मुंगेली में बढ़ने लगा है सत्ता समर्थित ठेकेदारों और अब तक सक्रिय ठेकेदारों का संघर्ष, अपने चहेते ठेकेदारों को काम दिलाने के लिए सत्ता के गलियारों से भी बढ़ने लगा है दबाव

आकाश दत्त मिश्रा

पिछले कुछ दशकों में यह परंपरा सी बन गई है कि चुनाव के दौरान राजनीतिक दलों का समर्थन और सहयोग करने वाले लोगों को बाद में ठेके दिला कर कर्ज चुकाया जाता है। यही कारण है कि अधिकांश स्थानों पर टेंडर की प्रक्रिया में भी ऐसे ही राजनीतिक संरक्षण प्राप्त ठेकेदार शामिल होते हैं और अक्सर उनके ही नाम टेंडर खुलता है, जिन्हें सत्तासीन राजनीतिक दल का संरक्षण प्राप्त हो। अब तक मुंगेली में भाजपा का दबदबा होने से भाजपा समर्थित ठेकेदार आराम से ठेका हासिल कर रहे थे। टेंडर की प्रक्रिया में भी गिने-चुने कुछ ऐसे ठेकेदार शामिल होते थे जिन्हें नेताओं और अधिकारियों का वरदहस्त प्राप्त था, लेकिन अब मुंगेली में भी सत्ता परिवर्तन के साथ हालात बदल रहे हैं। खासकर मुंगेली लोक निर्माण विभाग द्वारा जारी टेंडर प्रक्रिया में ठेका हासिल करने की प्रतिस्पर्धा अब संघर्ष में बदलने लगी है। भारतीय जनता पार्टी के शासनकाल में पीडब्लूडी विभाग में गिने-चुने ठेकेदार हुआ करते थे। एकाधिकार के बीच उन्हीं गिने-चुने लोगों को ही बिना किसी विरोध के ठेका हासिल हो रहा था। इन ठेकेदारों ने इस तरह से सिंडिकेट बना लिया था कि किसी और गुट के ठेकेदार या बाहरी ठेकेदारों का प्रवेश संभव ही नहीं था। कांग्रेस और अन्य दलों से संबंध रखने वाले ठेकेदारों ने इस दौरान ठेका हासिल करने का खास प्रयास भी नहीं किया था, लेकिन अब राज्य में सत्ता परिवर्तन के बाद मुंगेली में भी शहरी सत्ता बदलने से कांग्रेस समर्थित ठेकेदार नए तेवर में नजर आ रहे हैं। कुछ ऐसे कार्यकर्ता जो लंबे वक्त से पार्टी के लिए कार्य कर रहे हैं और वे किसी व्यवसाय या सेवा में व्यस्त नहीं है, उनका रुझान अब ठेकेदारी की ओर मुड़ता दिख रहा है। ऐसे ही लोग राजनीतिक समर्थन के साथ ठेका हासिल करने की जद्दोजहद में जुटे नजर आ रहे हैं। भाजपा समर्थित ठेकेदारों के अलावा अब कांग्रेस से जुड़े ठेकेदारों का भी नया गुट बनता जा रहा है, और अब वे भी सुनियोजित तरीके से सिंडिकेट बनाकर काम करने का प्रयास कर रहे हैं। भीतर खाने से उन्हें समर्थन भी मिल रहा है, कहा जा रहा है कि इन ठेकेदारों ने आपस में सहमति बना ली है कि वे किसी भी बाहरी ठेकेदार को मुंगेली में पांव जमाने नहीं देंगे।
इसी बीच खबर है कि बिलासपुर जिले के एक कांग्रेसी विधायक ने भाजपा से संबंध रखने वाले अपने खास ठेकेदार को ठेका दिलाने के लिए पीडब्ल्यूडी विभाग को फोन कर दबाव बनाया था। अपने ही पार्टी के विधायक द्वारा विरोधी पार्टी के ठेकेदार के समर्थन से अब मुंगेली के यह ठेकेदार उखड़ गए हैं और उन्होंने कटाक्ष करते हुए इस कांग्रेसी विधायक का मुंगेली में अपने अंदाज में स्वागत करने की बात कही है।
मौजूदा परिस्थितियां स्पष्ट कर रही है कि आने वाले दिनों में ठेकेदारों के गुटों की टकराहट और भी कड़ी होती जाएगी, क्योंकि मुंगेली में करोड़ों के विकास कार्य होने हैं। बड़े ठेकों के लिए बिलासपुर, रायपुर समेत अन्य प्रदेशों के बड़े फर्म भी प्रयास करेंगे, लेकिन स्थानीय ठेकेदार उनका विरोध करने की ठान चुके हैं। ऐसे में अगर कोई नेता, स्थानीय ठेकेदारों की उपेक्षा कर बाहरी ठेकेदारों का समर्थन करता है तो जाहिर तौर पर उन्हें भी अपने ही लोगों का विरोध झेलना पड़ेगा। सूत्रों की माने तो इन ठेकेदारों ने यह भी तय कर लिया है कि अगर बाहरी ठेकेदार मुंगेली में आकर ठेका हासिल कर भी लेंगे, तो उन्हें किसी भी कीमत पर काम नहीं करने दिया जाएगा और उनके काम में हर तरह की अड़चन पैदा की जाएगी। अगर यह बात सच है तो फिर इससे आने वाले दिनों में न सिर्फ तनाव बढ़ेगा बल्कि विकास कार्य में भी अवरोध पैदा होंगे। वैसे मुंगेली लोक निर्माण विभाग के भी अपने खुद के चहेते ठेकेदार है और अब कांग्रेस के चहेते ठेकेदारों को भी खुश करने की दोहरी जिम्मेदारी उन पर आ पड़ी है। लिहाजा देखना दिलचस्प होगा कि वे कैसे इसमें संतुलन बिठा पाते हैं।

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