

मो नासीर
एक पुरानी कहावत है अनाड़ी का खेलना ,खेल का सत्यानाश। कुछ ऐसा ही हाल सिम्स एम आर डी का हुआ है । 29 फरवरी को यहां एमआरडी में पंजीयन करने वाले ठेका कंपनी नेशनल कंप्यूटर का ठेका समाप्त हो गया, जिसके बाद सिम्स के एमआरडी विभाग के कर्मचारियों ने यहां पंजीयन की जिम्मेदारी संभाल ली है, लेकिन अनुभव हिनता उनके आड़े आ रही है। इस काम का अनुभव ना होने से यहां पंजीयन में अतिरिक्त समय लग रहा है और इसी कारण से मरीजों की लंबी कतार नजर आ रही है। 1 मार्च रविवार होने से यहां होने वाली दिक्कत सतह पर नहीं आ पाई थी लेकिन सोमवार को जैसे ही मरीजों की बड़ी संख्या पहुंची तो बदहाली उभर कर सामने आ गई।
1 मार्च से यहां पंजीयन के लिए आधार कार्ड और मोबाइल नंबर भी दर्ज करना जरूरी हो गया है। जाहिर है इस कारण से यहां अतिरिक्त समय लग रहा है। सिम्स का तर्क है कि मरीजों का आधार कार्ड और मोबाइल नंबर दर्ज होने से डाटाबेस सर्वर में उनकी सारी जानकारियां स्टोर हो जाएगी और बाद में जब भी मरीज पंजीयन कराने पहुंचेंगे तो उनकी सारी जानकारियां सिम्स के पास उपलब्ध होगी। चूंकि यह जानकारी अधिकांश मरीजों को नहीं थी इसलिए सोमवार को जब यहां पंजीयन कराने मरीज और उनके परिजन पहुंचे तो उन्हें काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ा। ओपीडी के पंजीयन के लिए हालांकि पहले की तरह ही शुल्क ₹10 ही लिया जा रहा है। एक बार पंजीकरण के बाद मरीज 7 दिन तक पर्ची से इलाज करा पाएंगे। 7 दिन तक पर्ची मान्य रहेगी, इसके बाद फिर से ₹10 का शुल्क जमा करना होगा। पहले यह काम नेशनल कंप्यूटर के कर्मचारी कर रहे थे, लेकिन अब यह जिम्मेदारी सिम्स के ही पुराने कर्मचारी कर उठा रहे हैं। इस कारण से सोमवार को एम आर डी में मरीजों की लंबी-लंबी कतार नजर आई। गंभीर रूप से परेशान मरीजों को इलाज में बेवजह अतिरिक्त वक्त लगा। लंबी कतार और पर्ची बनने में देर होने से लोगों में आक्रोश भी नजर आया। सिम्स प्रबंधन के इस नए प्रयोग का हर तरफ विरोध नजर आ रहा है। यहां एक से अधिक बार विवाद की स्थिति भी निर्मित हो गई, जिसकी खबर पाकर डिप्टी एमएस एमआरडी पहुंचे भी लेकिन नए नियमों का हवाला देकर उन्होंने भी हाथ खड़ा कर दिया । जाहिर है अब यह सब कुछ यहां रोज की बात होगी। नए अनाड़ी कर्मचारियों के चलते यहां पंजीयन में विलंब हो रहा है तो वही पंजीयन के दौरान नई नई जानकारियां जोड़े जाने से भी अतिरिक्त समय लग रहा है। देखना होगा कि इससे निपटने सिम्स क्या कदम उठाता है। कहीं यह समस्या स्थाई हो गई तो फिर मरीजों की परेशानी यहां और बढ़ेगी।
