
शशि मिश्रा

बिलासपुर। बुधवार को बिलासपुर में देव दीपावली का पावन पर्व श्रद्धा और भक्ति के साथ मनाया गया। पौराणिक मान्यता के अनुसार इसी दिन भगवान शिव ने त्रिपुरासुर नामक दानव का संहार किया था। देवताओं ने इस विजय की खुशी में धरती पर दीप उत्सव मनाया, इसलिए इसे देव दीपावली कहा जाता है।
तोरवा छठ घाट पर सुबह से ही श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ पड़ी। लोगों ने पवित्र स्नान कर भगवान शिव, विष्णु और देवी लक्ष्मी की आराधना की। स्नान के बाद घाट पर दीपदान कर उन्होंने अपने जीवन में सुख, शांति और समृद्धि की कामना की। इस अवसर पर श्रद्धालुओं के लिए वस्त्र बदलने की विशेष व्यवस्था की गई थी, साथ ही नि:शुल्क चाय व कॉफी का वितरण भी किया गया। घाट पर दीपों की पंक्तियों से पूरा तट जगमगा उठा और वातावरण में भक्ति संगीत की मधुर गूंज सुनाई दी।

हिंदू पंचांग के अनुसार कार्तिक शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि का अत्यंत धार्मिक महत्व है। इस वर्ष पूर्णिमा 4 नवंबर की रात 10:36 से शुरू होकर 5 नवंबर की शाम तक रही, इसलिए बिलासपुर में देव दीपावली 5 नवंबर को मनाई गई। यह दिन त्रिपुरारी पूर्णिमा के नाम से भी जाना जाता है, क्योंकि इसी तिथि को भगवान शिव ने त्रिपुरासुर दानव का वध किया था।
इस पावन अवसर पर श्रद्धालुओं ने स्नान, पूजन और दीपदान के साथ-साथ दान-पुण्य के कार्य भी किए। घरों, मंदिरों और नदी तटों पर मिट्टी के दीपकों की रौशनी ने एक अलौकिक दृश्य प्रस्तुत किया। कई स्थानों पर 365 दीपों से विशेष दीपदान किया गया। लोगों ने उपवास रखकर भगवान शिव, विष्णु, देवी लक्ष्मी और चंद्रदेव की पूजा-अर्चना की।
भक्ति और उत्साह से भरे इस पर्व ने बिलासपुर को एक बार फिर आस्था की रोशनी से आलोकित कर दिया — हर गली, हर घाट दीपों से सजी और पूरा शहर देव दीपावली के दिव्य प्रकाश में नहाया हुआ नजर आया।
