इस बार रतनपुर में अप्रैल से ही गहराने लगा है जल संकट, दूषित वाटर सप्लाई से गहराई डायरिया की आशंका


बुद्धि सागर सोनी


गर्मी आते ही रतनपुर के जनता को पेय एवं निस्तारी जल की समस्या से जूझना पड़ता है। अब की बार अप्रैल महीना के शुरूआत से ही नगरपालिका का जलप्रणाली और जल विभाग जवाब देने लगा है। लचर प्रशासनिक व्यवस्था के कारण विभाग और प्रणाली को संभालने और वाले कर्मचारी निरंकुश हो चुके हैं। जल विभाग के कर्चारियों द्वारा पेयजल के नाम पर पाइपलाइईन के जरिए नाली का गंदगी युक्त बदबूदार पानी परोसा जा रहा है। पेयजल के विकट समस्या से जूझ रहे वार्ड क्रमांक 4 में गुरुवार के सुबह पाइपलाइन से नाली बदबूदार गंदा पानी आ रहा था। आधा घंटा तक कीचड़युक्त पानी आने के बाद पानी साफ तो हुआ लेकिन नाली का बदबू पानी से आता रहा। नागरिक पीने के बूंद बूंद पानी को तरस गये। पाइपलाइन से गंदा पानी आने का सिलसिला बना रहा तो नगर में डायरिया जैसा जानलेवा रोग फैलना लाजमी है।


परेशान वार्डवासियों द्वारा बाल्टी एवं बोतल में भरे गंदा पानी की मोबाइल तस्वीरें नव निर्वाचित वार्ड पार्षद को प्रेषित कर प्रतिवर्ष होने वाली इस समस्या के स्थायी निदान हेतु नगरपालिका प्रशासन का ध्यानाकर्षण कराने का आग्रह किया गया है।
यह तो रही पेयजल की बात अब निस्तारी जल की बात करें तो छै अगर छै कोरी तालाबों की नगरी के अधिकांश तालाब सूखने के कगार पर है। बीस पच्चीस फीसदी पानी बचा भी है तो मछली ठेकेदारों द्वारा डाले जा रहे गोबर खाद के कारण नहाने या कुल्ला करने योग्य नहीं है। दो वर्ष पूर्व गुरु घासीदास विश्वविद्यालय के जल वैज्ञानिकों के दल द्वारा नगर के प्रमुख निस्तारी तालाबों के पानी का परीक्षण किया गया था। निष्कर्ष आया कि नगर का निस्तारी जल सौ फीसदी प्रदूषित हो चुका है। जिला प्रशासन द्वारा इस पर गंभीरतापूर्वक विचार कर नगरपालिका प्रशासन को तालाबों को गंदगीमुक्त कराने के सख्त निर्देश दिया गया था। जिस पर दो साल बाद भी अमल नहीं हो सका है। ठेकेदार आज भी मनमानी कर रहे हैं।

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