
पखांजुर से बिप्लब कुण्डू–22.2.22

पखांजुर–
आदिवासी विकास शाखा के माध्यम से क्षेत्र के 2 आश्रम एवं 2 छात्रावास भवनों में मरम्मत कार्य कराया गया था, जिसमें भारी अनियमितता की गयी है। इस्टीमेट के हिसाब से कोई भी कार्य नहीं हुआ है और ठेकेदार को पूर्ण भुगतान करा दिया गया है। इस मामले को लेकर प्रमुखता से समाचार प्रकाशित किया गया तथा जांच हेतु जिला कलेक्टर से शिकायत भी की गयी है। मामला उजागर होने के बाद से विभाग में हड़कम्प मचा हुआ है और फटकार लगने के बाद ठेकेदार ने पुनः भवनों में पोताई व रँगाई का कार्य शुरू करवा दिया है।
ज्ञात हो कि भानुप्रतापपुर एवं दुर्गुकोंदल ब्लाक में स्थित पुराने व जर्जर भवनों की मरम्मत हेतु लाखों की राशि जारी की गई है, लेकिन देखने से ऐसा लगता है कि सारे कार्य केवल कागजों तक ही सीमित हैं। बड़े पैमाने पर मरम्मत कार्य मे शासकीय राशि का दुरुपयोग किया गया है। कमीशनखोरी के चलते बिना कार्य कराए ही लाखों का भुगतान ठेकेदारों को कराया गया है। सूचना के अधिकार के तहत मीले दस्तावेजों के आधार पर मरम्मत कार्य की जांच हेतु कलेक्टर से शिकायत भी की गई है। यदि इसकी निष्पक्ष जांच की गई तो कई अधिकारी कर्मचारीयों के भ्रष्टाचार की पोल खुल जायेगी। जब इस मामले को लेकर खबर प्रकाशित की गई तो विभाग ने अपने भ्रष्टाचार को छुपाने के लिए भवनों में दुबारा पोताई व रँगाई का कार्य शुरू करवा दिया है। साथ ही अधिकारी ने सभी आश्रम व छात्रावास अधीक्षकों को मौखिक निर्देश भी दिया है कि किसी भी पत्रकार को छात्रावास या आश्रम में घुसने न दिया जाए न ही कोई उनसे इस बारे में बात करे।
इन भवनों में होने थे मरम्मत कार्य:-
भानुप्रतापपुर ब्लाक के ग्राम कन्हारगांव में स्थित बालक आश्रम में 1 लाख 71 हजार, प्री मेट्रिक बालक छात्रावास भानुप्रतापपुर में 1 लाख 61 हजार, कन्या छात्रावास भीरागांव में 1 लाख 33 हजार एवं दुर्गुकोंदल ब्लाक के कोडेकुर्से स्थित कन्या आश्रम में 95 हजार की लागत से मरम्मत कार्य का स्टीमेट बनाया गया था। वर्ष 2021 के अक्टूबर व नबम्बर माह में ठेकेदार को राशि का भुगतान भी करा दिया गया है। लेकिन इन भवनों में हुए मरम्मत कार्य मे घोर लापरवाही व अनियमितता बरती गई है। इंजीनियर व एसडीओ द्वारा बिना कार्य कराए ही मूल्यांकन कर ठेकेदार को पूर्ण भुगतान करा दिया गया है।
शिकायतकर्ता यशवंत चक्रधारी ने बताया कि इस्टीमेट व एमबी के आधार पर आश्रम एवं छात्रावासों में मरम्मत कार्य हुआ है या नहीं इसकी जांच करायी जाए तथा जो भी नई सामाग्री लगाई गई है उसका भौतिक सत्यापन कराया जाय। जांच में जो भी दोषी पाये जाते है उनपर कड़ी कार्यवाही होनी चाहिए। यदि विभाग ने पहले ईमानदारी से कार्य कराया होता तो दुबारा पोताई रँगाई कराने की क्या आवश्यकता पड़ती। खबर प्रकाशित होने तथा शिकायत के बाद विभाग के अधिकारी अपने भ्रष्टाचार को छुपाने के लिए लीपापोती करने में लग गए हैं।
सीमेंट के अनुसार ऐसे होना था कार्य:–
भवन की दरारों को भरना, अंदरूनी भाग में पुट्टी व प्लास्टिक पेंट करना, बाहरी भाग में वाटर प्रूफिंग करना, टूटे – फूटे खिड़की व दरवाजों की मरम्मत अथवा आवश्यकतानुसार नया लगाना, छत तथा फ्लोर मरम्मत एवं फ्लोरिंग कार्य करना, सीमेंट शीट एवं पाइप फिटिंग, छोटी नाली निमार्ण, वॉल टाइल्स एवं विद्युत मरम्मत कार्य।
