

बिलासपुर। 100 साल पुराने मिशन अस्पताल से जुड़े जमीन विवाद में अस्पताल प्रबंधन को एक और झटका लगा है। बिलासपुर हाई कोर्ट ने प्रशासन की कार्रवाई को सही ठहराते हुए ईसाई मिशनरी संस्था डिसाइपल्स ऑफ क्राइस्ट की याचिका खारिज कर दी है। जस्टिस अमितेंद्र किशोर प्रसाद की सिंगल बेंच ने साफ किया कि लीज नवीनीकरण को लेकर प्रशासन का फैसला कानूनी रूप से उचित है।
1882 से चला आ रहा सेवा कार्य, 1925 में मिली थी लीज
मिशनरी संस्था का दावा है कि वर्ष 1882 से वे बिलासपुर में चिकित्सा, शिक्षा और सामाजिक सेवा कार्य कर रहे हैं। 1925 में राज्य सरकार ने संस्था को अस्पताल व उससे जुड़े अन्य भवनों के लिए जमीन लीज पर दी थी। यह लीज समय-समय पर नवीनीकृत होती रही, लेकिन 1994 के बाद तकनीकी कारणों से नवीनीकरण अटक गया।
संस्था का कहना है कि कब्जा और सेवा कार्य जारी रहते हुए उन्होंने किराया भी जमा करने की कोशिश की, लेकिन प्रशासन ने जानबूझकर लेने से इनकार कर दिया। इसके बाद नवीनीकरण न होने का बहाना बनाकर जमीन खाली कराने की साजिश की गई।
प्रशासन ने बुलडोजर चलाकर ढहा दिए भवन
नवीनीकरण की अर्जी खारिज होने के बाद संस्था ने संभागायुक्त के समक्ष अपील की, लेकिन वहां भी राहत नहीं मिली। इस बीच 6 नवंबर 2024 को हाई कोर्ट ने अधिकारियों को याचिकाकर्ता के अभ्यावेदन पर निर्णय लेने का निर्देश दिया था। इसके बाद 8 जनवरी 2025 को प्रशासन ने कार्रवाई करते हुए अस्पताल, नर्सिंग स्कूल, स्टाफ क्वार्टर और चर्च समेत करीब 80% हिस्सा ढहा दिया।
इसके खिलाफ संस्था ने फिर हाई कोर्ट में याचिका दायर की। याचिका में कहा गया कि लीज डीड के खंड 8 के तहत उन्हें स्वचालित रूप से 30 साल के लिए नवीनीकरण का अधिकार था। बावजूद इसके मनमाने ढंग से नवीनीकरण से इनकार किया गया। याचिका में यह भी आरोप था कि स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट के लिए जमीन खाली कराने की योजना पहले से ही बनाई गई थी।
प्रशासन पर लगाया किराया न लेने का आरोप
संस्था ने यह भी तर्क दिया कि जब वे किराया जमा करने गए तो प्रशासन ने जानबूझकर लेने से इनकार किया। बाद में गैर-भुगतान का बहाना बनाकर कब्जा समाप्त कर दिया गया। यहां तक कि कोई नोटिस दिए बिना ही बुलडोजर चला दिया गया। उन्होंने कोर्ट से 7 फरवरी 2025 के आदेश को रद्द करने, लीज नवीनीकरण 30 साल के लिए बहाल करने, ढहाए गए भवनों की पुनर्स्थापना और मुआवजे की मांग की थी।
सरकार बोली- शर्तों का उल्लंघन, कानूनी कार्रवाई की गई
राज्य सरकार की ओर से कहा गया कि संस्था ने लंबे समय से लीज की शर्तों का उल्लंघन किया और जमीन का दुरुपयोग किया। ऐसे में कब्जा वापस लेने के लिए कानूनी प्रक्रिया का पालन किया गया।
हाई कोर्ट का फैसला
दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद जस्टिस अमितेंद्र किशोर प्रसाद की सिंगल बेंच ने प्रशासन के फैसले को सही माना और याचिका खारिज कर दी। इससे मिशन अस्पताल प्रबंधन को कोई राहत नहीं मिल पाई।
अब संस्था के पास केवल डिवीजन बेंच में अपील करने या सुप्रीम कोर्ट जाने का विकल्प बचा है। वहीं प्रशासन का अगला कदम स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट के तहत इस जमीन का उपयोग करने का हो सकता है।