
शशि मिश्रा

बिलासपुर।
रेलवे की मरम्मत के दौरान ओएचई तार की चपेट में आकर मौत के शिकार हुए प्रताप बर्मन का परिवार सोमवार को लगातार पांचवे दिन भी अपनी मांगों को लेकर डीआरएम दफ्तर के बाहर डटा रहा। परिवार के साथ भीम सेना, क्रांति सेना और सर्व आदिवासी समाज सहित कई संगठनों ने धरना स्थल पर पहुंचकर आंदोलन को मजबूत किया। परिजन एक करोड़ रुपए मुआवजा और सरकारी नौकरी की मांग पर अड़े हुए हैं।

350 लोगों के लिए रोज बन रहा खाना
धरना स्थल पर दिन-ब-दिन भीड़ बढ़ रही है। आधा दर्जन से ज्यादा जिलों से समाज पदाधिकारी व कार्यकर्ता बिलासपुर पहुंचे। रोजाना 350 से अधिक लोगों के लिए वहीं पर भोजन पकाया जा रहा है। परिवार और समर्थक वहीं रहकर आंदोलन को जारी रखे हुए हैं।

प्रशासन का 21.50 लाख मुआवजे का प्रस्ताव
रेलवे और जिला प्रशासन की ओर से मृतक के परिवार को 21 लाख 50 हजार रुपए मुआवजा देने की स्वीकृति दी गई है। इसमें 16 लाख 50 हजार रुपए रेलवे और 5 लाख रुपए राज्य शासन की ओर से हैं। सोमवार को रेलवे प्रशासन मृतक की पत्नी और परिजनों को चेक सौंपने की तैयारी में था। हालांकि परिजन ने इसे लेने से इंकार कर दिया। उनका कहना है कि इतनी राशि परिवार के भविष्य की सुरक्षा के लिए पर्याप्त नहीं है।

विभिन्न जिलों से पहुंचे समर्थक
धरना स्थल पर रायपुर, दुर्ग, नवागढ़, बेमेतरा, रायगढ़, घरघोड़ा, धरमजयगढ़ और सारंगढ़ जिलों से बड़ी संख्या में समाज पदाधिकारी और कार्यकर्ता पहुंचे। सभी ने मृतक परिवार को भरोसा दिलाया कि वे अंत तक इस लड़ाई में साथ रहेंगे।

पहले रोका, अब दी सुविधा
धरने के पहले दिन रेलवे कर्मचारियों ने महिलाओं को टॉयलेट इस्तेमाल करने और पानी भरने तक से रोका था। बारिश के दौरान शेड के नीचे खड़े होने की भी अनुमति नहीं दी गई। मृतक की पत्नी के विरोध और कड़े शब्दों के बाद अब रेलवे पानी और टॉयलेट की सुविधा उपलब्ध करा रहा है।
आरपीएफ और पुलिस की 24 घंटे निगरानी
धरना स्थल पर किसी अप्रिय घटना से बचने के लिए आरपीएफ और जिला पुलिस बल तैनात है। सकरी और सिरगिट्टी थाना प्रभारी लगातार परिवार से संवाद कर रहे हैं, मगर आंदोलनकारी अपनी मांगों पर अडिग हैं।

मंत्री के प्रतिनिधियों ने दिया भरोसा
रविवार को राज्य के अनुसूचित जाति विभाग के मंत्री खुशवंत कुमार के प्रतिनिधियों ने मृतक की पत्नी और परिजनों से वीडियो कॉल पर चर्चा की। उन्होंने मुआवजे की राशि में और बढ़ोतरी कराने का आश्वासन दिया, लेकिन नौकरी देने के सवाल पर खामोश रहे। बच्चे की पढ़ाई का खर्च उठाने की बात जरूर कही।
परिवार की जिद कायम
28 अगस्त से लगातार धरने पर बैठे प्रताप बर्मन के परिजन अपनी मांगों से पीछे हटने को तैयार नहीं हैं। उनका कहना है कि जब तक एक करोड़ रुपए मुआवजा और नौकरी का आश्वासन नहीं मिलेगा, तब तक आंदोलन जारी रहेगा।
