
छत्तीसगढ़ में अगर कांग्रेस को 15 साल बाद सत्ता का स्वाद मिला है तो उसके पीछे किसानों की महत्वपूर्ण भूमिका रही है ।2500 रु में धान खरीदी और किसानों के एक-एक दाना खरीदने के दावे से ही प्रभावित होकर प्रदेश में उन्हें प्रचंड बहुमत मिला लेकिन आज धान खरीदी मुद्दे पर ही प्रदेश की सरकार चौतरफा घिरती नजर आ रही है। पहले तो धान खरीदी देर से शुरू की गई, जिसके बाद खरीदी केंद्रों में बारदाना की कमी के चलते करीब साढे 8 हज़ार किसान अपना धान बेच नहीं पाए ।हालांकि सरकार का दावा है कि 130 समितियों से 47 लाख क्विंटल धान इस बार खरीदी गई है जो विगत वर्ष से 2 लाख क्विंटल अधिक है ।एक तरफ प्रदेश का किसान अपना धान बेच नहीं पाया तो वही सरकार लक्ष्य से अधिक धान खरीदी के दावे कर रही है । इससे लगता है कि इस बार भी प्रदेश में बाहर का धान खपा दिया गया।
इधर किसानों के इस मामले में मुखर होने के बाद प्रदेश में पुलिस द्वारा किसानों पर लाठीचार्ज के मामले को भारतीय जनता पार्टी ऐसे ही हाथ से जाने नहीं देना चाहती ।शनिवार को बिलासपुर के डॉक्टर श्यामा प्रसाद मुखर्जी चौक में भारतीय जनता पार्टी ने एक दिवसीय धरना प्रदर्शन कर राज्यपाल के नाम ज्ञापन दिया। यहां वक्ताओं ने प्रदेश सरकार पर आरोपों की बौछार करते हुए कहा कि किसानों के साथ छलावा किया जा रहा है। राहत की बजाय उन्हें आहत किया जा रहा है। जबकि भारतीय जनता पार्टी के शासनकाल में धान खरीदी की बेहतर व्यवस्था स्थापित हो चुकी थी।
धरना प्रदर्शन में पूर्व मंत्री अमर अग्रवाल सांसद अरुण साव, विधायक डॉक्टर कृष्णमूर्ति बांधी, रजनीश सिंह ,
जिला अध्यक्ष रामदेव कुमावत सहित कई भाजपा नेता मौजूद रहे । जिन्होंने प्रदेश सरकार पर वादाखिलाफी का आरोप लगाते हुए धान खरीदी की अवधि कम से कम 15 दिन और बढ़ाने की मांग की।
जाहिर है धान खरीदी के मुद्दे ने अब सियासी रंग लेना शुरू कर दिया है। प्रदेश कांग्रेस सरकार को घेरने का कोई भी मौका भारतीय जनता पार्टी हाथ से जाने नहीं देना चाहती, तो वहीं प्रदेश की सरकार धान खरीदी मुद्दे पर फिलहाल तो बैकफुट पर नजर आ रही है। किसान भी सरकार से नाखुश है। करीब साढे 8000 किसान अपना धान नहीं बेच पाए है, जिनकी नाराजगी का सामना भी सरकार को करना होगा। बड़ा सवाल यह है कि शेष बचे किसान अब क्या करेंगे, तो वही भारतीय जनता पार्टी ने किसानों की मांग पूरी न होने तक लगातार आंदोलन करने की चेतावनी दी है। जाहिर है इस सूरते हाल से बघेल सरकार की मुसीबत बढ़ने ही वाली है।