

रतनपुर, 13 अप्रैल – धार्मिक नगरी रतनपुर में स्थित पवित्र महामाया मंदिर परिसर के कुंड में 23 संरक्षित प्रजाति के कछुओं की मौत से आक्रोशित नागरिकों ने रविवार को नगर बंद का आह्वान किया, जिसे रतनपुर न्याय मंच के बैनर तले स्थानीय जनता का भरपूर समर्थन मिला। नगर स्वतःस्फूर्त बंद रहा और आम जनमानस ने इस पर्यावरणीय त्रासदी पर गहरा शोक और विरोध जताया।

कछुओं की मौत को केवल एक पर्यावरणीय हादसा नहीं बल्कि महामाया मंदिर ट्रस्ट की लापरवाही और अक्षमता का परिणाम बताते हुए लोगों ने ट्रस्ट को तत्काल भंग करने की मांग की है। आक्रोशित नागरिकों का कहना है कि ट्रस्ट की कार्यप्रणाली विवादित है और मंदिर की व्यवस्था बाहरी लोगों के हाथों में होने से अव्यवस्था फैल रही है। वर्तमान में ट्रस्ट के 21 सदस्यों में से केवल 3 सदस्य ही रतनपुर के निवासी हैं, जिससे स्थानीय लोगों का प्रतिनिधित्व नगण्य है।
शहरवासियों ने आरोप लगाया कि करोड़ों की आमदनी के बावजूद महामाया मंदिर ट्रस्ट न तो स्थानीय विकास में भागीदारी करता है और न ही शिक्षा, स्वास्थ्य या आधारभूत संरचना में कोई योगदान देता है। इस उपेक्षा से आहत जनता ने गज किला में बैठक कर आंदोलन की रूपरेखा तय की थी।

रविवार को नगर बंद के साथ नागरिकों ने महामाया कुंड के पास मानव श्रृंखला बनाकर मृत कछुओं को मौन श्रद्धांजलि अर्पित की। इसके साथ ही यह मांग दोहराई गई कि ट्रस्ट को भंग कर नई समिति में स्थानीय नागरिकों को पर्याप्त प्रतिनिधित्व दिया जाए।
यदि मांगें पूरी नहीं होती हैं, तो आंदोलन को और उग्र करने की चेतावनी दी गई है। इसी क्रम में सोमवार शाम महामाया चौक पर दोषियों का पुतला दहन किया जाएगा।

रतनपुर की यह घटना अब केवल एक पर्यावरणीय मुद्दा नहीं रह गई है, बल्कि स्थानीय स्वाभिमान, प्रतिनिधित्व और नगर विकास से जुड़ी एक बड़ी लड़ाई का रूप ले चुकी है। इस मुद्दे पर कलेक्टर के नाम ज्ञापन भी सौंपा गया है।

