चलने की आस में रोहित को चाहिए 25 लाख, दो साल से बिस्तर पर, अब मदद ही आखिरी सहारा

बिलासपुर। विवेकानंद नगर, मोपका निवासी 32 वर्षीय रोहित तिवारी दो साल से बिस्तर पर जीवन गुजारने को मजबूर हैं। एक सड़क हादसे में रीढ़ की हड्डी में गंभीर चोट लगने के बाद उनकी चलने-फिरने की क्षमता पूरी तरह खत्म हो गई है। अब डॉक्टरों ने रोबोटिक स्पाइन सर्जरी की सलाह दी है, जिससे उन्हें दोबारा चलने की संभावना है। लेकिन इस सर्जरी का खर्च लगभग 25 लाख रुपए है, जो रोहित और उनके परिवार के लिए जुटा पाना असंभव है।

रोहित ने बिलासपुर, रायपुर, वेल्लोर, बेंगलुरु सहित देश के बड़े अस्पतालों में इलाज कराया, परंतु कहीं से भी राहत नहीं मिली। अंततः दिल्ली के आईबीएस अस्पताल में जांच के बाद डॉक्टरों ने रोबोटिक सर्जरी की सलाह दी। यह सर्जरी रीढ़ की हड्डी में चिप डालकर की जाएगी, जिससे उनके पैर चलने लग सकते हैं।

मन में उम्मीद, जेब में खालीपन

रोहित बताते हैं, “सर्जरी की बात सुनकर मन में उम्मीद जगी थी, लेकिन जब 25 लाख का खर्च सुना, तो जैसे सब कुछ टूट गया। इतने पैसे नहीं हैं कि ऑपरेशन करा सकूं। मजबूरी में दिल्ली से वापस लौटना पड़ा।”

अब रोहित सरकार, समाज और संस्थाओं से मदद की गुहार लगा रहे हैं। कुछ संगठन जरूर आगे आए हैं, लेकिन अब भी इलाज के लिए आवश्यक राशि नहीं जुट पाई है।

घर गिरवी, बेटी की पढ़ाई भी मुश्किल

रोहित का घर पहले ही लोन में गिरवी है और अब बैंक ने नोटिस भेज दिया है। मासिक किस्तें नहीं भर पाने की वजह से घर भी छिनने की कगार पर है। ऊपर से एक छोटी बच्ची की पढ़ाई और रोज़मर्रा के खर्चों की जिम्मेदारी भी उन्हीं पर है।

जनता से अपील

रोहित ने समाज से भावुक अपील की है—“अगर हर कोई एक-एक रुपया भी दे, तो 25 लाख रुपए जुट सकते हैं और मेरा इलाज संभव हो सकेगा।”

सहायता के लिए विवरण

खाता धारक: कुसुम तिवारी
खाता संख्या: 33897200118
मोबाइल नंबर: 88152 54355

खबर के साथ क्यू आर कोड भी संलग्न है

यह समाचार समाज के सामने एक ऐसे युवा की वेदना है, जो फिर से अपने पैरों पर खड़ा होना चाहता है। आपकी छोटी सी मदद, रोहित के जीवन में बड़ा बदलाव ला सकती है। आपको बता दे की कोरोना के दौर में इसी रोहित ने न जाने कितने लोगों की बढ़-चढ़कर मदद की लेकिन आज जिंदगी के इस मोड़ पर वह खुद लोगों से मदद की उम्मीद लगाए हुए हैं ।अगर लोग ₹100 भी दे तो थी उनका इलाज हो सकता है और यह किसी के लिए भी बहुत मुश्किल नहीं है।

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