श्री पीतांबरा पीठ त्रिदेव मंदिर में छत्तीसगढ़ शासन गौ सेवा आयोग अध्यक्ष श्री विशेषर सिंह पटेल सपरिवार पहुंच कर रुद्राभिषेक किए

सरकण्डा स्थित श्री पीताम्बरा पीठ त्रिदेव मंदिर में सावन महोत्सव श्रावण मास मे महारुद्राभिषेकात्मक महायज्ञ नमक चमक विधि द्वारा प्रारंभ हो गया है जोकि निरंतर एक माह तक चलेगा।11 जुलाई 2025 से आरंभ सावन के अवसर पर त्रिदेव मंदिर में महारुद्राभिषेकात्मक महायज्ञ का आयोजन किया जा रहा हैं। यह आयोजन 9 अगस्त सावन शुक्ल पूर्णिमा तक निरंतर चलेगा। इस अवसर पर नित्य प्रतिदिन प्रातः 9:00 बजे से दोपहर 1:30 बजे तक श्री शारदेश्वर पारदेश्वर महादेव का महारुद्राभिषेक नमक चमक विधि से किया जा रहा है।

पीठाधीश्वर आचार्य डॉक्टर दिनेश जी महाराज ने कहा कि श्रावण मास वर्षा एवं हरियाली का समय होता है और यह अति मनमोहक समय होता है,श्रावण मास का प्रत्येक दिन महत्वपूर्ण है, श्रावण मास में भगवान भोलेनाथ का पूजन-अर्चन करने तथा जलाभिषेक, रुद्राभिषेक, जप इत्यादि का विशेष फल है, कहा जाता है कि इस महीने में भगवान भोलेनाथ की कृपा से मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं,श्रावण मास में रामचरित मानस एवं राम नाम संकिर्तन का विशेष महत्व है।

शास्त्रों के अनुसार श्रावण के महीने में माता पार्वती ने तपस्या करके भोलेनाथ को प्रसन्न किया था और उन्हें पति रूप में प्राप्त किया था। इसलिए भी भगवान भोले नाथ को यह मास अत्यधिक प्रिय है।
हरषे हेतु हेरि हर ही को।किय भूषन तिय भूषन ती को।।नाम प्रभाउ जान सिव नीको।
हमारे शास्त्रों एवं पुराणों के अनुसार श्रावण मास भगवान शिव एवं माता पार्वती को समर्पित है, भगवान शिव को श्रावण का महीना अत्यंत प्रिय है।यह बात स्वयं भोलेनाथ ने कही है।

किय भूषन तिय भूषन ती को,नाम प्रभाउ जान सिव नीको।कालकूट फलु दीन्ह अमी को

समुद्र मन्थन के समय समुद्र से निकले हलाहल विष को भगवान भोलेनाथ अपने गले में धारण किया, जिससे उनके गले में हो रही जलन को शांत करने के लिए सभी देवताओं ने मिलकर भगवान शिव का जलाभिषेक किया, इससे उनको उस हलाहल विष के प्रभाव से शांति मिली और वह प्रसन्न हुए, तब से भगवान शिव क़े जलाभिषेक करने का विशेष महत्व है।

श्री रामचरित मानस में तुलसीदास जी श्रावण मास के विषय में लिखते हैं –
बरषा रितु रघुपति भगति, तुलसी सालि सुदास।रामनाम बर बरन जुग, सावन भादव मास॥

इस प्रकार से श्रावण मास भक्ति एवं हरियाली का प्रतीक है,श्रावण मास में सोमवार व्रत, मंगला गौरी व्रत या अन्य व्रत शुरू किया जा सकता है, इस मास में जो व्यक्ति विल्वपत्र एवं दूध-दही, घी, शहद, गन्ने का रस इत्यादि से भोलेनाथ का अभिषेक करता है, भोलेनाथ उसकी सारी मनोकामनाएं पूर्ण करते हैं।

मंगला गौरी व्रत अविवाहित कन्याएं भी योग्य वर की प्राप्ति के लिए यह व्रत रखती हैं। विवाहित महिलाओं द्वारा अपने पति की लंबी उम्र और सुखद वैवाहिक जीवन के लिए रखा जाता है।यह व्रत सावन के महीने में प्रत्येक मंगलवार को किया जाता है और देवी पार्वती (मंगला गौरी) को समर्पित है।
ज्योतिष के दृष्टिकोण से श्रावण मास में सूर्य राशि परिवर्तन करते हैं, जिसका प्रभाव सभी 12 राशियों पर पड़ता है. श्रावण मास में भोलेनाथ और माता जी की असीम अनुकंपा रहती है।
बाबा-बाबा सब कहे। मैया कहे ना कोई। बाबा के दरबार में मैया कहे सो होय।सिंह चढ़ी दुर्गा मिली ,गरुड़ चढ़े भगवान।बैल चढ़े बाबा मिले, पूरण होय सब काम ।।

श्रावण कृष्ण एकादशी के परम पावन अवसर पर छत्तीसगढ़ राज्य गौ सेवा आयोग अध्यक्ष श्री विशेषर सिंह पटेल,सपत्निक श्रीमती उमेंदा देवी पटेल, गुणेंद्र पटेल,परमानंद पटेल,लोहरेश्वरी देवी, नयन पटेल
के साथ सहपरिवार पहुंचकर श्री शारदेश्वर पारदेश्वर महादेव का महारुद्राभिषेक किये। इस अवसर पर पंडित ब्रह्मचारी मधुसूदन पाण्डेय, पं.चिरंजीवी पाण्डेय,पं. भुवनेश शर्मा, केसरी नंदन पाण्डेय, पं.किशन तिवारी, पं. दुर्गेश पाण्डेय आदि उपस्थित रहे।

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