


मुंबई, 14 जून 2025:
मुंबई से एक बेहद हृदय विदारक और चिंताजनक खबर सामने आई है। लगभग 10 महीने पहले पाकिस्तान से भारत आए एक हिंदू शरणार्थी परिवार के मुखिया ने बेरोजगारी और आर्थिक तंगी से तंग आकर पहले अपनी पत्नी की हत्या कर दी और फिर आत्महत्या कर ली। इस दर्दनाक घटना में उनके दो मासूम बच्चे अनाथ हो गए हैं।
मृतक की पहचान संजय सचदेवा उर्फ नौतन दास के रूप में हुई है, जो अपनी पत्नी सपना और बच्चों के साथ भारत आए थे। परिवार ने भारत में शरण के लिए आवेदन किया था और उन्हें दीर्घकालिक वीजा (Long Term Visa – LTV) भी प्राप्त हो गया था। इसके बावजूद, पाकिस्तानी मूल होने की वजह से संजय को रोजगार नहीं मिल पा रहा था, जिससे वे गंभीर आर्थिक संकट में फंस गए थे।
बताया जा रहा है कि इसी मानसिक तनाव और निराशा ने उन्हें यह खौफनाक कदम उठाने के लिए मजबूर कर दिया।
यह घटना सिर्फ एक परिवार की निजी त्रासदी नहीं है, बल्कि एक व्यापक सामाजिक और मानवीय चिंता का विषय भी है। यदि संजय ने समय रहते किसी सामाजिक संस्था, एनजीओ या समुदाय से सहायता मांगी होती, तो शायद यह भयावह अंत टल सकता था। सिंधी समाज और विशेष रूप से सिंधी पंचायत जैसे संगठन, पाकिस्तान से आए शरणार्थी हिंदू परिवारों की सहायता के लिए लगातार कार्य कर रहे हैं।
अहमदाबाद जैसे शहरों में कई संस्थाएँ सक्रिय हैं जो पाकिस्तान से आए हिंदू शरणार्थियों को न केवल बसाने में मदद करती हैं, बल्कि उन्हें रोजगार दिलाने या स्वरोजगार स्थापित करने के लिए भी सहयोग प्रदान करती हैं। इसी तरह की एक संस्था की मदद से दो अन्य पाकिस्तानी हिंदू परिवार जो वर्तमान में एक आवासीय सोसाइटी में रह रहे हैं, आज सफलतापूर्वक भारत में बस चुके हैं।
यह घटना एक गंभीर चेतावनी है कि शरणार्थियों के लिए केवल कानूनी अनुमति ही पर्याप्त नहीं है। उन्हें सामाजिक, आर्थिक और मानसिक स्तर पर भी सहयोग और समर्थन की आवश्यकता होती है। यह समय है कि समाज, संस्थाएं और सरकार मिलकर ऐसे परिवारों तक पहुँचे और उन्हें आशा, अवसर और आत्मनिर्भरता का मार्ग दिखाएँ।