

बिलासपुर। सरकंडा थाना क्षेत्र में मकान बिक्री के नाम पर 40 लाख रुपये की ठगी करने वाले दो आरोपियों को पुलिस ने रिपोर्ट दर्ज होने के कुछ ही घंटों के भीतर गिरफ्तार कर न्यायिक रिमांड पर भेज दिया है। मामला एक ऐसे मकान की बिक्री से जुड़ा है, जो बैंक में बंधक था और जिसका नामांतरण तक नहीं कराया गया था।
मामला इस प्रकार सामने आया—
प्रार्थी अजीत शुक्ला (निवासी सूर्या विहार, सरकंडा) ने 22 नवंबर 2025 को थाना सरकंडा में शिकायत दर्ज कराई कि उनका परिचय दिनेश प्रताप सिंह से था। अप्रैल 2024 में दिनेश ने उन्हें भास्कर प्रसाद त्रिपाठी से मिलवाया, जिसने खुद को एसईसीएल कोरबा का कर्मचारी बताकर अपना मकान विवेकानंद नगर मोपका में होने की बात कही और उसे बेचने की इच्छा जताई।
मकान देखने के बाद प्रार्थी ने खरीदने की सहमति दी। इसके बाद 26 अप्रैल 2024 को 50 रुपये के स्टांप पेपर पर इकरारनामा तैयार किया गया, जिसमें तीन माह के भीतर रजिस्ट्री कराने का उल्लेख था। गवाह के रूप में दिनेश प्रताप सिंह और अरुण सिंह ने हस्ताक्षर किए।
इकरारनामा बनने के बाद प्रार्थी ने भास्कर त्रिपाठी को 36 लाख रुपये ऑनलाइन दे दिए। लेकिन निर्धारित समय बीत जाने के बाद भी रजिस्ट्री नहीं कराई गई। जब प्रार्थी ने दबाव बनाया तो आरोपियों ने 40 लाख रुपये की राशि दर्शाकर नया फर्जी इकरारनामा बना लिया। बाद में यह भी पता चला कि कथित मकान बैंक में बंधक है और बिना नामांतरण तथा जानकारी दिए ही दोनों आरोपियों ने सौदा कर ठगी की।
पुलिस की त्वरित कार्रवाई—
शिकायत मिलते ही सरकंडा पुलिस ने धारा 420, 34 भादवि के तहत अपराध दर्ज किया और मामले की जानकारी वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक रजनेश सिंह को दी। उनके निर्देश पर अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक (शहर) राजेंद्र जायसवाल और सीएसपी निमितेश सिंह के मार्गदर्शन में थाना प्रभारी प्रदीप आर्य के नेतृत्व में टीम बनाई गई।
पुलिस टीम ने दबिश देकर दोनों आरोपियों—
- भास्कर प्रसाद त्रिपाठी (56 वर्ष), निवासी विवेकानंद नगर फेस-2, मोपका
- दिनेश प्रताप सिंह ठाकुर (66 वर्ष), निवासी शिवम सिटी, राजकिशोर नगर
—को हिरासत में लिया। पूछताछ में दोनों ने अपना अपराध स्वीकार कर लिया, जिसके बाद 22 नवंबर को उन्हें गिरफ्तार कर अदालत में पेश किया गया, जहां से उन्हें न्यायिक रिमांड पर भेज दिया गया है।
पुलिस का कहना है कि इस मामले में आगे भी जांच जारी है और दस्तावेज़ों की बारीकी से जांच की जा रही है।
