गुरु घसीदास विश्वविद्यालय के चर्चित नमाज कांड में एफआईआर रद्द करने के लिए 7 शिक्षकों द्वारा लगाई गई याचिका हाई कोर्ट ने की खारिज

आकाश मिश्रा

गुरु घसीदास विश्वविद्यालय के चर्चित नमाज कांड के आरोपी शिक्षकों को भले ही कुछ हिंदू विरोधी संगठनों का समर्थन मिला और उन्हें लगा कि उन्होंने जो कुछ किया वह वह बहुत कूल जेस्चर है तो उन्हें हाई कोर्ट से मिले झटके के बाद एहसास जरूर हुआ होगा कि उन्हें इस मामले में आसानी से राहत नहीं मिलने वाली है।
गुरु घासीदास सेंट्रल यूनिवर्सिटी की एनएसएस इकाई की 26 मार्च से 1 अप्रैल 2025 तक शिवतराई कोटा में शिवरीआयोजित की गई थी, जहां समन्वयक शिक्षक दिलीप झा, मधुलिका सिंह, सूर्यभान सिंह, डॉक्टर ज्योति वर्मा, प्रशांत वैष्णव बसंत कुमार और डॉक्टर नीरज कुमारी ने इस बीच आये ईद में मुस्लिम तुष्टिकरण के इरादे से 155 हिंदू छात्र-छात्राओं को जबरन नमाज पढ़ने को मजबूर किया। इस मामले में उन्हें धमकाया भी गया। बाद में छात्र आस्तिक साहू ,आदर्श कुमार चतुर्वेदी और नवीन कुमार आदि की शिकायत पर कोटा थाने में बीएनस की धारा 190 196 1b 1971b 197 1सी, 299, 302 और छत्तीसगढ़ धर्म स्वातंत्रय अधिनियम 1968 की धारा 4 के तहत एफआईआर दर्ज किया गया। इस मामले में उन्हें आसानी से जमानत तो मिल गई, जिसके बाद उनके हौसले बढ़े और आरोपी सहायक अध्यापकों ने एफआईआर रद्द करने की मांग करते हुए हाईकोर्ट में याचिका लगा दी।

यह दलील दी गई कि शिविर में 150 हिंदू छात्र थे मगर केवल तीन ने ही शिकायत की है। असल में छात्रों को इतना डराया गया कि वे सामने आने से कतरने लगे। सभी याचिका कर्ता जमानत पर है। सरकार की ओर से याचिका का विरोध करते हुए कहा गया कि आरोप गंभीर है याचिका कर्ताओ ने जबरन हिंदू छात्रों को नमाज पढ़ने के लिए मजबूर किया। गवाहों ने आरोपो की पुष्टि भी की है। अभी जांच जारी है। चीफ जस्टिस रमेश सिन्हा और जस्टिस राकेश मोहन पांडे की डिवीजन बेंच ने याचिका खारिज करते हुए निहारिका इंफ्रास्ट्रक्चर विरुद्ध महाराष्ट्र राज्य के फैसले का हवाला देते हुए कहा कि एफआईआर रद्द करना दुर्लभतम मामलों में ही संभव है। जांच के दौरान एफआईआर के आरोपो की सत्यता पर टिप्पणी नहीं की जा सकती। पुलिस को जांच करने देना चाहिए।

आरोप है कि गुरु घासीदास सेंट्रल यूनिवर्सिटी में वामपंथी शिक्षकों का दबदबा है जिनमे स्वाभाविक रूप से हिंदू धर्म के प्रति घृणा है। इस कारण से इस प्रकार के शिक्षक ईसाई और मुस्लिम धर्म के प्रचारक बने नजर आते हैं। पहले भी कक्षा में बाइबल पढ़ाने की शिकायत सामने आ चुकी है।
केवल तीन-चार मुस्लिम छात्रों को खुश करने की गरज से 155 हिंदू छात्र छात्राओं को क्यों नमाज पढ़ाया गया यह बताने की बजाय शिक्षक कह रहे हैं कि उन्होंने तो सर्वधर्म समभाव का प्रदर्शन किया था। तब तो सवाल यह भी उठता है कि क्या इसका उलट भी उन्होंने कभी किया है ? जाहिर है इसका जवाब ना ही होगा इससे ही उनकी मंशा स्पष्ट होती है।

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