

नई दिल्ली | ईएमएस
सुप्रीम कोर्ट में सोमवार को उस समय अफरा-तफरी मच गई जब एक वकील ने मुख्य न्यायाधीश पीठ में बैठे न्यायमूर्ति बी.आर. गवई की ओर जूता फेंकने की कोशिश की। सुरक्षा कर्मियों ने तत्परता दिखाते हुए आरोपी अधिवक्ता राकेश किशोर को तुरंत हिरासत में ले लिया।

घटना उस वक्त हुई जब कोर्ट में सामान्य सुनवाई चल रही थी। अचानक बीच में उठे राकेश किशोर ने “सनातन का अपमान नहीं सहेगा हिंदुस्तान” का नारा लगाते हुए विरोध जताया और जूता फेंकने का प्रयास किया। मौके पर मौजूद सुरक्षाकर्मियों ने उन्हें काबू में लेकर बाहर ले गए, जिसके बाद कोर्ट की कार्यवाही कुछ देर के लिए बाधित रही।

जानकारी के अनुसार, यह विरोध हाल ही में खजुराहो मंदिर परिसर में भगवान विष्णु की खंडित मूर्ति को लेकर दायर याचिका से जुड़ा है। सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले को भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) के अधिकार क्षेत्र का बताते हुए याचिका खारिज कर दी थी।
सुनवाई के दौरान न्यायमूर्ति गवई द्वारा की गई टिप्पणी — “अब जाइए और अपने देवता से ही कुछ करने के लिए कहिए” — को कई लोगों ने धार्मिक भावनाओं को आहत करने वाला माना था। हालांकि जस्टिस गवई ने बाद में खुली अदालत में स्पष्ट किया कि उनका उद्देश्य किसी धर्म या आस्था का अपमान करना नहीं था और वे सभी धर्मों का सम्मान करते हैं, लेकिन विवाद थम नहीं सका।
60 वर्षीय अधिवक्ता राकेश किशोर लंबे समय से सुप्रीम कोर्ट में प्रैक्टिस कर रहे हैं और विभिन्न सिविल, आपराधिक एवं मध्यस्थता मामलों में सक्रिय रहे हैं। फिलहाल सुरक्षा एजेंसियां उनसे पूछताछ कर रही हैं और सुप्रीम कोर्ट परिसर में सुरक्षा व्यवस्था और कड़ी कर दी गई है।
अदालत परिसर में इस तरह की अभूतपूर्व घटना ने कानूनी जगत और न्यायपालिका दोनों को झकझोर कर रख दिया है।
