

रतनपुर। शारदीय नवरात्र की महानवमी तिथि पर रतनपुर की धर्मनगरी भक्ति और श्रद्धा से सराबोर रही। प्राचीन महामाया मंदिर में महानवमी पर मां महामाया देवी का राजसी शृंगार किया गया। मां को पांच किलो रत्नजड़ित स्वर्णाभूषणों से अलंकृत कर सोलह श्रृंगार सम्पन्न किया गया। माता रानी के इस दिव्य स्वरूप का दर्शन करने सुबह से ही भक्तों का जनसैलाब उमड़ पड़ा।
राजसी शृंगार में देवी मां को नवीन वस्त्र धारण कराए गए। स्वर्ण मुकुट, रानी हार, चंद्रहार, कंठ हार, मोहर हार, कुंडल, नथ, बाजूबंद और पायल सहित विभिन्न स्वर्णाभूषणों से उन्हें सजाया गया। पूरे मंदिर प्रांगण में मां महामाया का अलौकिक स्वरूप भक्तों को दर्शन मात्र से ही आनंद और आस्था से परिपूर्ण करता रहा।
श्रृंगार के उपरांत मां को छप्पन भोग अर्पित किए गए। मंदिर परिसर में भव्य महाआरती का आयोजन हुआ, जिसमें हजारों श्रद्धालुओं ने सम्मिलित होकर जयकारे लगाए। इसके साथ ही देवी स्वरूपिणी कुमारी कन्याओं की विशेष पूजा-अर्चना की गई। कन्याओं का पूजन कर उन्हें विभिन्न प्रकार के पकवानों का भोजन कराया गया तथा उपहार व दक्षिणा देकर विदा किया गया।
नवरात्र महोत्सव की पूर्णाहुति के रूप में ज्योति विसर्जन का आयोजन हुआ। जैसे ही पूर्णाहुति की ज्योति विसर्जित की गई, मंदिर परिसर में गूंजते ढोल-नगाड़े, शंखध्वनि और “जय महामाया” के उद्घोष से पूरा वातावरण भक्तिरस से भर उठा।
धर्मनगरी रतनपुर में महानवमी पर होने वाला यह राजसी शृंगार नवरात्र महोत्सव की विशेष परंपरा है, जिसका इंतजार भक्त पूरे वर्ष करते हैं। इस दौरान श्रद्धालु दूर-दराज़ से यहां पहुंचकर मां महामाया के दर्शन का पुण्य लाभ प्राप्त करते हैं।
