

रायपुर। छत्तीसगढ़ में बड़ी संख्या में निवासरत तेलुगु समाज की समस्याओं और प्रतिनिधित्व के मुद्दों पर चर्चा के लिए छत्तीसगढ़ तेलुगु महासंघम् की एक महत्वपूर्ण बैठक राजधानी रायपुर स्थित मायाराम सुरजन लोकायन सभागार में आयोजित की गई। इस अवसर पर संगठन के प्रमुख पदाधिकारी और सदस्य बड़ी संख्या में शामिल हुए।
बैठक को संबोधित करते हुए महासंघम् के नवनियुक्त संरक्षक, पूर्व पार्षद एवं कोरबा विधानसभा प्रभारी व्ही रामाराव ने कहा—

“आंध्र प्रदेश में जिन जातियों को अनुसूचित जाति और जनजाति का दर्जा हासिल है, उन्हें छत्तीसगढ़ की सूची में शामिल नहीं किए जाने से यहां रहने वाले तेलुगु समाज के लोगों को आरक्षण और सुविधाओं से वंचित होना पड़ रहा है। महासंघम् को यह प्रयास करना होगा कि छत्तीसगढ़ की अनुसूची में भी तेलुगु समाज के ऐसे वंचित वर्ग को शामिल किया जाए, ताकि वे शिक्षा और रोजगार के क्षेत्र में अपने अधिकार हासिल कर सकें।”

उन्होंने आगे कहा—
“प्रदेश में रहने वाले तेलुगु समाज के लोगों को संगठित कर नई पीढ़ी की शिक्षा, रोजगार और मूलभूत सुविधाओं की दिशा में विशेष प्रयास करने की आवश्यकता है। आरक्षण और अन्य कारणों से छत्तीसगढ़ में तेलुगु समाज को राजनीति के क्षेत्र में उचित प्रतिनिधित्व नहीं मिल पा रहा है। अनुसूची में तेलुगु समाज की जातियां आरक्षित वर्ग में शामिल नहीं होने से ही समाज वंचित है। इस दिशा में महत्वपूर्ण प्रयास करना आवश्यक है ताकि छत्तीसगढ़ की राजनीति में तेलुगु समाज को भी उचित प्रतिनिधित्व मिल सके।”
रामाराव ने अनुभव साझा करते हुए कहा कि इसी वजह से हाल ही में हुए नगर निगम चुनाव में समाज के उम्मीदवारों को कठिनाइयों का सामना करना पड़ा। उन्होंने कहा कि इसी कारण से विद्यार्थियों को शैक्षणिक और रोजगार के अवसरों से वंचित होना पड़ रहा है।

महासंघम् के अध्यक्ष आर मुरली ने कहा कि छत्तीसगढ़ में लगभग छह दशक से निवासरत तेलुगु समाज की सामाजिक, सांस्कृतिक और शैक्षणिक समस्याओं का समाधान आवश्यक है। उन्होंने मांग की कि तेलुगु समाज के वंचित वर्गों को अनुसूचित जाति, जनजाति और अन्य पिछड़ा वर्ग की सूची में शामिल किया जाना चाहिए।
बैठक में महासंघम् के प्रदेश कोषाध्यक्ष एन रमना मूर्ति ने गुडियारी स्थित मारुति मंगलम में आयोजित दो दिवसीय कार्यक्रम का आय-व्यय विवरण प्रस्तुत किया, जिसे सर्वसम्मति से पारित किया गया।
सलाहकार एम बाबू राव ने कहा कि अब तक चार बार प्रदेश स्तरीय तेलुगु सम्मेलन भव्य रूप से आयोजित किया गया है, लेकिन अपनी समस्याओं को सुलझाने में समाज बार-बार विफल रहा है। इस बार योजनाबद्ध तरीके से दीर्घकालीन रणनीति अपनाने की आवश्यकता है। उप महासचिव एस गणेश ने कहा कि मार्च में राजधानी रायपुर में संपन्न तेलुगु महासम्मेलन में अतिथि के रूप में आए श्रीकाकुलम विधायक जी शंकर ने समाज की समस्याओं को आंध्र प्रदेश विधानसभा में उठाया था और आश्वासन दिया था कि छत्तीसगढ़ तेलुगु महासंघम् के प्रतिनिधिमंडल को मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू से भेंट करवाया जाएगा।
बैठक की शुरुआत विभिन्न जिलों से आए नए सदस्यों के स्वागत से हुई। कई नेताओं ने महासंघम् का विस्तार सभी जिलों में जल्द करने, महिला विभाग और युवा प्रकोष्ठ गठित करने तथा हर महीने ई-पेपर या पीडीएफ बुलेटिन प्रकाशित करने का सुझाव रखा।
कार्यक्रम का संचालन महासचिव बी तुलसी राव ने किया। इस अवसर पर संरक्षक जी स्वामी, उपाध्यक्ष बी जोगा राव, वेणु गोपाल राव, कोषाध्यक्ष एन रमण मूर्ति, सचिव पी आदिनारायण, डी डी किरण, सी एच भीमराव, मनोरथ बाबू, के वेंकट राव, डी श्याम कुमार, एल जगन्नाथ राव, एस जगदीश, वाई राम प्रसाद राव, के अनिल नायडू, के भानोजी राव, बी सूर्य नारायण, एम वेंकट राव, वी योगि रत्नम, के पापा राव, के कृष्ण मूर्ति, ई तुलसी, एस विश्वनाथ, बी वी एस राजकुमार, यू मुरली राव, एन लोकेश कुमार, आर ई राव, आर वी वी एस एन एस रामकुमार, एम सीताराम, सी श्रीनिवास राव, के तिरुपति राव, डी मोहन राव, एम चिन्ना, जीवन राव, ए श्रीनिवास राव, ए के श्रीनिवास मूर्ति सहित बड़ी संख्या में प्रतिनिधि एवं सदस्य उपस्थित रहे।
