

प्रदेश के ग्रामीण इलाकों में इन दिनों एसआईआर फॉर्म भरने को लेकर जबरदस्त हलचल नजर आ रही है। धान कटाई और मिसाई के बीच किसान मतदान को ज्यादा प्राथमिकता दे रहे हैं। ग्रामीणों का कहना है कि धान बेचने से पहले एसआईआर का फॉर्म भरना जरूरी है, क्योंकि सबसे बड़ी चिंता मतदाता सूची से नाम कटने की है। फॉर्म जमा न करने पर योजनाओं का लाभ बंद होने की अफवाह पहले से फैली हुई है, ऐसे में लोग खेत का काम छोड़ फॉर्म भरने में जुटे हैं।
बीएलओ नहीं दिखा रहे सूची, लोकसेवा केंद्र में बढ़ी भीड़
गाँवों में बीएलओ मतदाता सूची दिखाने से बच रहे हैं। कई जगह तो बीएलओ 2003 की पुरानी मतदाता सूची ही लेकर चल रहे हैं, लेकिन मतदाताओं को नहीं दे रहे। नतीजा यह कि लोक सेवा केंद्र संचालक इसका फायदा उठाकर मतदाता सूचियों का प्रिंट बेच रहे हैं। ग्रामीण बड़ी संख्या में चॉइस/लोक सेवा केंद्र पहुंचकर अपना और परिवार का नाम ढूंढ रहे हैं।
एक लोक सेवा केंद्र संचालक ने बताया कि जब बीएलओ मतदाता सूची नहीं दे रहे, तब लोग उनके पास आने लगे। वे ऑनलाइन मतदाता सूची निकालकर ग्रामीणों को उपलब्ध करा रहे हैं। जिनकी बेटियों की शादी हो गई या बहुएं आई हैं, उनकी भी नई सूची निकलवाई जा रही है।
दस्तावेजों की अनावश्यक मांग, ग्रामीणों की बढ़ रही परेशानी
निर्वाचन अधिकारियों के अनुसार 2003 की मतदाता सूची में जिनका नाम पहले से दर्ज है, उन्हें आधार, राशन कार्ड या पता/जन्म तिथि प्रमाण जैसे दस्तावेज देने की जरूरत नहीं है। लेकिन जमीनी स्तर पर बीएलओ ग्रामीणों से यही दस्तावेज मांग रहे हैं।
ठकुरीकापा के शिवकुमार जायसवाल ने बताया कि नाम कटने के डर से बीएलओ जो कह रहे हैं, ग्रामीण वही कर रहे हैं। नई फोटो, आधार कार्ड, राशन कार्ड और 2003 की सूची की फोटोकॉपी तक दे रहे हैं। बाद में पता चलता है कि इनकी तो जरूरत ही नहीं थी।
एक ग्रामीण महिला तो पूरे परिवार के दस्तावेजों का बंडल उठाकर बीएलओ के पास पहुंची। जब बताया गया कि इसकी जरूरत नहीं, तो उन्होंने कहा— “जो लेना है ले लें, बस वोटर लिस्ट से नाम न कटे।”
धान के टोकन के साथ मिल रही मतदाता सूची की फोटो-कॉपी
मुंगेली जिले में एक लोकसेवा केंद्र में तो धान टोकन के साथ 2003 की मतदाता सूची देने का पोस्टर तक लगा दिया गया है। रामगोपाल दीक्षित यहां अपनी पत्नी का नाम जांचने पहुंचे, लेकिन पता चला कि 2003 में उनकी पत्नी की शादी नहीं हुई थी, इसलिए नाम सूची में नहीं है। केंद्र संचालक ने उन्हें तुरंत ही ससुराल फोन कर दस्तावेज मंगवाने को कहा।
गाँवों में सक्रिय हुए फॉर्म भरने वाले, 4 दिसंबर अंतिम तिथि
फॉर्म जमा करने की अंतिम तिथि 4 दिसंबर है। ऐसे में गाँवों में फॉर्म भरने वाले एक्टिव हो गए हैं। बीएलओ भी घर-घर जाकर फॉर्म ले रहे हैं, लेकिन दस्तावेजों की अनावश्यक मांग और मतदाता सूची न दिखाने की वजह से ग्रामीण बेवजह परेशान हो रहे हैं।
ग्रामीणों का एक ही डर है—
“कहीं वोटर लिस्ट से नाम न कट जाए।”
इस डर ने ही इस बार धान कटाई से ज्यादा जरूरी एसआईआर फॉर्म को बना दिया है।
