

बिलासपुर, शनिवार (23 अगस्त 2025)। एनटीपीसी दुर्घटना के ठीक बाद रेलवे में भी सुरक्षा लापरवाही का मामला सामने आया है। बिलासपुर रेलवे कोचिंग डिपो में शनिवार को वॉटर टेस्टिंग के दौरान एक ठेका कर्मी 25 केवी ओवरहेड इलेक्ट्रिक (OHE) लाइन के संपर्क में आ गया। हादसे में मुलमुला निवासी प्रताप बर्मन बुरी तरह झुलस गया। उसे तुरंत रेलवे अस्पताल ले जाया गया, जहां से हालत गंभीर होने पर पहले सिम्स और बाद में अपोलो रेफर किया गया। वर्तमान में उसका इलाज जारी है और स्थिति गंभीर बताई जा रही है।

क्या हुआ था
कोचिंग डिपो में रोज़ की तरह रैक मेंटेनेंस और वॉटर टेस्टिंग का काम चल रहा था।
ठेका कर्मियों के अनुसार, काम की अगुवाई कर रहे रेलकर्मी मीणा ने शनिवार दोपहर करीब 1:00 बजे कर्मचारियों को बताया कि “जैमर लग गया है” और “भगत की कोठी रैक जल्द आने वाली है”, इसलिए कोच पर चढ़कर वॉटर टेस्टिंग करने के निर्देश दिए गए।

इसी दौरान प्रताप बर्मन जब वॉटर टैंक से पाइप निकालने ऊपर पहुंचा, तो वह 25 केवी सप्लाई लाइन के संपर्क में आ गया, जिसमें उस समय करंट प्रवाहित था।
लापरवाही के आरोप
मौके पर मौजूद ठेका कर्मियों का आरोप है कि वे पिछले डेढ़ माह से काम कर रहे हैं और ओएचई सप्लाई बंद/चालू होने की जानकारी उन्हें प्रायः वही रेलकर्मी देते हैं।

आरोप है कि गलत सूचना के कारण ही कर्मचारी ऊपर चढ़े और यह हादसा हुआ।
कुछ ठेका कर्मियों ने कहा कि “मीणा सर की गलत जानकारी के कारण ही प्रताप बर्मन सीधे विद्युत तार के संपर्क में आ गया।”

प्रशासनिक स्थिति
आश्चर्यजनक रूप से, ठेका कर्मियों के अनुसार इस घटना की आधिकारिक सूचना रेलवे रिकॉर्ड में दर्ज नहीं हुई है या कम-से-कम उनके संज्ञान में नहीं आई।
इस खबर के प्रकाशन तक रेलवे प्रशासन की ओर से कोई आधिकारिक बयान प्राप्त नहीं हुआ। विभागीय प्रतिक्रिया मिलते ही अद्यतन सूचना जारी की जाएगी।

सुरक्षा पर बड़े सवाल
कोचिंग डिपो जैसे उच्च जोखिम वाले क्षेत्र में ओएचई आइसोलेशन/ब्लॉक की लिखित पुष्टि, “जैमर”/“इंडक्शन” लोकिंग, अर्थिंग, और “परमिट-टू-वर्क” जैसी प्रक्रियाएं मानक सुरक्षा प्रोटोकॉल का हिस्सा मानी जाती हैं।
यदि आरोप सही हैं, तो सप्लाई कट-ऑफ की स्पष्ट पुष्टि और अर्थिंग के बिना कर्मचारियों को ऊपरी हिस्से में भेजना गंभीर लापरवाही की श्रेणी में आता है।
हालिया एनटीपीसी हादसे के बाद यह घटना औद्योगिक सुरक्षा मानकों तथा ठेका कर्मियों की सुरक्षा-प्रशिक्षण पर भी सवाल खड़े करती है।
प्रत्यक्ष उपचार व वर्तमान स्थिति
प्रताप बर्मन को पहले रेलवे अस्पताल, फिर सिम्स, और बाद में अपोलो रेफर किया गया।

परिजन और सहकर्मी अस्पताल में मौजूद हैं; डॉक्टरों ने स्थिति को गंभीर बताया है।
पीड़ित पक्ष और जांच की मांग
सहकर्मियों ने तत्काल विभागीय जांच, जिम्मेदारी तय करने तथा पीड़ित के समुचित उपचार और मुआवज़े की मांग की है।
श्रमिक संगठनों ने भी लिखित घटना रिपोर्ट, ओएचई ब्लॉक/आइसोलेशन का रिकॉर्ड, और ड्यूटी चार्ट सार्वजनिक करने की मांग उठाई है।
रेलवे प्रशासन से अपेक्षा है कि वह तुरंत फैक्ट-फाइंडिंग जांच शुरू कर जिम्मेदारी तय करे, और भविष्य में ऐसे हादसों से बचाव के लिए एसओपी का कड़ाई से पालन सुनिश्चित करे।
ठेका कर्मियों की सुरक्षा-प्रशिक्षण, पीपीई किट उपलब्धता, और लॉकआउट-टैगआउट/परमिट-टू-वर्क जैसी प्रक्रियाओं की स्वतंत्र ऑडिट कराना आवश्यक है।
