रतनपुर में अमृत मिशन योजना में ठेकेदार की मनमानी पर जन आक्रोश — सड़कें खुदी, गुणवत्ता पर उठे सवाल

यूनुस मेमन

नगर पालिका परिषद रतनपुर क्षेत्र में शासन के निर्देशानुसार (AMRUT) योजना 0.2 के अंतर्गत Khuntaghat Dam से पूरे नगर को नल जल आपूर्ति किए जाने की महत्वाकांक्षी योजना का कार्य तेजी से प्रारंभ किया गया है। यह योजना नगर में स्वच्छ पेयजल की नियमित आपूर्ति सुनिश्चित करने के लिए बनाई गई है।

लेकिन इस करोड़ों रुपये की योजना पर अब सवाल खड़े हो रहे हैं। स्थानीय नागरिकों ने ठेकेदार और कार्य एजेंसी पर मनमानी करने और शासन के निर्धारित मापदंडों की खुली अवहेलना का आरोप लगाया है।

सड़कें अव्यवस्थित रूप से खोदी गईं

निवासियों का कहना है कि पाइप लाइन बिछाने के लिए नगर की मुख्य और उप मार्गों को बिना किसी तकनीकी मानक और योजना के बेतरतीब ढंग से खोदा जा रहा है। कई जगहों पर गड्ढे बिना समतल किए ही छोड़ दिए गए हैं, जिससे लोगों को आवागमन में भारी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। बरसात के दौरान यह स्थिति और भी खतरनाक हो सकती है।

गुणवत्ता पर उठे सवाल

स्थानीय नागरिकों ने यह भी आरोप लगाया है कि कार्य में निम्न गुणवत्ता की सामग्री का उपयोग किया जा रहा है। पाइप लाइन बिछाने का कार्य लापरवाही से किया जा रहा है और सुरक्षा मानकों की अनदेखी की जा रही है। इससे भविष्य में जलापूर्ति प्रणाली पर गंभीर प्रभाव पड़ सकता है।

जनप्रतिनिधियों की भूमिका पर भी सवाल

नागरिकों में यह भी चर्चा है कि ठेकेदार और कुछ जनप्रतिनिधियों के बीच मिलीभगत के कारण इस योजना में मानक प्रक्रिया की अनदेखी हो रही है। नागरिकों का आरोप है कि करोड़ों रुपये की इस योजना में भ्रष्टाचार कर शासन को चूना लगाने की कोशिश की जा रही है।

आमजन में रोष — जवाबदेही की मांग

नगर के आम नागरिकों में भारी आक्रोश व्याप्त है। कई सामाजिक संगठनों ने इस कार्य की जांच कराने की मांग की है। नागरिकों का कहना है कि यदि शासन और नगर पालिका प्रशासन ने इस पर शीघ्र कार्रवाई नहीं की तो वे आंदोलन का रास्ता अपनाएंगे।

प्रशासन से सख्त कार्रवाई की उम्मीद

जनता का कहना है कि अमृत मिशन जैसी योजनाएं जनता के हित में हैं, लेकिन ठेकेदारों की मनमानी और निगरानी की कमी के कारण योजना का उद्देश्य ही विफल हो सकता है। लोग शासन से ठेकेदार और जिम्मेदार अधिकारियों पर सख्त कार्रवाई की मांग कर रहे हैं ताकि भविष्य में इस प्रकार की लापरवाही दोहराई न जा सके।

इस लोक कल्याणकारी योजना में प्रशासन का मौन होना अधिकारी प्राधिकारियों की इस भ्रष्टाचार में सलंग्नता दर्शाती है

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