बिलासपुर के चर्चित मामले में हाईकोर्ट ने पलटा निचली अदालत का फैसला, दो आरोपियों को आजीवन कारावास,घायल चश्मदीद गवाह के बयान को माना विश्वसनीय, बुजुर्ग की हत्या और पत्नी पर हमले का मामला

बिलासपुर। छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने नौ साल पुराने लूट और हत्या के मामले में बड़ा फैसला सुनाते हुए निचली अदालत का निर्णय पलट दिया है। अदालत ने दो आरोपियों को आजीवन कारावास की सजा सुनाई है। हाईकोर्ट की चीफ जस्टिस रमेश सिन्हा और जस्टिस बीडी गुरु की डिवीजन बेंच ने कहा कि घायल चश्मदीद गवाह के बयान पर संदेह नहीं किया जा सकता।

यह मामला बिलासपुर के उसलापुर रोड निवासी होटल व्यवसायी अनिल खंडेलवाल के माता-पिता दशरथ लाल खंडेलवाल और विमला देवी खंडेलवाल पर हुए हमले और हत्या से जुड़ा है। घटना 22 नवंबर 2013 की रात करीब 1:30 बजे की है, जब दो अज्ञात आरोपी घर की घंटी बजाकर अंदर घुसे और लूटपाट का प्रयास किया।

विमला देवी ने दरवाजा खोला तो दोनों आरोपियों ने चाकू दिखाकर पैसे मांगे और विरोध करने पर दशरथ लाल खंडेलवाल पर ताबड़तोड़ वार कर दिए। बीच-बचाव करने आईं विमला देवी पर भी चाकू से हमला किया गया, जिससे उन्हें गंभीर चोटें आईं। हमलावर दोनों को एक कमरे में बंद कर घड़ी और मोबाइल लूटकर फरार हो गए।

पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट में खुलासा हुआ कि दशरथ लाल की मौत अत्यधिक खून बहने से हुई थी। पुलिस ने इस मामले में विक्की उर्फ मनोहर सिंह और विजय चौधरी को गिरफ्तार किया था। घायल विमला देवी ने पहचान परेड में दोनों आरोपियों की पुष्टि की थी। पुलिस ने उनके मेमोरेंडम के आधार पर खून से सने चाकू, कपड़े और लूटी गई घड़ी बरामद की थी।

दोनों के खिलाफ आईपीसी की धाराओं 455, 394, 307, 302 और 201 के तहत चार्जशीट पेश की गई। ट्रायल कोर्ट ने हालांकि 22 गवाहों और 70 दस्तावेजों के बावजूद 16 मई 2016 को दोनों आरोपियों को बरी कर दिया था।

इसके खिलाफ मृतक के बेटे और राज्य सरकार ने हाईकोर्ट में अपील दायर की। सुनवाई के बाद हाईकोर्ट ने माना कि घायल चश्मदीद गवाह विमला देवी का बयान विश्वसनीय है और अभियोजन पक्ष ने आरोप साबित कर दिए हैं। अदालत ने दोनों आरोपियों को आजीवन कारावास की सजा सुनाई।

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