बिलासपुर। श्रमिक संगठनों की देशव्यापी हड़ताल को नाजायज ठहराते हुए एनएफआईटी ,आरसीएमसी और एचएमकेपी ने हड़ताल में शामिल नही होने का निर्णय लिया है। श्रमिक परिवार और जनता हमारे समर्थन में है और वह हड़ताल पर नहीं गयी। इसके लिये हमारी संगठन ने जनता जनार्दन और हमारे श्रमिक परिवार का आभार माना है।
प्रेस क्लब में नेशनल फ्रंट आफ इंडिया ट्रेड यूनियंस के राष्ट्रीय अध्यक्ष डा. दीपक जायसवाल, प्रदेश अध्यक्ष ईश्वर सिंह चंदेल और राष्ट्रीय महामंत्री रजनीश सेठ ने पत्रकारों को बताया कि हमारा श्रमिक परिवार पुरी तरह से जागरूक हो चुका है और समझ चुका है कि इन संगठनों द्वारा आहूत हडताल से मजदूर वर्ग का कोई हित तो नहीं होगा बल्कि ऐसे हड़तालों का आहवान सिर्फ मजदूर वर्ग की मजबूरियों को मापने के लिये करते है जैसा कि ये पहले से करते आ रहे है। धूप में परेड कराकर एक स्थान पर एकत्रित कर तथाकथित बयानबाजी कर अपने संगठन से संबंधित मृतप्रायः राजनैतिक दलों के हितों को बचाने का प्रयास मात्र होता है। इसके अलावा कार्यक्षेत्र चाहे वे निजी उपक्रम या सार्वजनिक नियोक्ता के साथ विभिन्न कमेंटियों में पद हासिल करके मजदूरों के हितों को कुचलने का साजिश रचते रहते है।
उन्होंने कहा कि एनटीपीसी, भेल रेलवे, कोल इण्डिया लिमिटेड में ही क्यों न हो सब जगह नियोक्ता के साथ मजदूर नेता के रूप में विभिन्न कमेंटियों में शामिल होकर मजदूर विरोधी मुद्दों पर विरोध हो या न हो पर सदस्यता के नाम पर भव्य समारोहों का आयोजन, बड़ी – बड़ी होटलों में आलीशान बैठकें करने के साथ और कभी कई सुविधाओं का लाभ लेने का जो स्वाद चख रहे हैं वह स्वाद ये बिगाडना नहीं चाहते। उदाहरण के तौर पर यदि एसईसीएल में ही देखे तो जेबीसीसीआई या जेसीसी का हाल देख लिजिये , श्रमिक संगठनों के नाम पर कोई जायज पंजीकृत श्रमिक संगठनों के सदस्यों को नहीं रखा गया है बल्कि अवैध मजदूर संगठनों के लोगों को रखा तथा नियोक्ता और इसके सदस्य करोड़ों रूपये की घपलेबाजी में शामिल है। मजदूरों के अधिकारों को पूरी तरह कुचला जा रहा है लेकिन इन कमिटियों में कभी भी मजदूरों की समस्याओं को शामिल नहीं किया जाता है और न ही उनकी आवाज उठाई जाती है। फण्ड का दुरूपयोग कर गाढ़ी कमाई तो की ही जा रही है इसके अलावा कंपनी की चल अथवा अचल संपत्ति पर भी कब्जा किया जा रहा है। जेबीसीसीआई और जेसीसी में बल पूर्वक सम्मिलित तथा कथित गैर – मान्यता प्राप्त संगठन कामगारों से करोड़ों रुपये की वसूली उनकी सैलरी से प्रबंधन करता है और इनकी गाढ़ी कमाई की लूट होती है। क्या किसी संगठन के पदाधिकारी ने जेबीसीसीआई और जेसीसी से पद त्याग किया ? उनका ध्येय केवल मजदूरों की मेहनत पर मौज मस्ती करना मात्र है। कोयला कंपनियों में संवैधानिक एवं वैध संगठनों के स्थान पर अवैध सगठनों को शामिल कर रखा है तथा ठेकेदारी प्रथा में स्वयं भी शामिल होकर अनुचित लाभ भी कमा रहे है । जहाँ ये मजदूरों को नौकरी पर रखकर भू – विस्थापितों के साथ धोखा कर रहे है , जाली दस्तावेज एवं फर्जी कर्मी एवं अन्य विरोधी कार्यों में लिप्त है । माईन्स एक्ट एण्ड रेगुलेशन का पालन भी नहीं हो रहा है तथा धड़ल्ले से नियमों का उल्लंघन हो रहा हैं। वास्तव में इस हड़ताल का मुख्य केन्द्र बिन्दु मजदूर हित न होकर अपनी स्वार्थ सिद्धि का जरिया है । जब भी श्रम मंत्री के साथ , श्रम मंत्रालय के अधिकारियों के साथ या फिर कोयला मंत्री या सचिव के साथ या कोल इण्डिया के अधिकारियों के साथ बैठकें चलती हैं तो कोई भी जेबीसीसीआई या जेसीसी के सदस्य मजदूरों की बिगड़ती हाल पर चर्चा नहीं करते हैं और न ही इन मुदों को उठाते है। अगर वास्तव में ये मजदूर हितैषी है तो विभिन्न श्रम कल्याण संगठनों अथवा जेबीसीसीआई या जेसीसी से इस्तीफा देकर अपना विरोध प्रकट क्यों नहीं करते हैं । हमेशा मजदूरों की दिहाड़ी कटवाकर उन्हें आर्थिक एंव मानसिक नुकसान करके तथा काम रोककर देश की अर्थव्यवस्था को नुकसान पहुँचाने के लिये ही प्रयासरत क्यों रहते है ? ऐसे कृत्यों को गैर कानूनी करार देना चाहिये तथा इन पर बैन लगाना चाहिये जो देश तथा देश के श्रमिक परिवार को गुमराह करने में लगे रहते हैं ।
उन्होंने दावा किया कि एन.एफ.आई.टी.यू. एक श्रमिक संगठन होने के नाते उसका रिश्ता भारत की कामगार किसान एवं मजदूरों के हितों से सीधा जुड़ा है और देश तथा देश की कमाने वाली जनता के प्रति इसका अहम् कर्तव्य भी है कि सरकार द्वारा चलायी जा रही श्रम कल्याण योजनाओं को सरकार के साथ भागीदारी करते हुये अपने श्रमिक परिवार के भाईयों, बहनों को लाभ पहुँचाकर उनकी जिन्दगी को बेहतर बनाने के लिये प्रयासरत रहे। हम पुनः कहते है कि ऐसे हड़ताल की घोषणा अनैतिक है और एन एफ.आई.टी.यू. इसमें शामिल नहीं है और इस हड़ताल की घोषणा की निंदा करता है।
श्री जायसवाल ने दावा किया कि देश की सबसे बड़ी कंपनी एस ई सी एल में 75 फीसदी कामगार हड़ताल में शामिल नही है लेकिन उन्हें हड़ताली संगठनों के लोग बलपूर्वक काम पर जाने से रोक रहे है ।