
शशि मिश्रा

बिलासपुर/रायपुर | छत्तीसगढ़ के बिलासपुर जिले के जोरवा पथरवा गांव में दीपावली की रात खुशियों के बीच एक दर्दनाक हादसा हो गया। धनतेरस की रात दीपक सिंह और नीलम सिंह की 10 वर्षीय बेटी खेल-खेल में ऐसी दुर्घटना की शिकार हो गई, जिसने पूरे परिवार की दिवाली काली कर दी।
जानकारी के अनुसार, दीपक सिंह पेशे से एक ऑटो चालक हैं। धनतेरस के अवसर पर घर में पूजा-पाठ और सजावट के बाद परिवार सो गया था। देर रात करीब 3:00 बजे बच्ची किसी कारणवश उठी, लेकिन घर में अंधेरा होने के कारण उसका संतुलन बिगड़ गया और वह गिर पड़ी। गिरते समय पूजा में बजाई जाने वाली छोटी घंटी का हैंडल उसकी आंख में जा धंसा, जो सीधे आंख से होते हुए दिमाग तक पहुंच गया।

घटना के बाद बच्ची दर्द से चीख उठी, और परिवार के लोग घबरा गए। तुरंत उसे स्थानीय स्तर पर प्राथमिक उपचार के लिए सिम्स अस्पताल, बिलासपुर ले जाया गया। लेकिन वहां डॉक्टरों ने बच्ची की हालत को बेहद गंभीर बताते हुए रायपुर रेफर कर दिया।
परिवार बच्ची को रातोंरात रायपुर के डीकेएस हॉस्पिटल लेकर पहुंचा। वहां की विशेषज्ञ चिकित्सक टीम ने बिना समय गंवाए तत्काल ऑपरेशन किया। कई घंटे चले इस जटिल ऑपरेशन में डॉक्टरों ने सफलतापूर्वक घंटी का हैंडल निकाल दिया और बच्ची की आंख की क्षति को नियंत्रित किया।

डीकेएस हॉस्पिटल की टीम की तत्परता और कौशल के कारण बच्ची की जान बच गई। वर्तमान में बच्ची की स्थिति स्थिर है और वह खतरे से बाहर है। डॉक्टरों का कहना है कि आगे कुछ दिन निगरानी में रखा जाएगा, लेकिन बड़ी राहत यह है कि उसकी जान को अब कोई खतरा नहीं है।
बिटिया के जीवन की रक्षा होने पर दीपक सिंह और नीलम सिंह ने भगवान के साथ डीकेएस हॉस्पिटल के डॉक्टरों और स्टाफ के प्रति गहरी कृतज्ञता जताई है। दीपक सिंह ने कहा,
“हमारे लिए यह किसी चमत्कार से कम नहीं। जिस तरह डॉक्टरों ने तत्परता से ऑपरेशन किया, उससे हमारी बच्ची को नया जीवन मिला है।”
इस दर्दनाक हादसे ने एक ओर जहां दीपावली की खुशियों को मातम में बदल दिया था, वहीं डीकेएस हॉस्पिटल के डॉक्टरों की मेहनत ने आस्था और उम्मीद की नई रोशनी जगा दी। यह घटना एक बार फिर साबित करती है कि रायपुर का डीकेएस हॉस्पिटल गंभीर और चुनौतीपूर्ण परिस्थितियों में भी उत्कृष्ट चिकित्सा सुविधा प्रदान कर रहा है।
