मौसाजी स्वीट्स में टैक्स चोरी का बड़ा खुलासातीन दिन की स्टेट जीएसटी जांच में करोड़ों की गड़बड़ियां सामने, फर्म ने 1.5 करोड़ रुपए टैक्स सरेंडर किया

आकाश मिश्रा

बिलासपुर। मौसाजी स्वीट्स एंड रेस्टोरेंट में स्टेट जीएसटी विभाग की तीन दिन चली जांच में बड़े पैमाने पर टैक्स चोरी का पर्दाफाश हुआ है। टीम को मिठाई निर्माण से लेकर बिलिंग, इनवाइस, नकद लेनदेन और आईटीसी दावों में गंभीर खामियां मिलीं। जांच में खुलासा हुआ कि फर्म प्रतिदिन 1000 किलो से अधिक मिठाई बनाती थी, लेकिन इनवाइस में इसका केवल 50% हिस्सा ही दिखाया जाता था। गड़बड़ी उजागर होने पर फर्म ने 1.5 करोड़ रुपए टैक्स सरेंडर कर दिया।

◆ कच्चे चालान से सप्लाई, इनवाइस आधा

टीम को मंगला स्टोर से मिले एक कच्चे चालान ने पूरे रैकेट का खुलासा कर दिया। जांच में पता चला कि कारखाने से दुकानों तक मिठाई की सप्लाई बिना इनवाइस, केवल चालान पर होती थी। दुकानों में मिठाई पहुंचने के बाद कर्मचारी चालान फाड़ देते थे और महीने के अंत में केवल लगभग 50% कारोबार का इनवाइस बनाकर टैक्स जमा किया जाता था। पुराने चालान बुक भी नष्ट कर दिए जाते थे।

◆ दिवाली–राखी पर गड़बड़ी उजागर

त्योहारों के समय मिठाई की बिक्री सामान्य दिनों की तुलना में 4–5 गुना रहती है, लेकिन इनवाइस में बेहद कम कारोबार दिखाया गया।

  • रक्षाबंधन — 17,000 रुपए
  • दिवाली — 48,000 रुपए
    जबकि वास्तविक बिक्री लाखों में अनुमानित है।

दिवाली के दौरान स्टोर्स में बेचे गए 1500–2000 रुपए तक के प्रीमियम गिफ्ट हैंपर का कोई रिकॉर्ड दुकानों में नहीं मिला।

◆ 60% नकद बिक्री का हिसाब नहीं

टीम ने पाया कि दुकानों में करीब 60% लेनदेन नकद होता है, पर इनवाइस मिलान में केवल ऑनलाइन/यूपीआई के भुगतानों का ही हिसाब दर्ज था। बड़ी मात्रा में नकद राशि का हिसाब नहीं मिलने से टैक्स चोरी की पुष्टि हुई।

◆ खाद्य सामग्री, चॉकलेट, कोल्डड्रिंक्स में भी टैक्स गड़बड़ी

जांच में यह भी पाया गया कि रेस्टोरेंट द्वारा खरीदे गए मैदा, आलू, तेल, बेसन आदि पर इनपुट टैक्स क्रेडिट लिया गया, लेकिन तैयार उत्पादों की बिक्री पर वास्तविक टैक्स नहीं भरा गया।
महंगे चॉकलेट व कोल्डड्रिंक्स पर भी कम टैक्स स्लैब दिखाकर टैक्स चुराया जा रहा था।

◆ एक जीएसटी नंबर पर तीन यूनिट

मौसाजी एंड कंपनी तीन अलग-अलग जीएसटी नंबर से कुल पांच स्टोर और एक कारखाना चला रही थी। श्रीकांत वर्मा मार्ग से जुड़े जीएसटी नंबर पर तिफरा और वाइट हाउस के पीछे का बड़ा कारखाना चला रहा था, जहां जीएसटी नंबर, दस्तावेज—कुछ भी उपलब्ध नहीं था।

◆ दबिश से हड़कंप, तीसरे दिन बड़ी सफलता

1 दिसंबर की शाम कार्रवाई शुरू हुई। पहले दो दिन दस्तावेज छानबीन में निकले, पर तीसरे दिन वाइट हाउस और मंगला दुकान पर पहुंचे अधिकारियों को गड़बड़ियों के अहम सबूत मिले। यहां से मिले चालान ने कारखाने का पता बताया और पूरा टैक्स चोरी का खेल सामने आ गया।

◆ अधिकारियों ने कही ये बातें

मुकेश बंसल, सेक्रेटरी, स्टेट जीएसटी
“जीएसटी के बाद सब कुछ ऑनलाइन है, इसलिए रक्षाबंधन–दिवाली और सामान्य दिनों के कारोबार में बड़ा अंतर साफ दिखाई दे रहा था। फर्म ने 1.5 करोड़ रुपए सरेंडर किए हैं।”

एमके धनेलिया, जॉइंट कमिश्नर, स्टेट जीएसटी, बिलासपुर
“तीसरे दिन मंगला दुकान से मिले एक चालान ने बड़ी लीड दी। आईटीसी समेत कई तरह की गड़बड़ियां मिलीं। फर्म ने बड़ी राशि सरेंडर की है।”

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