बिलासा महोत्सव की गरिमामय आयोजन की शुरुआत हुई जननायक लोरिक पर साहित्यिक संगोष्ठी से

बिलासपुर:-बिलासा कला मंच बिलासपुर छत्तीसगढ़ लोकसंस्कृति के संरक्षण के लिए जाना जाता है।मंच के द्वारा छत्तीसगढ़ के लोकगीतों, लोकसंगीत,लोकपरंपरा, लोकगाथा को सहेजने और संवर्धन करने के लिए पूरे वर्ष भर विभिन्न आयोजन कर आम जनता से सीधे जुड़ाव रखती है।बिलासा कला मंच द्वारा प्रतिवर्ष आयोजित बिलासा महोत्सव की शुरुआत जननायक वीर लोरिक पर आधारित संगोष्ठी का आयोजन प्रेस ट्रष्ट भवन ईदगाह चौक पर सम्पन्न हुआ।मुख्य वक्ता के रूप में बोलते हुए मंच के संस्थापक डॉ सोमनाथ यादव ने कहा लोरिक ऐतिहासिक पात्र हैं, लोक में रचे बसे हैं। इनकी गाथा काल्पनिक न होकर हकीकत में घटी घटना है जिसे लोक गायक चंदैनी के रूप में गाते और मंचन करते हैं। लोरिक चंदा छत्तीसगढ़ी लोकमानस का लोक महाकाव्य है।
मुख्य अतिथि छत्तीसगढ़ राजभाषा आयोग के पूर्व अध्यक्ष डॉ विनय कुमार पाठक ने कहा कि सामाजिक नियमों से बंधे समाज में भी युवक युवतियों के निश्छल प्रेम की अमर कहानी के पात्र हैं जननायक वीर लोरिक।लोरिक पद्य रूप में लिखा हुआ लोकगाथा है, वीरोन्मुख श्रृंगार का अद्भुत समावेश है लोरिक।अध्यक्ष की आसंदी से बोलते हुए मंच के संरक्षक चंद्रप्रकाश देवरस ने कहा वे बचपन से लोरिक चंदा की कहानी को मंचन के रूप में देखते आये हैं।विशिष्ट अतिथि जी आर चौहान ने कहा कि संगोष्ठी होते रहना चाहिए नए बच्चों को अपनी संस्कृति और उसके लोकगाथाओं को जानने का अवसर मिलता है।इस अवसर पर डा सोमनाथ यादव की अंग्रेजी में लिखित किताब लीजेंड ऑफ लोरिक का लोकार्पण किया गया। कार्यक्रम का संचालन मंच के अध्यक्ष महेश श्रीवास ने और आभार प्रदर्शन वरिष्ठ साहित्यकार बुधराम यादव ने की । संगोष्ठी में प्रमुख रूप से डॉ नंदकिशोर तिवारी, राघवेंद्रधर दीवान,राजेन्द्र मौर्य,डॉ सुधाकर बिबे, डा जी डी पटेल,विश्वनाथ राव,दिनेश्वर राव जाधव,मनीष गुप्ता, विनोद गुप्ता,सुधीर दत्ता,महेंद्र साहू, सतीश पांडे,यश मिश्रा,रामेश्वर गुप्ता,महेंद्र ध्रुव,मनोहरदास मानिकपुरी,दामोदर मिश्रा, डॉ सुनीता मिश्रा,सुनील तिवारी,ओमशंकर लिबर्टी, प्रदीप कोशले,डॉ प्रदीप निरनेजक,जगतारन डहरे सहित शहर के गणमान्य नागरिक और साहित्यकार,कलाकार उपस्थित रहे।

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