रह्मशक्ति बगलामुखी देवी का विशेष पूजन श्रृंगार किया जाएगा।पीठाधीश्वर आचार्य दिनेश जी महाराज ने बताया कि दस महाविद्या में आठवीं माँ ब्रह्मशक्ति बगलामुखी है। माता बगलामुखी पीली आभा से युक्त हैं इसलिए इन्हें पीताम्बरा कहा जाता है। बगलामुखी की पूजा में पीले रंग का विशेष महत्व है।बगला शब्द संस्कृत भाषा के वल्गा का अपभ्रंश है, जिसका अर्थ होता है दुल्हन है। अत: माँ के अलौकिक सौंदर्य और स्तंभन शक्ति के कारण ही इन्हें यह नाम प्राप्त है। बगलामुखी देवी रत्नजडित सिहासन पर विराजती होती हैं। रत्नमय रथ पर आरूढ़ हो शत्रुओं का नाश करती हैं। देवी के भक्त को तीनों लोकों में कोई नहीं हरा पाता, वह जीवन के हर क्षेत्र में सफलता प्राप्त करता है।

एक बार सतयुग में महाविनाश उत्पन्न करने वाला ब्रह्मांडीय तूफान उत्पन्न हुआ, जिससे सम्पूर्ण सृष्टि का नाश होने लगा और और संसार की रक्षा करना असंभव हो गया। यह तूफान सब कुछ नष्ट करता हुआ आगे बढ़ता जा रहा था, जिसे देख कर भगवान विष्णु चिंतित हो गए। इस समस्या का कोई उपाय ना पाकर वह भगवान शिव का स्मरण करने लगे।भगवान शिव ने प्रकट होकर भगवान् विष्णु से कहा कि भगवती शक्ति के अतिरिक्त अन्य कोई इस विनाश को रोक नहीं सकता अत: आप उनकी शरण में जाएँ, तब भगवान विष्णु ने हरिद्रा सरोवर के निकट पहुँच कर कठोर तप किया और महात्रिपुरसुंदरी को प्रसन्न किया। देवी शक्ति उनकी साधना से प्रसन्न हुई और सौराष्ट्र क्षेत्र की हरिद्रा झील में जलक्रीडा करती महापीत देवी के हृदय से दिव्य तेज के साथ प्रकट हुई।चतुर्दशी की रात्रि को माँ भगवती आदिशक्ति ‘देवी बगलामुखी’ के रूप में प्रकट हुई। त्र्येलोक्य स्तम्भिनी महाविद्या भगवती बगलामुखी नें प्रसन्न हो कर विष्णु जी को इच्छित वर दिया और तब सृष्टि का विनाश रूक सका। यह देवी ब्रह्मास्त्र रूपिणी हैं। तथा सिद्ध विद्या हैं। देवी बगलामुखी स्तंभन की देवी हैं।देवी बगलामुखी को बीर रति भी कहा जाता है, क्योंकि देवी स्वयं ब्रह्मास्त्ररूपिणी हैं। इनके शिव को एकवक्त्र महारुद्र कहा जाता है इसीलिए देवी सिद्ध विद्या हैं। तांत्रिक इन्हें स्तंभन की देवी मानते हैं।गृहस्थों के लिए देवी समस्त प्रकार के संशयों का शमन करने वाली हैं। कलयुग में माँ श्री ब्रह्मशक्ति बगलामुखी देवी के समान दूसरी कोई सिद्ध विद्या नहीं है।

बगलामुखी महाविद्या के तीन प्रमुख उपासक थे- सबसे पहले सृष्टिकर्ता ब्रह्मा, दूसरे जगत के पालन करता भगवान विष्णु और तीसरे भगवान परशुराम। इनके अलावा सनक, नंदन, सनातन, सनत कुमार, देवर्षि नारद, सांख्यायन, परमहंस द्रोणाचार्य, युधिष्ठिर, राजा नल, लंकापति रावण, विश्वामित्र आदि भी मां बगलामुखी के विशेष उपासक थे।शास्त्रों के अनुसार तंत्र का अर्थ है— व्यवस्थित और सुनियोजित ढंग से किया गया कार्य। तंत्र विद्या द्वारा नामुमकिन कार्य को भी मुमकिन किया जा सकता है।
बगलामुखी देवी की उपासना विशेष रूप से वाद-विवाद,शास्त्रार्थ,मुकदमे में विजय प्राप्त करने के लिए, अकारण कोई आप पर अत्याचार कर रहा हो तो उसे रोकने,सबक सिखाने,बंधन मुक्त,संकट से उद्धार,शत्रु को पराजित करने में, शत्रुओ का नाश करने में, कोर्ट कचहरी के मामलो में, सम्मोहन में, आकर्षण में, उच्चाटन के लिए, गुप्त शत्रु बाधा, राजनीती में स्थायित्व हेतु, सर्वत्र विजय प्राप्ति हेतु, न्यायालयीन बाधा, कर्ज से मुक्ति के लिए, उपद्रवो की शांति,ग्रहशांति,विद्या प्राप्ति, विवाह में आ रही समस्याओं के समाधान हेतु,संतान प्राप्ति के लिए विशेष फलदाई है। भवदीय पं. मधुसूदन पाण्डेय 'व्यवस्थापक' "श्री पीताम्बरा पीठ" सुभाष चौक सरकण्डा बिलासपुर छत्तीसगढ़ मो. नं.- 7354678899
