डेस्क

बुधवार को उस वक्त हंगामे की स्थिति उत्पन्न हो गई जब नगर निगम का अमला सिम्स चौक के पास स्थित दक्षिण मुखी हनुमान मंदिर को तोड़ने पहुंच गया । आज से करीब 40 साल पहले इसी स्थान पर एक दुर्घटनाग्रस्त वानर की मृत्यु हुई थी जिसके बाद स्थानीय नागरिको ने  हनुमान स्वरूप वानर की समाधि बनाकर यहां दक्षिण मुखी हनुमान मंदिर का निर्माण किया था। बताते हैं इससे पहले यहां गंदगी का ढेर हुआ करता था। हनुमान मंदिर बनने से यह जन आस्था का केंद्र बन गया ।करीब 40 साल पुराने इस हनुमान मंदिर को एक बार फिर से नगर निगम ने ढहाने की कोशिश की। स्थानीय नागरिकों का आरोप है कि जब जब सत्ता में हिंदू विरोधी कांग्रेस काबिज होती है, तब तब हिंदू आस्था के साथ इसी तरह का खिलवाड़ किया जाता है। जोगी शासनकाल में भी इसी तरह इस मंदिर को ढहाने की चेष्टा हुई थी लेकिन उस वक्त स्वयं कांग्रेसी विधायक ठाकुर बलराम सिंह और अन्य नेताओं ने भी इसका पुरजोर विरोध किया था, जिसके कारण नगर निगम अपने मकसद में कामयाब नहीं हो पाई थी ।

कई दशकों बाद बिलासपुर नगर निगम में कांग्रेस का कब्जा होते ही एक बार फिर से कांग्रेस ने अपना असली चेहरा दिखाना शुरू कर दिया है। स्थानीय नागरिकों ने हंगामा मचाते हुए कहा कि बिलासपुर शहर में जगह-जगह बेजा कब्जा है। स्वयं सिम्स के आसपास और पूरे सदर बाजार में सड़क के किनारे फुटपाथ पर दुकानें लग रही है, जिससे यातायात अव्यवस्थित हो रही है लेकिन कांग्रेस के महापौर को सिर्फ हिंदू आस्था का केंद्र हनुमान मंदिर ही खटक रहा है। उन्होंने इसे ही कांग्रेस का चरित्र बताते हुए कहा कि इससे पहले भी पीछे एक मंदिर का निर्माण कर इस मंदिर को वहां स्थानांतरित करने की योजना बनाई गई थी लेकिन जन आस्था का विषय होने से लोगों ने इसे स्वीकार नहीं किया। 40 साल पहले पंडित मुरारी लाल शर्मा द्वारा स्थापित दक्षिण मुखी हनुमान मंदिर को तोड़ने के मकसद से पहले यहां महापौर रामशरण यादव भूमि पूजन के लिए पहुंचे जिसके बाद पहुंचे नगर निगम के अमले ने जैसे ही मंदिर को ढकना शुरू किया तो विरोध में बड़ी संख्या में स्थानीय नागरिक  इकट्ठा हो गए, जिसके बाद नगर निगम के अमले को अपना कदम वापस खींचना पड़ा। लोगों ने आरोप लगाते हुए कहा कि महापौर के नाम में भले ही राम छुपा हो लेकिन वे कैसे राम है जो हनुमान मंदिर को तोड़ने पर उतारू है । सिम्स चौक पर स्थित 40 साल पुराने हनुमान मंदिर को तोड़ने के नाम पर यहां हंगामे की स्थिति है क्योंकि मसला धार्मिक आस्था से जुड़ा हुआ है इसलिए यह संवेदनशील बन गया है। हैरानी इस बात की है कि जब पहली बार कांग्रेस की सरकार छत्तीसगढ़ में बनी थी तब भी इसे तोड़ने का प्रयास किया गया था और जब वापस दोबारा कांग्रेस की सरकार बनी है तब भी इसे तोड़ने की कोशिश की जा रही है। बीच में भाजपा के शासनकाल में इस तरह का प्रयास ना होने से लग रहे पक्षपात के आरोप को बल मिल रहा है। यहां जुटी भीड़ ने स्पष्ट कहा कि वे किसी भी कीमत पर दक्षिण मुखी हनुमान मंदिर को टूटने नहीं देंगे ।साथ ही लोगों ने यह भी कहा कि क्या नगर निगम किसी मस्जिद या चर्च को इसी तरह तोड़ने की हिम्मत दिखा सकता है ?  बहुसंख्यक होने के बावजूद केवल हिंदू आस्था पर ही इस तरह के प्रहार को बर्दाश्त नहीं करने की बात यह कही जा रही है।

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