

बिलासपुर। एक रिटायर्ड महिला कर्मचारी की फिक्स्ड डिपॉजिट (एफडी) की राशि बिना उनकी अनुमति के दो अलग-अलग बैंक खातों में ट्रांसफर होने का मामला सामने आया है। रिटायर्ड महिला ने बैंक की लापरवाही और संदेहास्पद गतिविधि के खिलाफ पुलिस में शिकायत दर्ज कराई। सिविल लाइन थाना क्षेत्र में दर्ज इस मामले में पुलिस ने दोनों फंड प्राप्तकर्ता खाताधारकों के खिलाफ मामला दर्ज कर लिया है।
मामला ऐसे हुआ उजागर
रत्ना मोंडाल (65), जो कोलकाता के ओल्ड एज होम में रह रही हैं, पेंड्रा स्कूल में कार्यरत थीं। वे 2022 में सेवानिवृत्त हो गईं। अक्टूबर 2024 में उन्होंने बिलासपुर के स्टेट बैंक ऑफ इंडिया (एसबीआई), कलेक्टोरेट ब्रांच में दो फिक्स्ड डिपॉजिट में ढाई-ढाई लाख रुपए जमा किए। इसके कुछ समय बाद रत्ना को यह जानकारी मिली कि उनके दोनों एफडी में से कुल 5 लाख रुपए बिना उनकी अनुमति के अन्य खातों में ट्रांसफर हो चुके हैं।
नवंबर 2024 में 50 हजार रुपए आईएमपीएस के जरिए बिहार के सेंट्रल बैंक के खाताधारक मिथुन कुमार मेहता के खाते में ट्रांसफर हो गए। उसके बाद 30 दिसंबर 2024 को इंटरनेट बैंकिंग के माध्यम से बिना किसी स्वीकृति के ओवरड्राफ्ट लोन खुलवाकर 4 लाख 54 हजार रुपए एचडीएफसी बैंक, तमिलनाडु के तंजौर जिले में रहने वाले हरि पार्थसारथी के खाते में ट्रांसफर कर दिए गए।
बैंक प्रबंधन की लापरवाही पर उठे सवाल
रत्ना ने शिकायत में बताया कि बैंक ने उनकी जानकारी के बिना उनके खाते में “khanar50646@gmail.com” नाम की ईमेल आईडी जोड़ दी थी। इसके साथ ही इंटरनेट बैंकिंग का एक्सेस भी सक्रिय कर दिया गया, जबकि उन्होंने न तो कभी ऐसी कोई ईमेल आईडी बनाई थी और न ही इंटरनेट बैंकिंग सेवाओं का उपयोग किया था। उन्होंने बैंक पर केवाईसी प्रक्रिया, ओवरड्राफ्ट लोन खोलने और ईमेल जोड़ने में गंभीर लापरवाही का आरोप भी लगाया।
उन्होंने यह आशंका भी जताई कि बैंक कर्मचारियों की मिलीभगत से यह घोटाला संभव हुआ है। इसके चलते उन्होंने पुलिस को 30 दिसंबर 2024 को एफआईआर दर्ज कराई।
बैंक का पक्ष
एसबीआई कलेक्टोरेट ब्रांच के चीफ मैनेजर राजा शिंदे ने मामले की पूरी जांच करने की बात कही। जांच में यह पाया गया कि उक्त ट्रांजैक्शन के समय रत्ना के पंजीकृत मोबाइल नंबर पर एक ओटीपी भेजा गया था। इसके आधार पर यह ट्रांजैक्शन सफल हुआ। बैंक प्रबंधन के अनुसार रत्ना ने स्वयं यह स्वीकार किया कि उन्होंने ओटीपी किसी के साथ साझा किया था, जिससे यह घटना हुई।
पुलिस की कार्रवाई
पुलिस ने दोनों फंड प्राप्तकर्ता मिथुन कुमार मेहता और हरि पार्थसारथी के खिलाफ केस दर्ज कर जांच शुरू कर दी है। साथ ही बैंक प्रबंधन की लापरवाही पर भी विशेष ध्यान दिया जा रहा है ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि कहीं बैंक कर्मियों की मिलीभगत तो नहीं हुई।
विश्लेषण
यह घटना ऑनलाइन बैंकिंग सुरक्षा की अनदेखी और जागरूकता की कमी को उजागर करती है। विशेषज्ञों का कहना है कि व्यक्तिगत जानकारी और ओटीपी कभी भी किसी अन्य व्यक्ति के साथ साझा नहीं करनी चाहिए। इस तरह की धोखाधड़ी से बचने के लिए बैंक ग्राहकों को भी सतर्क रहने की सलाह दी जा रही है।
