
प्रवीर भट्टाचार्य




बिलासपुर भले ही कभी भी बंगाल का हिस्सा ना रहा हो लेकिन बिलासपुर में बंगाल की ही तर्ज पर दुर्गा पूजा उत्सव मनाने की 102 साल पुरानी परंपरा रही है। रेलवे के साथ बिलासपुर में बंगाल से पहुंचे प्रवासियों ने 1923 में बिलासपुर में दुर्गा पूजा की शुरुआत की थी, जिसने आज भव्य रूप ले लिया है।

यहां भी छोटे-बड़े सैकड़ो सार्वजनिक दुर्गा पूजा उत्सव में देवी की मनोहारी छवि नजर आ रही है। पूरे बिलासपुर में दुर्गा पूजा की रौनक दिखाई पड़ रही है। यहां अलग-अलग थीम पर दुर्गा पंडाल सजाए गए हैं ।कुछ तो बेहद आकर्षक और रोचक बन पड़े हैं ।

तारबाहर कंस्ट्रक्शन कॉलोनी में पंडाल को पागलखाना का रूप दिया गया है। यहां झांकी में कोलकाता के 20 कलाकार पागलखाना की झलक भी दिख रहे हैं ।


हर बार की तरह मध्य नगरी में बेहद आकर्षक पंडाल में देवी विराजमान है। यहां उनके साथ भगवान गणेश, कार्तिकेय भी बिल्कुल अलग अंदाज में है। सफेद पंडाल की साजसजा मनमोहक है।

कोन्हेर गार्डन, तिलक नगर में रामेश्वरम को साकार किया गया है। यहां देवी दुर्गा के साथ केवल भगवान गणेश ही है , जबकि साथ ही में भगवान श्री राम रामेश्वरम में शिव आराधना करते नजर आ रहे हैं ,जहां राम की पूरी सेना मौजूद है। द्वार पर भगवान श्री राम देखे जा सकते हैं।


हर बार की तरह राजेंद्र नगर में भी आकर्षक प्रतिमा स्थापित की गई है। सीएमडी कॉलेज मैदान में भी बेहद आकर्षक पंडाल में देवी विराजित है। तेलीपारा सड़क पर चार आयोजन मनभावन है।


इस वर्ष सबसे अधिक चर्चा में है मसानगंज नवयुवक दुर्गा उत्सव समिति का आयोजन, जिसका यह 57वा वर्ष है । यहां गोलगप्पे की थीम पर पंडाल का निर्माण किया गया है। गोलगप्पे यानी पानी पुरी बतासे हर तरफ नजर आ रहे हैं । पंडाल की सजावट करीब 5 लाख गुपचुप से की गई है । यहां तक की 10 फीट विशाल काय गुपचुप में देवी की प्रतिमा स्थापित की गई है। पंडाल के दीवार से लेकर छत पर हर तरफ गोलगप्पे ही गोलगप्पे नजर आ रहे हैं ।

खास बात यह है कि यहां 5 दिनों तक गोलगप्पे का ही प्रसाद वितरित किया जा रहा है, जिसके स्टॉल बाहर लगाए गए हैं। गोलगप्पे ही नहीं यहां गोलगप्पा निर्माण में प्रयुक्त सामग्री भी प्रदर्शित की गई है । लोग इन्हें देखकर दंग रह जा रहे हैं। गत वर्ष समिति द्वारा चॉकलेट- ट्रॉफी की थीम पर पंडाल सजाया गया था जो भी खूब चर्चाओं में रहा।


इस बार छत्तीसगढ़ का सबसे बड़ा आयोजन आदर्श दुर्गा उत्सव समिति का आयोजन अपने मूल स्थान से हटकर रिवर व्यू में आयोजित किया गया है , क्योंकि यह आयोजन का 50 वा वर्ष है। 5 करोड़ से भी अधिक की लागत से यहां राजस्थानी महल की आकृति तैयार की गई है , जिसकी बारीकी देखते ही बन रही है। भीतर की सजावट हो या देवी की विशालकाय 25 फीट ऊंची प्रतिमा, सब कुछ अद्भुत है। यहां अरपा नदी में लेजर शो का आयोजन किया गया है। साथ ही विशाल मेला भी लगा है। यहां देवी के दर्शन के लिए लाखों लोग पहुंच रहे हैं। भीड़ को टुकड़ों- टुकड़ों में देवी दर्शन का अवसर दिया जा रहा है। यह आयोजन पूरे प्रदेश में चर्चा का विषय बना हुआ है ।


और भी छोटे-बड़े आयोजन इस वर्ष चर्चाओं में है। महा सप्तमी की तिथि पर शाम होते ही पूरा शहर मानो सड़क पर उतर आया। लोग पंडाल- पंडाल जाकर देवी की प्रतिमा के दर्शन करते हुए झांकी , पंडाल की खूबसूरती और विद्युत सज्जा को निहार रहे हैं। हालांकि इसके चलते सड़कों पर बार-बार जाम भी लग रहा है लेकिन इसकी भला किसे परवाह है। आने वाले तीन दिन इसी तरह से लोग दुर्गा दर्शन के लिए घर से निकलेंगे। यह बिलासपुर का सबसे बड़ा जन उत्सव है जिसमें किसी को आमंत्रित करने की आवश्यकता नहीं पड़ती। लोग खुद-ब-खुद ऐसे खींचे चले जाते हैं जैसे चुंबक की ओर लोहा आकर्षित होता है।

विशाल शक्ति दुर्गा उत्सव समिति, काली मंदिर तेलीपारा इस साल अपना शानदार 50वां वर्ष मना रही है। इस खास मौके पर पंडाल की थीम “कांतारा” रखी गई है, जिसमें दिखाया गया है कि कैसे मनुष्य प्रकृति में विलीन होकर देवीय शक्ति का हिस्सा बन जाता है। प्रकृति और आस्था के अद्भुत संगम को दर्शाता यह आकर्षक पंडाल भक्तों और दर्शकों के लिए विशेष आकर्षण का केंद्र है।

