समारोह के दौरान वेशभूषा चयन में भारतीय संस्कृति का खास ख्याल रखा गया था। कोसा के बने कुर्ता पायजामा साड़ी जैकेट साफा और पटका में अतिथि और उपाधि धारी शोभा यात्रा के साथ समारोह स्थल पहुंचे। इस दीक्षांत समारोह में 74 छात्रों को विश्वविद्यालय स्वर्ण मंडित पदक और 75 विद्यार्थियों को पीएचडी की उपाधि प्रदान की गई। साल दो हजार अट्ठारह उन्नीस के लिए विज्ञान विद्यापीठ की छात्रा और विश्वविद्यालय की टॉपर क्विनी यादव को गुरु घासीदास पदक प्रदान किया गया। उन्हें दो मेडल मिले । राष्ट्रपति ने जिज्ञासा वश उनसे पूछा कि उनके नाम का सही उच्चारण क्वीन है या क्विनी ? क्विनी के अलावा राष्ट्रपति के हाथों अन्य और 8 विद्यार्थियों को उपाधि और मेडल प्रदान किये गए।
यहां अपने उद्बोधन में महामहिम राष्ट्रपति ने छत्तीसगढ़ की संस्कृति के साथ रतनपुर और गुरु घासीदास का उल्लेख करते हुए महान परंपरा का जिक्र किया ।उन्होंने कहा कि देश भर में छत्तीसगढ़ी संस्कृति सराही जाती है। उन्होंने गुरु घासीदास केंद्रीय विश्वविद्यालय के प्रबंधन से आग्रह किया कि वो राज्य के विश्वविद्यालयों से प्रेरणा लेकर खुद को सभी दिशाओं में अपग्रेड करें ।राष्ट्रपति ने उम्मीद जताई कि आने वाले वर्षों में बिलासपुर का गुरु घासीदास केंद्रीय विश्वविद्यालय देश के चोटी के 10 विश्वविद्यालयों की सूची में शामिल होगा। 1 घंटे से कुछ अधिक वक्त तक चले समारोह के बाद मुख्य अतिथि राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद पंडित सुंदरलाल शर्मा मुक्त विश्वविद्यालय परिसर में बने हेलीपैड से राजधानी रायपुर के लिए रवाना हो गए।