गुरु घासीदास सेंट्रल यूनिवर्सिटी बना जंग का अखाड़ा छात्र परिषद चुनाव टलने से नाराज छात्रों ने रोक दी पढ़ाई

आलोक

 घासीदास केंद्रीय विश्विद्यालय में छात्र परिषद चुनाव टालने के साथ ही नए अधिसूचना जारी होने पर विश्विद्यालय के छात्रसंगठन विरोध पर उतर आए है। जिसके कारण मंगलवार की ही तरह बुधवार को दिनभर विद्यार्थियों और छात्रसंघ पैनेल के सदस्यों के द्वारा विश्विद्यालय के प्रशासनिक भवन के सामने विद्यार्थियों का विरोध प्रदर्शन चलता रहा। वही विश्विद्यालय के प्रोफेसर के साथ चुनाव अधिकारी लगातार विद्यार्थियों और छात्रसंघ को समझते रहे। लेकिन विद्यार्थी मौजूदा छात्र परिषद चुनाव के अंतर्गत ही चुनाव कराने की मांग पर आड़े रहे। 

इन दिनों देशभर के शैक्षणिक संस्थान शिक्षा के लिए कम और राजनीतिक अखाड़ा ज्यादा बनकर रह गए है। कभी ऑनलाइन आवेदन का विरोध पर हिंसा का सहारा लेना हो तो कभी छात्र परिषद चुनाव में शिक्षा को छोड़ आंदोलन का सहारा लेना हो सभी मुद्दों पर नुकसान केवल शिक्षा का ही हो रहा है। विगत दो दिनों से कोनी स्थित गुरु घासीदास केंद्रीय विश्विद्यालय में यही स्थिति देखने को मिल रही है। दरअसल केंद्रीय विश्विद्यालय में 24 जनवरी को छात्र परिषद के लिए चुनाव को सम्पन्न कराया जाना था। इसके लिए विश्विद्यालय ने चुनाव में शामिल होने वाले विभिन्न कक्षाओं के विद्यार्थियों को नामांकन करने की प्रक्रिया प्रारंभ की ।नामांकन की तिथि खत्म होने के बाद स्क्रूटनी के दौरान रूरल टेक्नोलॉजी डिपार्टमेंट में 12 फॉर्म वितरित किया गया था। लेकिन स्क्रूटनी के दौरान 13 नामांकन प्राप्त हुए। जिसके बाद विश्विद्यालय प्रबंधन ने चुनाव टालने के निर्णय लिया। लेकिन कर्मचारियो की गलती से चुनाव को रद्द करने का विरोध चुनाव में भाग्य आजमाने वाले प्रत्याशी करने लगे। लेकिन विश्विद्यालय प्रबंधन ने अपनी गलती को छिपाने पूरी चुनावी प्रक्रिया को नए सिरे से कराने पर निर्णय लेते हुए मंगलवार को नई चुनावी प्रक्रिया के लिए अधिसूचना जारी कर दी। जिसके बाद से विद्यार्थी के साथ छात्रसंगठन के द्वारा विश्विद्यालय प्रबंधन के इस निर्णय का विरोध किया जा रहा है। बुधवार को सेंट्रल विश्विद्यालय के छात्रसंघ के साथ विद्यार्थियों ने चुनावी प्रक्रिया को यथावत रखने के लिए प्रशासनिक भवन का घेराव करते हुए धरने पर बैठ गए। इस दौरान छात्रसंघ और विद्यार्थियों ने विश्विद्यालय प्रबंधन पर आरोप लगाते हुए कहा कि प्रबंधन जानबूझकर चुनाव को नए सिरे से करा रहा है । विरोध प्रदर्शन को देखते हुए विश्विद्यालय के चुनाव प्रभारी और प्रोफेसर प्रत्याशियों के साथ छात्रसंघ के सदस्यों को समझने पहुचे।लेकिन धरने पर बैठे सभी विद्यार्थी और सदस्य विश्विद्यालय प्रबंधन से एक ही मांग कर रहे थे। कि चुनाव की तिथि को भले आगे बढ़ा दिया जाए लेकिन नए सिरे से नामांकन प्रक्रिया को न कराए जाएं। प्रबंधन के द्वारा चुनाव के गाइडलाइंस से भी विद्यार्थियों को अवगत कराया गया। परंतु विद्यार्थी नई अधिसूचना को निरस्त करने की मांग पर आड़े रहे। जिसके बाद प्रोफेसर और चुनाव प्रभारी ने सभी मांगो से कुलपति को अवगत कराया। विश्विद्यालय प्रबंधन का कहना है कि 40 सदस्यीय छात्र परिषद में 20 सदस्य मनोनीत तो 20 सदस्य चुनावी प्रक्रिया के तहत आते है। जो छात्र परिषद के अध्यक्ष,उपाध्यक्ष,सचिव और सह सचिव का चुनाव करते है। ऐसे में अब एक डिपार्टमेंट के चुनाव रोक दिया जाता है तो चुनावी प्रक्रिया रुक जाएगी। जिसके कारण नए सिरे से चुनाव प्रक्रिया को कराने का निर्णय लिया गया है। वही एक नामांकन कैसे अधिक आया है उसकी जांच की जा रही है। 

मामले का दिलचस्प पहलू यह है कि यहां काबिज ब्रदर हुड पैनल विश्वविद्यालय प्रबंधन पर एबीवीपी समर्थित संघर्ष पैनल के पक्ष में काम करने का आरोप लगा रहा है तो वहीं संघर्ष पैनल का आरोप भी इससे जुदा नहीं है। 1 दिन पहले विश्वविद्यालय प्रबंधन का पुतला फूंकते हुए संघर्ष पैनल ने प्रबंधन द्वारा ब्रदर हुड पैनल के हित में काम करने का आरोप लगाया  था । छात्र राजनीति के चलते विश्वविद्यालय परिसर अखाड़ा बनकर रह गया है। नारेबाजी धरना प्रदर्शन और बंद हड़ताल से पढ़ाई प्रभावित हो रही है। यूनिवर्सिटी के छात्र चक्का जाम कर रहे हैं। वहीं इस मामले में कुलपति प्रोफेसर अंजिला गुप्ता की बेरुखी भी उन्हें भड़काने का ही काम कर रही है। छात्र संघ चुनाव को लेकर विश्वविद्यालय प्रबंधन की उदासीनता ही विवाद का जड़ है, वही धीरे-धीरे छात्रों का गुस्सा गुटीय संघर्ष में तब्दील होता दिख रहा है, जिससे यहां शांति व्यवस्था भी प्रभावित हो रही है। विश्वविद्यालय परिसर की शांति व्यवस्था बहाल रहे, इसके लिए छात्र परिषद चुनाव को जल्द से जल्द कराने की आवश्यकता है। वही इस बहाने ऐसे छात्र नेताओं को पनपने का कोई अवसर नहीं मिलना चाहिए जो बिलासपुर के सेंट्रल यूनिवर्सिटी गुरु घासीदास विश्वविद्यालय को भी जेएनयू और एएमयू बना दे।

इधर आरोप प्रत्यारोप और विवाद के बीच बुधवार को प्रबंधन के अधिकारियों के बीच बैठकों का दौर चलता रहा। लेकिन देर शाम तक किसी एक निर्णय तक नही पहुचा जा सका। इस बीच विश्विद्यालय की शिक्षा भी पूरी तरह से ठप हो गई। 

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

error: Content is protected !!