


रायपुर/25 अप्रैल 2025: आर्थिक अपराध अन्वेषण शाखा (EOW) एवं भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो (ACB) ने विशाखापट्टनम प्रस्तावित इकॉनोमिक कॉरिडोर के भूमि अधिग्रहण मुआवजा घोटाले में आज प्रदेश के चार जिलों – रायपुर, दुर्ग, महासमुंद और बिलासपुर में कुल 20 स्थानों पर एक साथ छापेमारी की। यह कार्यवाही FIR क्रमांक 30/2025 के तहत की गई, जिसमें धारा 7C भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम समेत IPC की कई गंभीर धाराएं – 420, 467, 468, 471 और 120B शामिल हैं।
घोटाले का खुलासा:
प्रारंभिक जांच में सामने आया है कि भारतमाला प्रोजेक्ट के तहत अधिग्रहित भूमि की मुआवजा राशि प्राप्त करने के लिए एक ही जमीन को फर्जी तरीके से 6-6 लोगों के नाम दर्ज किया गया। इसके माध्यम से शासन को करीब 48 करोड़ रुपये का आर्थिक नुकसान पहुंचाया गया। भूमि स्वामी के स्थान पर अन्य व्यक्तियों को मुआवजा देने, निजी भूमि की गलत जानकारी देकर अधिक मुआवजा प्राप्त करने जैसे गंभीर आरोप हैं।
जिनके ठिकानों पर छापे मारे गए उनमें प्रमुख नाम:
- निर्भय कुमार साहू (SDM, अटलनगर)
- जितेंद्र कुमार साहू (पटवारी, अभनपुर)
- दिनेश कुमार साहू (पटवारी, माना बस्ती)
- लेखराम देवांगन (पटवारी, सेजबहार)
- लखेश्वर प्रसाद किरण (तहसीलदार, कटघोरा)
- शशिकांत कुर्रे (तहसीलदार, माना बस्ती)
- विजय जैन (कारोबारी, रायपुर)
- हरजीत सिंह खनूजा, हरमीत सिंह खनूजा, अमरजीत सिंह गिल (ठेकेदार)
- योगेश कुमार देवांगन (जमीन दलाल)
- उमा तिवारी, बसंती घृतलहरे, दशमेश इन्ट्रावेंचर प्रा. लि. समेत अन्य
महत्वपूर्ण जब्ती:
छापेमारी में टीमों ने संदिग्धों के आवासों और कार्यालयों से मोबाइल फोन, इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस, बैंक खातों की डिटेल्स, निवेश संबंधी दस्तावेज और अन्य महत्वपूर्ण कागजात जब्त किए हैं। दस्तावेजों का विश्लेषण जारी है और आगे की वैधानिक कार्रवाई की जा रही है।
घोटाले की व्यापकता:
अब तक पांच गांवों की रिपोर्ट के आधार पर 48 करोड़ रुपये की क्षति का आंकलन किया गया है। कई अन्य गांवों की जांच रिपोर्ट आना अभी बाकी है, जिससे यह आंकड़ा और भी बढ़ सकता है।
