

नई दिल्ली। नेशनल हेराल्ड से जुड़े बहुचर्चित मनी लॉन्ड्रिंग मामले में एक बार फिर बड़ा घटनाक्रम सामने आया है। प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) की शिकायत पर दिल्ली पुलिस की आर्थिक अपराध शाखा (EOW) ने कांग्रेस की पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष सोनिया गांधी और सांसद राहुल गांधी के खिलाफ नई FIR दर्ज की है। यह मामला लगभग 2000 करोड़ रुपए की संपत्तियों से जुड़े आरोपों को लेकर लगातार सुर्खियों में रहा है।
आर्थिक अपराध शाखा ने भारतीय दंड संहिता की धारा 120बी (आपराधिक साजिश), 403 (बेईमानी से संपत्ति का गबन), 406 (आपराधिक विश्वासघात) और 420 (धोखाधड़ी) के तहत केस दर्ज किया है। इस FIR में सुमन दुबे, सैम पित्रोदा, सुनील भंडारी, तथा यंग इंडिया, डोटेक्स प्रा. लि. और एसोसिएटेड जर्नल्स लिमिटेड (AJL) सहित अन्य अज्ञात व्यक्तियों को भी आरोपी बनाया गया है।
क्या हैं आरोप?
ईडी की शिकायत के मुताबिक, कांग्रेस के शीर्ष नेतृत्व ने अपने पद और प्रभाव का दुरुपयोग कर यंग इंडिया को अनुचित तरीके से लाभ पहुंचाया। आरोप है कि यंग इंडिया ने एजेएल की लगभग 2000 करोड़ रुपए मूल्य की संपत्ति को मात्र 50 लाख रुपए में हासिल किया।
इस सौदे को विपक्ष “घोटाला” और सत्ता पक्ष “खुलेआम लूट” करार दे रहा है।
भाजपा का आरोप — “ये लूट का केस है”
भाजपा सांसद रविशंकर प्रसाद ने तीखी प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि यह पूरा प्रकरण “खुलेआम लूट” का मामला है। उनका कहना है कि कांग्रेस नेतृत्व ने सरकारी जमीन को सस्ते दामों पर हासिल किया और उन पर विशाल इमारतें खड़ी करके संपत्ति पर कब्जा जमा लिया।
प्रसाद ने दावा किया कि सोनिया गांधी और राहुल गांधी खुद को संपत्ति का मालिक बनाकर बैठे हुए हैं।
कांग्रेस की प्रतिक्रिया — “ईडी भाजपा की साझेदार बन गई है”
कांग्रेस ने इस कार्रवाई को राजनीतिक प्रतिशोध बताया है। पार्टी का आरोप है कि केंद्र सरकार ईडी का उपयोग कर विपक्ष को निशाना बना रही है। कांग्रेस के नेताओं का कहना है कि यह FIR बदले की भावना से प्रेरित है और इसका उद्देश्य राजनीतिक आवाजों को दबाना है।
ईडी की जांच जारी
नेशनल हेराल्ड केस को लेकर ईडी पहले से ही विस्तृत जांच कर रही है। अब नई FIR से इस हाई-प्रोफाइल मामले की कानूनी प्रक्रिया तेज होने की उम्मीद है।
वहीं, दोनों पक्ष अपनी-अपनी दलीलों पर अड़े हुए हैं, जिससे आने वाले दिनों में यह मामला और ज्यादा राजनीतिक रूप से गरमा सकता है।
