

आकाश मिश्रा

पहले तो जिहादी और वामपंथी मानसिकता वाले कुछ शिक्षकों ने 155 हिंदू छात्र-छात्राओं को नमाज पढ़ने को विवश किया और अब विश्वविद्यालय प्रबंधन पूरे मामले को कुचलने की साजिश में लगा हुआ है। इसका विरोध कर रहे छात्र-छात्राओं की वीडियो रिकॉर्डिंग प्रबंधन द्वारा करवाई जा रही है ताकि उन पर कार्यवाही का मानसिक दबाव बनाया जा सके। यही कारण है कि पीड़ित छात्र भी आंदोलन में भाग लेने से डर रहे हैं। उन्हें लग रहा है कि अगर ऐसा किया तो उनका कैरियर तबाह हो सकता है। यही वजह है कि बिलासपुर के गुरु घासीदास केंद्रीय विश्वविद्यालय पर जेएनयू की राह पर आगे बढ़ने का आरोप लग रहा है। आरोप तो यह भी है कि इस विश्वविद्यालय में लगातार इस तरह की गतिविधियां काफी लंबे समय से चल रही है। यहां अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद भी काफी कमजोर है, जिस कारण से वह इसका मुखर विरोध नहीं कर पाया और अन्य छात्र संगठन तो जैसे इन घटनाओं के पक्षधर है, इसलिए उन्होंने मौन सहमति देते हुए अपना मुंह बंद रखा है। इधर इस घटना से हिंदू संगठन भी आंदोलित है।

क्या है पूरा मामला
दरअसल सेंट्रल यूनिवर्सिटी के राष्ट्रीय सेवा योजना इकाई की ओर से कोटा ब्लॉक के वनांचल क्षेत्र शिव तराई में 26 मार्च से 1 अप्रैल तक कैंप लगाया गया था, जहां रोजाना किए जाने वाले योग क्लास के दौरान ईद के दिन कोऑर्डिनेटर दिलीप झा और प्रोग्राम ऑफिसर डॉक्टर वसंत कुमार द्वारा 155 हिंदू छात्र-छात्राओं को नमाज अदा करने के लिए विवश किया गया। इस कैंप में केवल चार छात्र मुस्लिम थे जिनके माध्यम से सभी छात्र-छात्राओं को उनके विरोध के बावजूद नमाज अदा करने पर विवश किया गया और ऐसा नहीं करने पर उनका करियर बर्बाद करने की धमकी दी गई। इसकी जानकारी होने पर विश्वविद्यालय प्रबंधन मामले में लीपापोती करने में जुट गया। दिखावे के लिए कुलपति प्रोफेसर आलोक चक्रवाल ने एनएसएस कोऑर्डिनेटर दिलीप झा को उनके पद से अलग कर दिया लेकिन ना उसे सस्पेंड किया गया और ना ही बर्खास्त। अभी भी आरोपी विश्वविद्यालय का हिस्सा है ।तो वही प्रोग्राम ऑफिसर डॉक्टर बसंत कुमार के खिलाफ तो कोई भी कार्यवाही नहीं की गई।
इस मामले की शिकायत एक दिन पहले कोनी थाने में की गई थी। वही जानकारी होने पर अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के साथ हिंदू संगठनों से जुड़े लोगों ने विश्वविद्यालय पहुंचकर अपना विरोध दर्ज कराया लेकिन इस विरोध प्रदर्शन में छात्र-छात्राओं के शामिल होने से रोकने के लिए विश्वविद्यालय प्रबंधन ने पूरी तैयारी कर रखी थी। इस कारण से उनकी संख्या नगण्य रही, लेकिन हिंदू संगठनों से जुड़े लोगों ने साफ कहा कि वे बिलासपुर सेंट्रल यूनिवर्सिटी को जेएनयू नहीं बनने देंगे। इस मामले में केंद्र सरकार, प्रधानमंत्री और उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के दखल की भी मांग की गई है। वही कहा गया कि जब तक दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई नहीं होती और ऐसे वामपंथी शिक्षकों को विश्वविद्यालय से अलग नहीं किया जाता, तब तक यह आंदोलन चलेगा। उन्होंने कहा कि बिलासपुर का केंद्रीय विश्वविद्यालय धर्मांतरण का अड्डा बन चुका है। यहां छात्र-छात्राओं के शैक्षणिक सर्टिफिकेट रोके जाने और उनका करियर खराब करने की धमकी देकर उन्हें कभी बाइबल पढ़ाया जाता है तो कभी नमाज अदा कराई जाती है। आंदोलनकारियो ने कहा कि ऐसा तो जेएनयू में भी नहीं किया जाता। जाहिर है ईद के दिन हिंदू छात्र-छात्राओं से जबरन नमाज अदा कराए जाने का मामला केंद्रीय विश्वविद्यालय के गले का फांस बन चुका है।

इधर विश्वविद्यालय का एक धड़ा इन आरोपों को ही खारिज करता दिख रहा है, क्योंकि आरोप लगाने वाले छात्र-छात्राओं के पास कोई पुख्ता प्रमाण नहीं है। प्रमाण हो भी कैसे, जब पूरी साजिश के तहत ऐसा करने से पहले छात्र-छात्राओं के मोबाइल जमा कर लिए गए थे, लेकिन एक साथ 155 छात्र छात्राएं झूठ तो नहीं बोल सकते। इसलिए इस मामले में सख्त कार्रवाई की आवश्यकता है। इधर बिलासपुर एसपी ने भी विश्वविद्यालय प्रबंधन से मामले में जवाब मांगा था लेकिन उनकी ओर से अब तक कोई जवाब नहीं दिया गया है।
