साधु संतों ने उठाई “ऑपरेशन कालनेमि” को छत्तीसगढ़ में लागू करने की मांग…

बिलासपुर। बिलासपुर में पत्रकारों से चर्चा करते हुए ऑपरेशन कालनेमि को लागू करने की मांग साधु संतों द्वारा की गई। अखिल भारतीय संत समिति छत्तीसगढ़ के महामंडलेश्वर सर्वेश्वर दास जी महाराज,प्रदेश महामंत्री महंत राधेश्याम दास जी महाराज और प्रदेश प्रवक्ता महंत दिव्याकांत दास जी महाराज ने संयुक्त रूप से पत्रकारों से चर्चा करते हुए कहा कि आज देश प्रदेश में ठग साधु संतों की बाढ़ सी आ गई है। साधुओं के भेष में ठग लोगों की भावनाओं के साथ खिलवाड़ कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि जो (वेषधारी) ठग हैं, उन्हें भी अच्छा (साधु का सा) वेष बनाए देखकर उन्हें जगत पूजता है। परन्तु एक न एक दिन वे पकड़ में आ ही जाते हैं। अंत तक उनका कपट नहीं निभता, जैसे कालनेमि, रावण और राहु का हाल हुआ।

माँ कौशिल्या की जन्मभूमि एवं भगवान श्री राम जी का ननिहाल छत्तीसगढ़ में सनातन धर्म की आड़ में लोगों को ठगने और उनकी भावनाओं के साथ खिलवाड़ करने वाले छद्मवेश धारियों के खिलाफ “ऑपरेशन कालनेमि के माध्यम से ऐसे लोगों को चिन्हित कर उन पर कड़ी कार्रवाई करने के लिए सरकार से निवेदन किया गया है।

प्रदेश में कई ऐसे मामले सामने आए हैं जहाँ असामाजिक तत्त्व साधु संतों का भेष धारण कर लोगों को विशेषकर महिलाओं को ठगने का कार्य कर रहे हैं इससे न सिर्फ लोगों की धार्मिक भावनाएं आहत हो रही है बल्कि सामाजिक सौहार्द और सनातन की परंपरा की छवि को भी नुक़सान पहुँच रहा है। ऐसे में किसी भी धर्म का व्यक्ति यदि ऐसा कृत्य करते हुआ मिलता है तो उसके खिलाफ कड़ी कार्रवाई सुनिश्चित की जाए।

जिस प्रकार असुर कालनेमि ने साधु का भेष धारण कर हनुमान जी को भ्रमित करने का प्रयास किया था, वैसे ही आज समाज में कई कालनेमि सक्रिय हैं जो धार्मिक भेष धारण कर अपराध कर रहे हैं।

सरकार जनभावनाओं सनातन संस्कृति की गरिमा की रक्षा और सामाजिक सौहार्द्र बनाए रखने के लिए प्रतिबद्ध बने और आस्था के नाम पर पाखंड फैलाने वाले किसी भी व्यक्ति को बख्शा नहीं जाए।

“ऑपरेशन कालनेमि” के आधार पर :-
फर्जी आधार कार्ड धारियों की जाँच होनी चाहिए जिसमें रोहिंग्या एवं बांग्लादेशी होने के संदेह है।
संत भेष में घूमने वालों का विधिवत रजिस्ट्रेशन होना चाहिए।
धर्मांतरण के माध्यम से धर्म परिवर्तित किए हुए लोगों को चिह्नित कर शासन के द्वारा मिलने वाले अनुदानों से बहिष्कृत किया जाए।
सनातनी मठ मंदिरों में विघर्मियों को कर्मचारी के रूप में स्वीकार नहीं करने की बात कही है।

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