80 साल पुराना स्कूल अब खाली करेगा किराये की जगह, मकान मालिकों को हाईकोर्ट से राहतछत्तीसगढ़ हाई कोर्ट ने महंती शिक्षण समिति की याचिका खारिज की, किराया नियंत्रक और अधिकरण का आदेश बरकरार

बिलासपुर | तिलक नगर स्थित महंती उच्च माध्यमिक शाला को अब करीब 80 साल बाद वह भवन खाली करना होगा, जिसमें वह 1940 के दशक से संचालित हो रहा है। छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट ने इस ऐतिहासिक किरायेदारी विवाद में एक महत्वपूर्ण निर्णय सुनाते हुए महंती शिक्षण समिति की याचिका को खारिज कर दिया है। अदालत ने मकान मालिक भागड़ीकर दंपती के पक्ष में फैसला देते हुए किराया नियंत्रक और किराया नियंत्रण अधिकरण के आदेश को बरकरार रखा है।

यह मामला करीब 25,175 वर्गफुट के परिसर से जुड़ा है, जिसे वर्ष 1945 में स्वर्गीय मधुकर नारायण भागड़ीकर ने स्व. कनकलता महंती को मौखिक किरायेदारी पर स्कूल चलाने के लिए दिया था। समय के साथ यह स्कूल शहर के प्रमुख शिक्षण संस्थानों में गिना जाने लगा, लेकिन अब कानूनी रूप से भवन खाली करना अनिवार्य हो गया है।


📜 विवाद की जड़

महंती शिक्षण समिति और भागड़ीकर परिवार के बीच लंबे समय से किरायेदारी को लेकर विवाद चल रहा था। कुछ वर्ष पहले मकान मालिकों ने छत्तीसगढ़ किराया नियंत्रण अधिनियम, 2011 की धारा 12(2) के तहत जगह खाली कराने के लिए आवेदन दिया था।

सुनवाई के दौरान महंती शिक्षण समिति ने खुद को किरायेदार मानने से ही इंकार कर दिया। उनका दावा था कि वे 76 सालों से परिसर में काबिज हैं और अब यह संपत्ति उनकी ही हो चुकी है।

वहीं, मकान मालिकों ने राजस्व अभिलेख, किराया जमा की रसीदों और नजूल अधिकारी के आदेश के आधार पर यह साबित किया कि संपत्ति आज भी उनके नाम पर पंजीकृत है और किरायेदारी संबंध स्पष्ट रूप से मौजूद है।

किराया नियंत्रक ने सभी साक्ष्यों की जांच के बाद मकान मालिकों के पक्ष में निर्णय दिया था।


🧾 अवैध निर्माण और नोटिस

मकान मालिकों ने यह भी बताया कि स्कूल प्रबंधन ने बिना अनुमति कई अवैध निर्माण किए हैं।
वर्ष 1997 और 2004 में नोटिस जारी किए गए, लेकिन उसके बाद भी परिसर में पुराने ढांचे गिराकर नया निर्माण शुरू कर दिया गया, यहाँ तक कि कोरोना काल में भी निर्माण कार्य जारी रहा।


⚖️ किराया नियंत्रण अधिकरण और हाई कोर्ट का फैसला

महंती शिक्षण समिति ने इस आदेश के खिलाफ छत्तीसगढ़ किराया नियंत्रण अधिकरण में अपील की, लेकिन वहां भी उन्हें राहत नहीं मिली। इसके बाद उन्होंने हाई कोर्ट में याचिका दायर की।

जस्टिस संजय के. अग्रवाल और जस्टिस राधाकिशन अग्रवाल की डिवीजन बेंच ने कहा कि 84 वर्षीय विधवा वसंती वासुदेव भागड़ीकर और 69 वर्षीय रिटायर्ड कर्मचारी श्रीकांत मधुकर भागड़ीकर अधिनियम की अनुसूची-2, खंड 11(ह) के तहत विशेष श्रेणी के मकान मालिक हैं।

कानून के अनुसार, ऐसे मकान मालिक अपने उपयोग के लिए संपत्ति वापस पाने हेतु सिर्फ एक महीने का नोटिस देकर बेदखली की मांग कर सकते हैं। उन्होंने 8 जुलाई 2020 को नोटिस भेजा था और 23 अक्टूबर 2021 को याचिका दाखिल की, जिसे नियंत्रक ने सही माना।


🏠 लिखित समझौते की गैरमौजूदगी भी बाधक नहीं

हाई कोर्ट ने अपने फैसले में स्पष्ट किया कि लिखित समझौता न होने पर भी किरायेदारी का संबंध खत्म नहीं होता
अधिनियम की धारा 4 को निर्देशात्मक मानते हुए अदालत ने कहा कि किरायेदार की बेदखली रोकी नहीं जा सकती

अब महंती शिक्षण समिति को परिसर खाली करना होगा, साथ ही तीन साल का बकाया किराया 18 हजार रुपए चुकाना होगा और खाली होने तक प्रति माह 500 रुपए किराया देना होगा।


👩‍🏫 मिस कनकलता महंती : जिनका सपना अब इतिहास बन रहा

बिलासपुर की कनकलता महंती एक ऐसी महिला थीं जिन्होंने अविवाहित रहते हुए भी हजारों बच्चों के जीवन में शिक्षा की रोशनी फैलाई।
उन्होंने 1940 में “मिस महंती स्कूल” के नाम से नर्सरी स्कूल की स्थापना की थी।
उनकी लगन और समाजसेवा के कारण स्कूल को 1945 में मान्यता मिली, और कुछ ही वर्षों में यह हायर सेकेंडरी स्तर तक पहुँच गया।
गरीब और जरूरतमंद बच्चों को शिक्षा दिलाने के लिए उन्होंने अपने गहने तक बेच दिए, ताकि संस्थान आर्थिक रूप से चल सके।


🧩 अब आगे क्या

हाई कोर्ट के आदेश के बाद अब महंती शिक्षण समिति को वैकल्पिक भवन की तलाश करनी होगी।
वहीं, भागड़ीकर परिवार को 80 साल पुराने विवाद से राहत मिली है।

यह फैसला न केवल एक पुराने किरायेदारी विवाद का अंत है, बल्कि यह भी दर्शाता है कि मौखिक समझौते के आधार पर शुरू हुए संबंधों की भी कानूनी सीमाएं होती हैं।


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