

बिलासपुर।
दहेज प्रताड़ना के मामले में एफआईआर दर्ज होने के एक माह बाद भी आरोपी आरक्षक के खिलाफ कार्रवाई नहीं की गई है। हैरानी की बात यह है कि आरोपी अब भी सरकंडा थाने में नियमित रूप से ड्यूटी कर रहा है और अपनी पत्नी को लगातार धमकियां दे रहा है। वहीं, पीड़िता पति के डर से शहर में इधर-उधर छिपकर रहने को मजबूर है।
मिली जानकारी के अनुसार, सिरगिट्टी शांति नगर निवासी ज्योति मनहर की शादी 31 अक्टूबर 2024 को ग्राम खम्हरिया, तखतपुर निवासी गेंदराम सोनवानी (28) से हुई थी। गेंदराम पुलिस विभाग में आरक्षक है और वर्तमान में थाना सरकंडा में पदस्थ है। शादी के कुछ महीनों तक सब कुछ सामान्य रहा, लेकिन लगभग 5-6 माह बाद स्थिति बदलने लगी।
ज्योति ने बताया कि शादी के बाद उसके पति गेंदराम, ससुर सत्यनारायण सोनवानी, देवर आशीष सोनवानी और ननद बबली सोनवानी ने दहेज के लिए उसे प्रताड़ित करना शुरू कर दिया। ससुराल पक्ष लगातार कार के लिए मायके से 10 लाख रुपये लाने की मांग कर रहा था। जब उसने यह मांग पूरी नहीं की, तो उसके साथ मारपीट की गई और उसे जान से मारने की कोशिश तक की गई।
18 जनवरी 2025 को आरोपियों ने ज्योति को घर से निकाल दिया। मायके लौटने के बाद उसने जब पूरी घटना अपने पिता को बताई, तो यह सदमा वे सहन नहीं कर पाए और ब्रेन हेमरेज से उनकी तबीयत बिगड़ गई।
ज्योति ने न्याय की उम्मीद में एसएसपी रजनेश सिंह से शिकायत की। निर्देश पर महिला थाना में काउंसलिंग कराई गई, लेकिन ससुराल पक्ष ने उसे घर ले जाने से साफ इनकार कर दिया। इसके बाद 13 सितंबर 2025 को महिला थाना पुलिस ने आरोपी पति गेंदराम सोनवानी, ससुर, देवर और ननद के खिलाफ बीएनएस की धारा 85, 296, 351(3), 115(2), 3(5) के तहत अपराध दर्ज किया।
हालांकि, एफआईआर दर्ज हुए एक माह से अधिक समय बीत चुका है, लेकिन आरोपी आरक्षक गेंदराम सोनवानी के खिलाफ अब तक कोई ठोस departmental कार्रवाई नहीं की गई है। वह अब भी सरकंडा थाने में ड्यूटी पर तैनात है।
पीड़िता ज्योति का कहना है कि उसका पति अक्सर फोन कर केस वापस लेने की धमकी देता है। उसने बताया कि आरोपी का पुलिस में रसूख इतना है कि शिकायत करने के बावजूद किसी अधिकारी ने अब तक उसकी बात पर ध्यान नहीं दिया।
ज्योति ने कहा, “मुझे डर है कि कहीं वह मुझे नुकसान न पहुंचा दे। एफआईआर होने के बाद भी पुलिस ने उसे न तो निलंबित किया और न ही दूरस्थ थाने में ट्रांसफर किया। वह ड्यूटी का फायदा उठाकर केस की जांच को प्रभावित कर रहा है।”
पीड़िता फिलहाल अपने रिश्तेदारों के यहां रह रही है और लगातार अपनी सुरक्षा की गुहार लगा रही है।
सामाजिक कार्यकर्ताओं का कहना है कि एफआईआर दर्ज होने के बाद आरोपी पुलिसकर्मी को ड्यूटी पर रखना जांच की निष्पक्षता पर सवाल उठाता है। उन्होंने मांग की है कि आरोपी आरक्षक को तुरंत निलंबित किया जाए और पीड़िता को सुरक्षा प्रदान की जाए।
