

बिलासपुर।
रेलवे में काम करने वाले ठेका श्रमिक प्रताप बर्मन की मौत के बाद शुरू हुआ धरना लगातार 54 घंटे से अधिक समय से जारी है। परिजन ने प्रशासन और रेलवे के अफसरों से पांच बार हुई बातचीत के बावजूद धरना खत्म करने से साफ इनकार कर दिया है। उनका कहना है कि जब तक 1 करोड़ रुपए का मुआवजा, स्थाई नौकरी, बच्चों की शिक्षा की जिम्मेदारी और दोषियों पर एफआईआर दर्ज नहीं की जाती, तब तक आंदोलन जारी रहेगा।
अफसरों के पांच दौर की कोशिश नाकाम

शनिवार को सुबह से देर शाम तक प्रशासनिक और रेलवे अधिकारियों ने पांच बार बातचीत कर धरना समाप्त कराने की कोशिश की।
पहला प्रयास सुबह 10:30 बजे: दो थानेदारों को भेजा गया, लेकिन परिजन नहीं माने।

दूसरा प्रयास दोपहर 1 बजे: सीएसपी और तहसीलदार पहुंचे, परिजन ने उनकी भी बात नहीं मानी।
तीसरा प्रयास: मुआवजा राशि में 50 हजार रुपए की बढ़ोतरी की जानकारी दी गई, परिजन अड़े रहे।
चौथा प्रयास शाम 5:30 बजे: एडीएम शिव बनर्जी और रेलवे अधिकारियों ने परिजन से पौन घंटे बातचीत की।
पांचवां प्रयास देर शाम: 21 लाख 50 हजार रुपए मुआवजे का नया प्रस्ताव रखा गया, लेकिन परिवार ने इसे ठुकरा दिया।
पत्नी ने कहा– “मुआवजा कम चलेगा, पर नौकरी जरूरी”
धरने के दौरान मृतक प्रताप बर्मन की पत्नी खुशबू बर्मन ने कहा–

“मेरे पति अब नहीं रहे। मेरे गोद में 9 महीने का बच्चा है और सास-ससुर की जिम्मेदारी भी है। ऐसे में एक बार का मुआवजा हमारी समस्याओं का हल नहीं है। मुआवजा 1 करोड़ से कम भी हो सकता है, लेकिन स्थाई नौकरी मिलना जरूरी है। यदि नौकरी नहीं मिली तो मैं यहीं धरने पर बैठी रहूंगी।”
पहले इलाज और 50 लाख की मांग, अब 1 करोड़ व नौकरी पर अड़े
मृतक के भाई पंकज बर्मन ने रेलवे को 26 अगस्त को पत्र देकर बेहतर इलाज, 50 लाख मुआवजा और नौकरी की मांग की थी। उनका आरोप है कि 23 अगस्त से अपोलो अस्पताल में भर्ती भाई के इलाज में न तो रेलवे ने और न ही ठेकेदार ने कोई मदद की। अब परिवार 1 करोड़ मुआवजा और नौकरी पर अड़ा हुआ है। रेलवे अफसरों का कहना है कि एम्पलाई कंपनसेशन एक्ट के तहत अधिकतम 16 लाख रुपए ही दिए जा सकते हैं।
खाली अर्थी रखकर किया प्रदर्शन
शनिवार को परिजन और समर्थकों ने डीआरएम ऑफिस के सामने खाली अर्थी रखकर विरोध प्रदर्शन किया। उनका कहना था कि यदि शव हमें नहीं सौंपा जा रहा है तो यही प्रतीकात्मक अर्थी रखकर आंदोलन जारी रहेगा।
परिजन बोले– न्यायपालिका पर पूरा भरोसा
धरने पर बैठे परिजनों और समर्थकों ने कहा कि उन्हें न्यायपालिका पर पूरा भरोसा है और वे 2 सितंबर को हाई कोर्ट में होने वाली सुनवाई का इंतजार करेंगे। यदि फैसला उनके पक्ष में नहीं आता तो आंदोलन तेज किया जाएगा।
आंदोलन को मिल रहा राजनीतिक-सामाजिक समर्थन
धरना स्थल पर क्रांति सेना और बहुजन समाज पार्टी के कार्यकर्ता भी पहुंचे और मृतक परिवार का समर्थन किया। समाज के अलग-अलग संगठन 2 सितंबर को कोर्ट के फैसले के बाद आंदोलन को बड़ा स्वरूप देने की तैयारी में हैं। इसके लिए चार बसों की बुकिंग और राशन की व्यवस्था भी कर ली गई है।
प्रशासन और रेलवे की तैयारी
रेलवे अधिकारी अनुराग कुमार सिंह, सीनियर डीसीएम बिलासपुर मंडल ने कहा–
“रेलवे मृतक परिवार के साथ पूरी सहानुभूति रखता है। अधिनियम के तहत मिलने वाली कंपनसेशन राशि मुहैया कराने रेलवे तत्पर है। परिवार से लगातार बातचीत की जा रही है।”
इधर, आंदोलन को देखते हुए पुलिस लाइन में अतिरिक्त फोर्स को स्टैंडबाई पर रखा गया है और आरपीएफ ने भी अपनी तैयारी पूरी कर ली है।
यह मामला अब कोर्ट की सुनवाई और प्रशासन की अगली पहल पर निर्भर है। परिजन अपनी चार सूत्रीय मांगों पर अडिग हैं और उन्होंने साफ कहा है कि जब तक न्याय नहीं मिलेगा, धरना समाप्त नहीं होगा।
