

बिलासपुर।
छत्तीसगढ़ सराफा एसोसिएशन द्वारा शनिवार को बिलासपुर के यश पैलेस में ‘राष्ट्रचिंतन (विश्व गुरु भारत 2047- हमारा दायित्व)’ विषय पर एक विशेष संगोष्ठी का आयोजन किया गया। इस कार्यक्रम में प्रख्यात वक्ता एवं राष्ट्रवादी चिंतक पुष्पेंद्र कुलश्रेष्ठ ने अपने विचार व्यक्त किए।
कार्यक्रम में बिलासपुर विधायक अमर अग्रवाल, बिल्हा विधायक धरमलाल कौशिक, बेलतरा विधायक सुशांत शुक्ला, सराफा एसोसिएशन के प्रदेश अध्यक्ष कमल सोनी, समाजसेवी एवं बड़ी संख्या में गणमान्य नागरिक उपस्थित रहे।
समाज राष्ट्र चलाता है, सरकार देश
अपने उद्बोधन में पुष्पेंद्र कुलश्रेष्ठ ने कहा कि अक्सर लोग स्वयं को देशप्रेमी बताते हैं, लेकिन देशप्रेम केवल भावना नहीं, बल्कि कर्तव्य और समर्पण से सिद्ध होता है। उन्होंने स्पष्ट किया कि देश सेवा के नाम पर जो लोग शासन द्वारा बनाए गए नियमों का पालन करते हैं, वे दरअसल अपने दायित्व निभा रहे हैं, लेकिन राष्ट्र केवल सरकार से नहीं चलता, बल्कि समाज के सामूहिक सहयोग से चलता है।
उन्होंने कहा, “हम जिसे देश सेवा कहते हैं, वह अक्सर नियम पालन भर रह जाता है। वास्तव में राष्ट्र समाज चलाता है और सरकार केवल देश चलाती है।”

राजनीति और समाज पर विचार
कुलश्रेष्ठ ने राजनीति के उदाहरण देते हुए कहा कि पिछले 70 साल की राजनीति में यदि किसी को राजनीति का चाणक्य माना जा सकता है तो वह पूर्व प्रधानमंत्री पीवी नरसिम्हा राव हैं। उन्होंने संसद में साफ कहा था कि कश्मीर पाकिस्तान के कब्जे वाला क्षेत्र वापस लेना हमारा एजेंडा है और संसद में यह प्रस्ताव पारित भी हुआ था।
उन्होंने आज के समाज पर कटाक्ष करते हुए कहा कि आज तो मंदिर के पुजारी भी सरकार से वेतन की उम्मीद कर रहे हैं, पुरुषार्थ खत्म होता जा रहा है। “लोग 2 रुपए किलो चावल, दाल और साड़ी में बिक जा रहे हैं और भविष्य का चुनाव कर रहे हैं। यह चिंताजनक है।”

भारतीय संस्कृति में तलाक का स्थान नहीं
पारिवारिक मूल्यों पर बोलते हुए कुलश्रेष्ठ ने कहा कि तलाक भारतीय सभ्यता में कभी रहा ही नहीं। “हमारी संस्कृति में विवाह जन्म-जन्मांतर का बंधन है। जबकि इस्लामिक विवाह कॉन्ट्रैक्ट की तरह होता है, जो कभी भी टूट सकता है। इसलिए भारतीय विवाह पद्धति को समझना जरूरी है।”
धर्म और मजहब में फर्क समझना होगा
कुलश्रेष्ठ ने कहा कि मजहब और धर्म में तुलना नहीं की जा सकती। “पूरी दुनिया में जितने भी फसाद हैं, वह मजहब के कारण हो रहे हैं। सनातनी लोग अक्सर किसी बात की जड़ तक नहीं जाते, लेकिन जब किसी चीज को खत्म करना होता है, तो सनातनी ही उसे जड़ से समाप्त करते हैं।”
शंकराचार्य राष्ट्र की सर्वोच्च संस्था
वक्ता ने कहा कि देश की सर्वोच्च धार्मिक संस्था शंकराचार्य है। “अगर हमारी परंपरा पर कोई सवाल उठाता है तो उसका समाधान शंकराचार्य ही कर सकते हैं। देश में चार शंकराचार्य होने चाहिए, लेकिन आज 12 शंकराचार्य घूम रहे हैं और काले कोर्ट (न्यायालय) तक पहुंच गए हैं, जो परंपरा के अनुरूप नहीं है।”
कर्तव्य से होती है पहचान
पुष्पेंद्र ने ऐतिहासिक उदाहरण देते हुए कहा कि “मंगल पांडेय भूमिहार ब्राह्मण थे, लेकिन उन्होंने अंग्रेज को गोली मारने से पहले यह नहीं सोचा कि वह क्षत्रिय नहीं हैं। उन्होंने केवल कर्तव्य को देखा कि अंग्रेज को नहीं मारेंगे तो देश को नुकसान होगा। कर्तव्य ही ब्राह्मण, क्षत्रिय या अन्य वर्ण की पहचान कराता है।” उन्होंने कहा कि डॉ. भीमराव अंबेडकर से बड़ा ब्राह्मण हम किसी को नहीं मानते।
सनातनियों को स्वयं जागरूक होना होगा
कुलश्रेष्ठ ने चेतावनी देते हुए कहा कि सनातनियों को अपनी सुरक्षा और एकता के लिए स्वयं प्रयास करना होगा। “हर काम सरकार पर नहीं छोड़ा जा सकता। धर्मांतरण जैसी कोई चीज होती ही नहीं, क्योंकि धर्म तो कर्तव्य है, और पूजा पद्धति को ‘मत’ कहा जाता है। मतांतर तभी होता है जब हम अपने आराध्य और संस्कारों से कट जाते हैं। इसलिए मतांतर रोकने के लिए कानून से ज्यादा जरूरी है जागरूकता।”
वंदे मातरम मित्र मंडल की 206वीं बैठक
इसके पूर्व, स्व. लखीराम अग्रवाल सभागार में वंदे मातरम मित्र मंडल की 206वीं बैठक आयोजित हुई, जिसमें मुख्य अतिथि पुष्पेंद्र कुलश्रेष्ठ और विशिष्ट अतिथि आरएसएस के प्रफुल्ल शर्मा रहे। कार्यक्रम की अध्यक्षता प्रदेश अध्यक्ष महेंद्र जैन ने की। उन्होंने बताया कि सनातनियों पर हो रहे अत्याचारों के खिलाफ 7 सदस्यों से शुरू हुआ यह संगठन अब 5 हजार सदस्यों तक पहुंच चुका है।
कार्यक्रम के अंत में सौरभ दुबे ने अतिथियों का आभार व्यक्त किया।