वर्ष भर में केवल दशहरे पर  5 घंटे के लिए खुलने वाला बिलासपुर हटरी चौक का अनोखा राम मंदिर, दशहरे पर उमड़ती है भक्तों की भीड़


बिलासपुर। छत्तीसगढ़ के बिलासपुर शहर का हटरी चौक हर साल दशहरे पर विशेष आस्था का केंद्र बन जाता है। यहां स्थित 152 वर्ष पुराना श्रीराम-सीता-हनुमान मंदिर अपनी अनूठी परंपरा के कारण पूरे प्रदेश में प्रसिद्ध है। यह मंदिर सालभर बंद रहता है और केवल दशहरे के दिन शाम 5 बजे से रात 9 बजे तक महज 5 घंटे के लिए ही खुलता है। मंदिर की इस खास परंपरा को देखने और भगवान के दर्शन करने दूर-दराज से श्रद्धालु पहुंचते हैं।
4 घंटे पहले से लग जाती है भक्तों की लाइन
मंदिर खुलने से कई घंटे पहले ही भक्तों की लंबी कतारें लगना शुरू हो जाती हैं। बताया जाता है कि मंदिर खुलने के समय से 4 घंटे पहले से ही करीब एक किमी लंबी लाइन भक्तों की लग जाती है। मुंबई, दिल्ली, हरियाणा, मध्यप्रदेश और उत्तरप्रदेश सहित कई राज्यों से श्रद्धालु यहां दर्शन के लिए आते हैं।


नीम के पेड़ से निकली थीं प्रतिमाएं


मंदिर की मान्यता के अनुसार, पहले यहां एक नीम का पेड़ था। यह पेड़ सूखकर अपने आप गिर गया और उसकी जड़ों से श्रीराम, माता जानकी और लक्ष्मण जी की प्रतिमा निकली। इसके बाद ही विधि-विधान से इस स्थान पर मंदिर की स्थापना हुई।
मंदिर के संचालकों का कहना है कि पहले जब मंदिर खुला रहता था और लोग प्रतिमाओं को छूते थे, तो कई अप्रिय घटनाएं हुईं। इसी वजह से मंदिर को सालभर बंद रखने का निर्णय लिया गया। मान्यता है कि दशहरे के दिन भगवान प्रसन्न रहते हैं और भक्तों की गलतियां माफ कर देते हैं, इसलिए इसी दिन मंदिर का पट खोला जाता है।


मन्नतों से बंधे 1100 नारियल


इस मंदिर में मन्नतों की परंपरा भी बेहद खास है। भक्त अपनी मन्नत मांगकर लाल कपड़े में नारियल बांध देते हैं और उस पर अपना कोई चिन्ह बना देते हैं। जब मन्नत पूरी हो जाती है, तो वह नारियल को खोलकर फोड़ते हैं। पहले जहां हर साल 200-300 नारियल ही बंधे रहते थे, वहीं अब इनकी संख्या बढ़कर 1100 तक पहुंच गई है

सालभर होती है तीन समय पूजा


भले ही मंदिर आम श्रद्धालुओं के लिए सालभर बंद रहता है, लेकिन मंदिर से जुड़े परिवार के लोग नियमित रूप से तीन समय पूजा-अर्चना करते हैं। दशहरे के दिन विशेष विधि-विधान से पूजा की जाती है और भक्तों के लिए मंदिर का पट खोल दिया जाता है।
भक्तों की हर मुराद होती है पूरी
मंदिर की संचालिका अमिता पांडेय और बुद्धेश्वर सीटू शर्मा का कहना है कि इस मंदिर की सबसे बड़ी मान्यता यही है कि भक्त जो भी मन्नत मांगते हैं, वह पूरी होती है। यही वजह है कि हर साल यहां श्रद्धालुओं की संख्या बढ़ती जा रही है।


बिलासपुर का यह अनोखा मंदिर श्रद्धा और आस्था का अद्भुत संगम है, जो दशहरे पर विशेष रूप से जीवंत हो उठता है। भक्त मानते हैं कि यहां पहुंचकर उनकी हर मनोकामना पूर्ण होती है, इसलिए वे सालभर इंतजार करते हैं और इस खास मौके पर भगवान श्रीराम, माता सीता और हनुमान के दर्शन कर स्वयं को धन्य मानते हैं।

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