
शशि मिश्रा

बिलासपुर। छत्तीसगढ़ में पारंपरिक सर्राफा कारोबारियों पर बड़े ब्रांडेड ज्वेलरी घरानों की प्रतिस्पर्धा का संकट गहराता जा रहा है। राज्य के करीब 12 से 15 हजार पारंपरिक ज्वेलर्स के सामने अब अस्तित्व बचाने की चुनौती खड़ी हो गई है। महंगे विज्ञापनों और छूट के झांसे से ग्राहक भ्रमित हो रहे हैं, जिससे छोटे कारोबारियों का व्यवसाय लगातार प्रभावित हो रहा है। इसी मुद्दे पर शनिवार को बिलासपुर में छत्तीसगढ़ सर्राफा एसोसिएशन ने प्रेस वार्ता कर ग्राहकों को जागरूक किया और बड़े ब्रांड्स पर कई गंभीर आरोप लगाए।

प्रेस कांफ्रेंस में प्रदेशाध्यक्ष कमल सोनी ने कहा कि सोने की कीमत और शुद्धता पूरे देश में एक समान होती है, इसे कोई भी ब्रांड कम दाम पर नहीं बेच सकता। अगर कोई ज्वेलरी ब्रांड बाजार से कम कीमत पर सोना देने का दावा करता है, तो यह ग्राहकों को गुमराह करने और ठगी करने का तरीका है। ऐसा प्रचार कानूनी रूप से भी अपराध है।
उन्होंने बताया कि प्रदेश में एसोसिएशन की 120 जिला इकाइयां सक्रिय हैं और इससे करीब 12 हजार से अधिक पारंपरिक व्यापारी जुड़े हुए हैं। लेकिन बड़े घरानों की ब्रांडिंग और छूट की आड़ में किए जा रहे भ्रामक प्रचार से ये व्यापारी पिछड़ रहे हैं।

“सोने पर छूट का दावा एक छलावा”
कमल सोनी ने कहा कि कुछ कंपनियां ग्राहकों को 2 से 3 हजार रुपये की छूट का लालच देती हैं। लेकिन हकीकत यह है कि ग्राहकों को मेकिंग चार्ज और अन्य छिपी हुई लागत से ज्यादा नुकसान होता है।

“अगर कोई ग्राहक इन कंपनियों की सच्चाई परखना चाहता है तो उनसे ज्वेलरी न खरीदकर सिर्फ सोने का सिक्का खरीदे। सोने के सिक्के में मिलावट नहीं हो सकती, वहीं असली और नकली का फर्क साफ दिख जाएगा।”
उन्होंने कहा कि ब्रांडेड कंपनियों की दुकानें संगठन से जुड़ने को तैयार नहीं हैं, क्योंकि उनके व्यापार मॉडल में पारदर्शिता नहीं है। ऐसे में पारंपरिक कारोबारी अब आरपार की लड़ाई के मूड में हैं।
ग्राहकों को दी ये जरूरी सलाह
प्रेस वार्ता में ग्राहकों को ठगी से बचने के लिए महत्वपूर्ण सुझाव दिए गए–
✅ मेकिंग चार्ज पूछें और बिल में पूरी जानकारी दर्ज कराएं। सामान्य जेवर पर मेकिंग चार्ज 12% तक और डिजाइनर जेवर पर 12-18% तक हो सकता है।
✅ हॉलमार्किंग शुल्क की तय दर दें। सरकार ने इसकी कीमत 45 रुपये और उस पर 3% जीएसटी तय की है। इससे अधिक वसूली नियमों के खिलाफ है।
✅ बिल में पूरी पारदर्शिता हो। कुल वजन, कैरेट, हॉलमार्क, मेकिंग चार्ज, रिटर्न और एक्सचेंज की शर्तें स्पष्ट रूप से दर्ज होनी चाहिए।
✅ रिटर्न और एक्सचेंज पॉलिसी पहले से जान लें। खासकर स्टोन लगे आभूषण में स्टोन का वजन अलग से बताया जाना चाहिए और सोने के वजन में नहीं जोड़ा जाना चाहिए।
✅ छूट का लालच न खाएं। जो संस्थाएं भारी छूट का दावा करती हैं, वहां से सिर्फ सोने का सिक्का खरीदें, इससे असली कीमत का अंदाजा लगेगा।
बड़े ब्रांड से नुकसान में ग्राहक और व्यापारी दोनों
एसोसिएशन का कहना है कि बड़े ब्रांड्स विज्ञापन के जरिए यह संदेश देते हैं कि सिर्फ वही शुद्ध सोना बेचते हैं। लेकिन यह भ्रामक प्रचार है और छोटे कारोबारियों को नुकसान पहुंचाने की साजिश भी। इससे न केवल पारंपरिक व्यापार खत्म हो रहा है बल्कि ग्राहक भी लंबे समय में आर्थिक नुकसान झेलते हैं।
प्रेस वार्ता में एसोसिएशन के महासचिव प्रकाश गोलछा, कोषाध्यक्ष हर्षवर्धन जैन, प्रदीप घोरपड़े, बिलासपुर के कार्यवाहक अध्यक्ष श्रीकांत पांडेय समेत कई पदाधिकारी मौजूद रहे। संगठन ने सभी ग्राहकों से अपील की है कि वे केवल प्रमाणित दुकानों से ही खरीदारी करें और हर लेन-देन में पारदर्शिता सुनिश्चित करें।