“मैंने भी पढ़ी” के ५४ वें संस्करण में एक परेशान आत्मा।

यूनुस मेमन

बिलासपुर. १६ जून सोमवार को अरपा नदी के किनारे चौपाटी के तिरंगा प्रांगण में बिलासपुर के साहित्यिक टीम “कविता चौपाटी से” का ५४ वां सम्मेलन आयोजित किया गया। कविता चौपाटी से साहित्य साधकों का एक ऐसा समूह है जो कोयला के खान से “हीरा” और कचरों के ढेर से “नगीना” निकालकर समाज को परोसता है।
मंच के चौवनवें संस्करण में सात सौ सालों तक प्राचीन छत्तीसगढ़ राज्य की राजधानी रह चुके तथा वर्तमान में धार्मिक पर्यटन नगरी के नाम से विख्यात रतनपुर के एक ऐसे गुमनाम कलमकार को मंच प्रदान किया गया जो अपने परिवार के जीवनयापन के लिए चाय नाश्ते की गुमटी लगाता है। दिनभर हाड़तोड़ मेहनत के बाद जब दुनिया सोती है वह अपने कलम की रोशनाई से गुमटी में मिले अनुभवों को पिरोकर साहित्य का माला गूंथता है। उस गुमनाम कलमसाधक के माला का एक मोती है खंडकाव्य “कर्मण्येवाधिकारस्ते”।
कार्यक्रम के प्रथम सोपान में श्री शैलेश गुप्ता, श्रीमती पूर्णिमा तिवारी, श्री राजेश खरे, श्री एन के शुक्ला, श्री सतीश पांडेय तथा कवियत्री श्रीमती धनेश्वरी “गुल” ने काव्यपाठ कर समां बांधा, वाहवाही लूटी। द्वितीय चरण में बिलासपुर के ख्यातिलब्ध व्यंग्यकार श्री द्वारिका वैष्णव द्वारा रचित “एक परेशान आत्मा” किताब का समीक्षात्मक विवेचना श्री सामाजिक लाल एवं राजेन्द्र मौर्य के द्वारा किया गया। एक परेशान आत्मा हास्य और व्यंग से ओत-प्रोत उन्तीस लघु कथाओं का समूह है। कथानक में श्री वैष्णव जी द्वारा समाज में घटित सम सामयिक सच्ची घटनाओं को चुटीली व्यंग और मुस्कान बिखेरती तानों से सजाया गया है। मौर्य जी ने व्यंग विधा को संघातिक करार देते हुए मर्मस्पर्शी मारक प्रभाव वाला निरुपित किया। उनका कहना था कि समाज में बकरा को मारने का दो तरीका प्रचलित है झटका और हलाल। खड़ी शब्दों में लिखा गया व्यंग झटका जैसा है जबकि हास्यात्मक शैली में उकेरा गया व्यंग कथानायक को धीरे-धीरे हलाल करता है।
कार्यक्रम के तीसरे एवं अंतिम सोपान में रतनपुर से पधारी कवियत्री एवं सामाजिक कार्यकर्ता श्रीमती अनामिका शर्मा जी ने रतनपुर के कलमसाधक श्री बुद्धिसागर सोनी “प्यासा” जी का जीवन परिचय देते हुए श्री सोनी जी को सच्चा साहित्य साधक, निष्ठावान समाजसेवी एवं सरल हृदय व्यक्ति बताया। उनका कहना था कि छग जोगी न्याय सेवा संगठन के जिला महासचिव रहते हुए सोनीजी द्वारा समाज और जनहित में अनेकों कार्य और कार्यवाहियों को अंजाम दिया गया। उनके द्वारा रचित खंडकाव्य कर्मण्येवाधिकारस्ते में मानव जीवन को सहज सरल ढंग से जीने की कला छिपी है। कवि ने गीता के सांख्य योग, निष्काम योग जैसे गूढ़ दर्शनों का सरलीकरण किया है। उनकी यह रचना मानवीय जीवन के द्वंद और कठिनाईयों से बाहर निकलने का मार्ग प्रशस्त करता है। विषम परिस्थितियों में लिखी गई खंडकाव्य एक कालजयी ग्रंथ है जो भावी पीढ़ी के लिए प्रेरणादायक सिद्ध होगा। साहित्य संध्या के अंतिम क्रम में श्री सोनी जी द्वारा रचित खंडकाव्य के अंश का अनावरण मुख्य अतिथि श्री राघवेन्द्र धर दिवान, अध्यक्षता की आसंदी से श्री बुधराम यादव जी एवं विशिष्ट अतिथि डा, मंतराम यादव जी द्वारा करते हुए कलमकार को शाल श्रीफल एवं प्रशस्ति पत्र देकर सम्मानित किया गया।


कार्यक्रम को सफल बनाने में टीम के सदस्यगण एस विश्वनाथ राव, श्रीमती सरला सोनी, वैभव सराफ, अनामिका सराफ, विजय चौहान, वैभव सोनी, राजकुमार टंडन, सचिन साहू, भगतराम, राकेश, अयोध्या, विरेन्द्र साहू, सुरेन्द्र वर्मा, लेखनी जाधव, सतीश पांडेय, देवानंद, जे पी डहरे, ओमप्रकाश भट्ट, मनिषा भट्ट, रश्मि रामेश्वर गुप्ता, रामेश्वर गुप्ता एवं दिनेश्वर जाधव का महत्वपूर्ण योगदान रहा।

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