
इस शुक्रवार को ऑल इंडिया गाईस कॉसिल के आवाहन पर ट्रेन मैनेजरों ने समस्त भारत में धरना प्रदर्शन किया। बिलासपुर मंडल के ट्रेन मैनेजरों ने ए आई जी सी के नेतृत्व में एक बाइक रैली निकाली और मंडल रेल प्रबंधक के कार्यालय के सामने धरना दिया। बाद में उन्होंने अपने प्रमुख मांगो को लेकर मंडल रेल प्रबंधक के माध्यम सेसीईओ रेलवे बोर्ड को ज्ञापन सौंपा। ट्रेन मैनेजरों की प्रमुख मांग रेलवे बोर्ड द्वारा 21 मई को जारी पत्र को वापस लेना और सभी गाड़ियों में गार्ड लाइन बॉक्स की व्यवस्था पुनर्बहाल करते हुए पूर्ववत रखना है। ज्ञात हो किस भी ट्रेनों के इंजन और ब्रेकयानः एक लाइन बॉक्स चढ़ाया जाता है जिसमे रेल सरक्षा से संबंधित आवश्यक उपकरण और प्राथमिक उपचार का साजो समान होता है जिसे बॉक्स पोर्टर की सहायता से चढ़ाया और उतारा जाता है। परन्तु बिलासपुर मंडल में कोरोना काल की आड़ में माल गाड़ियों के ब्रेकयान में लाइन बॉक्स चढ़ाना बंद कर दिया गया और ट्रेन मैनेजरों को रेलवे का ये सामान ढोने के लिए बाध्य किया जा रहा है। 21 फरवरीको रेलवे बोर्ड के पत्र के द्वारा पेटी की जगह ट्रॉली बैग देने का एक तरफा निर्णय लिया गया है जिसे ढोने का काम ट्रेन मैनेजरों को कुली की तरह करना होगा। इसी बात का वे विरोध कर रहे हैं क्योंकि इस ट्रॉली मे संरक्षा उपकरणों कुल संख्या 23 और वजन करीब 15 किलो होगा। इस ट्रॉली के अलावा उन्हें प्रकृति के विषम परिस्थितियों में काम करते हुए अपना निजी आवश्यक सामान का एक बैग और खाना पानी का एक थैला भी ढोना होता है। ऐसी स्थिति में इतना -अधिक भार लेकर उबर खाबड़ रास्तों और रेल लाइन पर बरसात में और रात में चलना दुष्कर है। ट्रॉली बैग के विरोध का एक और मुद्दा यह है कि इसमें 10 डेटोनेटर (विस्फोटक) होता है जिसे सार्वजनिक स्थान / घर तक ढोकर लाना गैरकानूनी और किसी बड़े दुर्घटना को निमंत्रण देना होगा। जैसा कि सार्वजनिक जगह पर विस्फोटक का परिवहन निषिद्ध है। ट्रॉली बैग चालू होने से पेटी चढ़ाने वाले गरीब कर्मचारियों की आजीविका भी छिन जाएगी और बेरोजगारी बढ़ेगी। बिलासपुर में एआईजीसी के इस विरोध का समर्थन ऑल इंडिया लोकोरनिंग स्टाफ एसोसिएशन के साथ-साथ अन्य सभी रेल कर्मचारी संगठनों ने भी किया है।
